छठ पर्व की शुरुआत के साथ ही श्रद्धा और आस्था का माहौल पूरे देश में नजर आने लगा है। यह पर्व सूर्यदेव और छठी देवी की पूजा को समर्पित है। माना जाता है कि छठी देवी बच्चों की रक्षा करने वाली देवी हैं और उनके आशीर्वाद से परिवार में सुख-समृद्धि बनी रहती है। छठ पर्व सिर्फ धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि प्रकृति, ऊर्जा और मातृत्व के प्रति कृतज्ञता का प्रतीक भी है। यह पर्व हर वर्ष कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को मनाया जाता है। साल 2025 में इस पर्व की शुरुआत 25 अक्टूबर से होगी।
शास्त्रों के अनुसार छठी देवी का उल्लेख ऋग्वेद में ‘उषा’ देवी के रूप में मिलता है, जिन्हें प्रातः काल (सुबह) की देवी और जीवन ऊर्जा का स्रोत माना गया है। वहीं, पुराणों में उन्हें सूर्यदेव की बहन बताया गया है, जो अपने भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण करती हैं। इस पर्व पर व्रती चार दिनों तक कठोर उपवास रखकर उगते और अस्त होते सूर्य को अर्घ्य अर्पित करते हैं और छठी देवी से परिवार की भलाई की प्रार्थना करते हैं।
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छठी देवी का शास्त्रीय और पौराणिक संबंध
- छठी देवी को शास्त्रों में ऋग्वेद में वर्णित उषा (प्रातःकाल की देवी) का एक रूप माना जाता है।
- कुछ परंपराओं के अनुसार, उन्हें षष्ठी देवी कहा जाता है, जो बच्चों की रक्षा और उनके जीवन को सुरक्षित रखने वाली देवी मानी जाती हैं।
- इसके अलावा कहा जाता है कि छठी देवी सूर्यदेव की बहन और संतान-रूप भी हो सकती हैं, इस दृष्टि से उनका संबंध सूर्य-पूजा से गहरा है।
अन्य कथाओं के मुताबिक छठ मैया ब्रह्मा जी की मानस पुत्री और भगवान सूर्य की बहन के रूप में मानी जाती हैं। षष्ठी देवी यानी छठ मैया संतान प्राप्ति की देवी मानी जाती हैं। माना जाता है कि ब्रह्माजी ने सृष्टि की रचना करते हुए खुद को दो भागों में बांट दिया था, जिसमें एक भाग पुरुष और दूसरा भाग प्रकृति के रूप में था। वहीं प्रकृति ने भी अपने आप को 6 भागों में बांटा था। इसमें से एक मातृ देवी या देवसेना थी। वहीं छठ मैया देवसेना की छठी अंश मानी जाती हैं, इसलिए इन्हें छठी देवी भी कहा जाता है।
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छठी देवी से जुड़े मुख्य गुण और भूमिका
- छठी मैया को मातृदया, रक्षा-प्रदत्ता और जीवन-ऊर्जा की देवी माना जाता है। उनके आशीर्वाद से बच्चों की लंबी आयु, स्वास्थ्य और सफलता होती है।
- सूर्यदेव और छठी मैया की संयुक्त पूजा यह दर्शाती है कि प्रकृति के महानतम स्त्रोत (सूर्य) और उसकी मातृशक्ति (छठी मैया) दोनों का संतुलन मानव जीवन के लिए जरुरी है।
छठी देवी का महत्व
- छठ पूजा मुख्य रूप से सूर्यदेव को अर्घ्य देने के रूप में की जाती है लेकिन छठी मैया को श्रद्धा-पूर्वक सम्मिलित करके परिवार की समृद्धि, प्राकृतिक-संतुलन और सामाजिक-शुद्धि की कामना की जाती है।
- व्रत और अर्घ्य के माध्यम से भक्त यह मानते हैं कि छठी मैया व्रति की मनोकामनाएं सुनती हैं और कठिन उपवास और समय पालन के बाद आशीर्वाद देती हैं।