आर्थिक तंगी, कर्ज और जीवन की परेशानियों से जूझ रहे लोगों के लिए एक प्राचीन शिव स्तोत्र बहुत लाभकारी माना जाता है। मान्यता है कि ‘दारिद्र्य-दहन शिव स्तोत्र’ का पाठ करने से न सिर्फ धन से जुड़ी रुकावटें दूर होती हैं, बल्कि व्यक्ति के जीवन में सकारात्मकता और समृद्धि भी आती है। कहा जाता है कि ऋषि वशिष्ठ के जरिए रचा यह स्तोत्र भगवान शिव के उन रूपों की स्तुति है, जो दारिद्र्य और दुखों को खत्म कर देते हैं।
सोमवार, प्रदोष और महाशिवरात्रि जैसे दिनों में इसका पाठ विशेष रूप से फलदायी माना जाता है। श्रद्धालुओं का दावा है कि इस स्तोत्र के नियमित पाठ से वर्षों से रुके काम पूरे होते हैं, बिजनेस में फायदा मिलता है और मानसिक तनाव भी कम होता। आइए जानते हैं, क्या है दारिद्र दहन शिव स्तोत्र के हर श्लोक का अर्थ और महत्व?
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दारिद्र दहन शिव स्तोत्र का श्लोक और अर्थ
श्लोक
विश्वेश्वराय नरकार्णव तारणाय
कर्णामृताय शशिशेखर धारणाय
कर्पूरकांति धवलाय जटाधराय
दारिद्र्य दु:ख दहनाय नम: शिवाय
अर्थ
जो विश्व के स्वामी हैं,
जो नरकरूपी संसारसागर से उद्धार करने वाले हैं,
जो कानों से सुनने में अमृत के समान नाम वाले हैं,
जो अपने भाल पर चन्द्रमा को आभूषणरूप में धारण करने वाले हैं,
जो कर्पूर की कांति के समान धवल वर्ण वाले जटाधारी हैं,
दारिद्र्य रुपी दुःख का नाश करने वाले भगवान शिव को मेरा नमन है।
श्लोक
गौरी प्रियाय रजनीशकलाधराय
कालान्तकाय भुजगाधिप कंकणाय
गंगाधराय गजराज विमर्दनाय
दारिद्र्य दु:ख दहनाय नम: शिवाय
अर्थ
जो माता गौरी के अत्यंत प्रिय हैं,
जो रजनीश्वर(चन्द्रमा) की कला को धारण करने वाले हैं,
जो काल के भी अन्तक (यम) रूप हैं,
जो नागराज को कान में धारण करने वाले हैं,
जो अपने माथे पर गंगा को धारण करने वाले हैं,
जो गजराज को रौंदने वाले हैं,
दारिद्र्य रुपी दुःख का नाश करने वाले भगवान शिव को मेरा नमन है।
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श्लोक
भक्तिप्रियाय भवरोग भयापहाय
उग्राय दुर्गभवसागर तारणाय
ज्योतिर्मयाय गुणनाम सुनृत्यकाय
दारिद्र्य दु:ख दहनाय नम: शिवाय
अर्थ
जो भक्तिप्रिय, संसाररूपी रोग और भय का नाश करने वाले हैं,
जो संहार के समय उग्ररूपधारी हैं,
जो दुर्गम भवसागर से पार कराने वाले हैं,
जो ज्योतिस्वरूप, अपने गुण और नाम के अनुसार सुन्दर नृत्य करने वाले हैं,
दारिद्र्य रुपी दुःख का नाश करने वाले शिव को मेरा नमन है।
श्लोक
चर्माम्बराय शवभस्म विलेपनाय
भालेक्षणाय मणिकुंडल मण्डिताय
मंजीर पादयुगलाय जटाधराय
दारिद्र्य दु:ख दहनाय नम: शिवाय
अर्थ
जो बाघ के चर्म को धारण करने वाले हैं,
जो चिताभस्म को लगाने वाले हैं,
जो भाल में तीसरी आंख धारण करने वाले हैं,
जो मणियों के कुण्डल से सुशोभित हैं,
जो अपने चरणों में नूपुर धारण करने वाले जटाधारी हैं,
दारिद्र्य रुपी दुःख का नाश करने वाले भगवान शिव को मेरा नमन है।
श्लोक
पंचाननाय फनिराज विभूषणाय
हेमांशुकाय भुवनत्रय मण्डिताय
आनंदभूमिवरदाय तमोमयाय
दारिद्र्य दु:ख दहनाय नम: शिवाय
अर्थ
जो पांच मुख वाले नागराज रूपी आभूषण से सुसज्जित हैं,
जो सुवर्ण के समान किरणवाले हैं,
जो आनंदभूमि (काशी) को वर प्रदान करने वाले हैं,
दारिद्र्य रुपी दुःख का नाश करने वाले भगवान शिव को मेरा नमन है।
श्लोक
भानुप्रियाय भवसागर तारणाय
कालान्तकाय कमलासन पूजिताय
नेत्रत्रयाय शुभलक्षण लक्षिताय
दारिद्र्य दु:ख दहनाय नम: शिवाय
अर्थ
जो सूर्य को अत्यंत प्रिय हैं,
जो भवसागर से उद्धार करने वाले हैं,
जो काल के लिए भी महाकालस्वरूप और जिनकी कमलासन (ब्रम्हा) पूजा करते हैं,
जो तीन नेत्रों को धारण करने वाले हैं,
जो शुभ लक्षणों से युक्त हैं,
दारिद्र्य रुपी दुःख का नाश करने वाले भगवान शिव को मेरा नमन है।
श्लोक
रामप्रियाय रघुनाथवरप्रदाय
नागप्रियाय नरकार्णवतारणाय
पुण्येषु पुण्यभरिताय सुरर्चिताय
दारिद्र्य दु:ख दहनाय नम: शिवाय
अर्थ
जो राम को अत्यंत प्रिय, रघुनाथजी को वर देने वाले हैं,
जो सर्पों के अतिप्रिय हैं,
जो भवसागररूपी नरक से तारने वाले हैं,
जो पुण्यवालों में अत्यंत पुण्य वाले हैं,
जिनकी समस्त देवतापूजा करते हैं,
दारिद्र्य रुपी दुःख का नाश करने वाले भगवान शिव को मेरा नमन है।
श्लोक
मुक्तेश्वराय फलदाय गणेश्वराय
गीतप्रियाय वृषभेश्वर वाहनाय
मातंग चर्मवसनाय महेश्वराय
दारिद्र्य दु:ख दहनाय नम: शिवाय
अर्थ
जो मुक्तजनों के स्वामीस्वरूप हैं,
जो चारों पुरुषार्थों का फल देने वाले हैं,
जिन्हें गीत प्रिय हैं और नंदी जिनका वाहन है,
गजचर्म को वस्त्ररूप में धारण करने वाले हैं, महेश्वर हैं,
दारिद्र्य रुपी दुःख का नाश करने वाले शिव को मेरा नमन है|