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कोसी नदी के बीच ऊंची चोटी पर बने गर्जिया देवी मंदिर की कहानी क्या है?

उत्तराखंड के नैनीताल में स्थित गर्जिया देवी मंदिर अपनी बनावट और मान्यता के लिए पूरे देश में प्रसिद्ध है। गर्जिया देवी को देवी पार्वती का स्वरूप माना जाता है।

Girija Devi Temple

जार्जिया देवी मंदिर: Photo Credit: Wikipedia

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उत्तराखंड के नैनीताल जिले में कोसी नदी के बीचों–बीच स्थित चट्टान पर बसे गर्जिया देवी मंदिर भक्तों की आस्था का प्रमुख केंद्र माना जाता है। रामनगर–नैनीताल हाईवे से महज कुछ ही दूरी पर स्थित यह अनोखा मंदिर अपनी दिव्य सुंदरता, चमत्कारिक मान्यताओं और सदियों पुराने इतिहास की वजह से देश–विदेश के श्रद्धालुओं को आकर्षित करता है। माना जाता है कि माता पार्वती का शक्तिशाली स्वरूप गर्जिया देवी स्वयं कोसी नदी की धारा के साथ बहती हुई इस चट्टानी टीले पर प्रकट हुई थीं, जिसके बाद स्थानीय रीन जनजाति ने इस स्थान पर देवी का पहला मंदिर स्थापित किया।

 

नदी के बीच खड़ी इस चट्टान पर बना यह मंदिर आज भी भक्तों के लिए चमत्कार और रहस्य का प्रतीक माना जाता है। कार्तिक पूर्णिमा के पावन अवसर पर यहां लगने वाले मेले में लाखों श्रद्धालु दूर–दराज से पहुंचते हैं और मानते हैं कि देवी का दर्शन करने से संतान सुख, विवाह में आने वाली बाधाएं और जीवन की कठिनाइयां दूर होती हैं।

 

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मंदिर की विशेषता

  • गर्जिया देवी मंदिर उत्तराखंड के नैनीताल जिले के प्रसिद्ध पर्यटन स्थल रामनगर के पास कोसी नदी के बीच स्थित एक ऊंचे चट्टानी टीले पर बना है।
  • नदी के बीच चट्टान पर स्थित होने की वजह से यह मंदिर दिखने में बेहद अनोखा और प्राकृतिक सुंदरता से भरा हुआ लगता है।
  • दूर से देखने पर यह मंदिर मानो नदी के बीच तैरता हुआ दिखाई देता है, जो इसे और भी आकर्षक बनाता है।

मंदिर से जुड़ी प्रमुख मान्यताएं

  • मान्यता है कि गर्जिया देवी, माता पार्वती का ही एक रूप हैं, जिन्हें कुशावर्ता क्षेत्र की रक्षक देवी माना जाता है।
  • ऐसा विश्वास है कि गर्जिया देवी स्वयं यहां प्रकट हुई थीं, इसलिए यह मंदिर अत्यंत शक्तिशाली और सिद्ध पीठ माना जाता है।
  • भक्तों का मानना है कि यहां मन लगाकर पूजा करने से संतान प्राप्ति होती है
  • मन की इच्छाएं पूर्ण होती हैं
  • विवाह में आ रही बाधाएं दूर होती हैं
  • कार्तिक पूर्णिमा के दिन यहां बड़ा मेला लगता है, जहां लाखों श्रद्धालु दर्शन करने आते हैं।

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मंदिर का इतिहास

  • गर्जिया देवी मंदिर का इतिहास लगभग 150–200 साल पुराना माना जाता है।
  • स्थानीय कुमाऊं परंपरा के अनुसार, रीन जनजाति ने सबसे पहले इस स्थान पर देवी की पूजा शुरू की थी।
  • कुछ कथाओं के अनुसार, एक समय में तेज बारिश और बाढ़ के दौरान देवी की प्रतिमा नदी के बहाव के साथ तैरती हुई आई और इसी चट्टान पर रुक गई। इसे देवी का चमत्कार माना गया और यहीं मंदिर का निर्माण कराया गया।
  • धीरे–धीरे यह स्थान क्षेत्र की कुलदेवी और रक्षक देवी के रूप में प्रसिद्ध हो गया।

मंदिर किसने बनवाया था?

  • ऐतिहासिक रूप से माना जाता है कि मंदिर का प्रारंभिक निर्माण स्थानीय रीन जनजाति और आसपास के ग्रामीणों ने मिलकर कराया था।
  • बाद में मंदिर का जीर्णोद्धार और पक्के स्वरूप में विस्तार कुमाऊं क्षेत्र के स्थानीय राजाओं और भक्तों के जरिए कराया गया।
  • वर्तमान स्वरूप सरकार और स्थानीय समिति के सहयोग से विकसित है।

मंदिर तक कैसे पहुंचा जाए?

स्थान:
रामनगर – नैनीताल रोड, कोसी बैराज के नजदीक

 

सड़क मार्ग

  • रामनगर से मंदिर की दूरी: लगभग 14–15 किलोमीटर
  • नैनीताल से दूरी: बकरीघाट होते हुए 65 किलोमीटर लगभग
  • रामनगर से टैक्सी/ऑटो आसानी से उपलब्ध हैं।
  • मंदिर तक पहुंचने के लिए कोसी नदी पर बना पैदल पुल पार करना पड़ता है।

नजदीकी रेलवे स्टेशन

  • नजदीकी रेलवे स्टेशन: रामनगर रेलवे स्टेशन (14 km)
  • यहां से सीधी टैक्सी/शेयर ऑटो मिल जाते हैं।

नजदीकी एयरपोर्ट

 

निकटतम हवाई अड्डा: पंतनगर एयरपोर्ट (80–85 km)


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