logo

ट्रेंडिंग:

जिस औरत के लिए देश से गद्दारी की वही मर्द निकली, हैरान कर देगी कहानी

फ्रांस के एक अधिकारी ने एक औरत के चक्कर में अपने ही देश की जासूसी की और बाद में पता चला कि वह औरत नहीं मर्द था। पढ़िए पूरी कहानी।

shi pei pu

शी पेइपू की कहानी, Photo Credit: Khabargaon

तारीख, 30 जून, 1983, जगह थी फ्रांस की राजधानी पेरिस। एक आदमी सड़क पर चला जा रहा है। नाम, बर्नार्ड बोरसिकॉट। पेशा, फ्रांस सरकार का डिप्लोमैट माने राजनयिक। जेब में सिगरेट का पैकेट और दिमाग में स्कॉटलैंड में मिलने वाली नई पोस्टिंग के ख़याल। तभी अचानक कुछ होता है। बर्नार्ड पर कुछ लोग हमला कर देते हैं, पीछे से एक आदमी झपटता है। बगल से दूसरा। जान बचाने के लिए उसने पर्स, पता लिखी डायरी, सब सड़क पर फेंक दिया और पास के एक पेड़ को कसकर पकड़ लिया। बर्नार्ड को लगा, लुटेरे हैं। मगर फिर एक बैज चमकता है पुलिस का। फ्रांस की ख़ुफ़िया पुलिस, डी.एस.टी। ये लुटेरे नहीं थे, यह सरकार थी। बर्नार्ड की अपनी सरकार। उसे घसीटकर एक गाड़ी में डाला गया और हाथ में हथकड़ियां पहना दी गईं। गाड़ी किसी गुमनाम इमारत के बेसमेंट में जाकर रुकी। बर्नार्ड को एक कमरे में ले जाया गया। सामने कुछ अफसर बैठे थे और फिर सवालों की बौछार शुरू हो गई- 'तुम्हारे घर में वह चीनी कौन है?' बर्नार्ड के हाथ कांप रहे थे। उसे समझ आ गया था कि खेल ख़त्म हो चुका है। फिर उसने जो कहना शुरू किया, वह तारीख़ का सबसे हैरतअंगेज कबूलनामा बन गया।

 

आज हम पढ़ेंगे एक ऐसे जासूसी स्कैंडल की कहानी, जिसमें इश्क़ है, धोखा है और है एक ऐसा ट्विस्ट, जिसकी उम्मीद सिर्फ़ हिचकॉक की फ़िल्मों में की जा सकती है। 

नौसिखिया जासूस

 

कहानी शुरू होती है साल 1964 से, जगह थी चीन की राजधानी बीजिंग। फ्रांस से एक 20 साल का लड़का यहां पहुंचा था। नाम, बर्नार्ड बोरसिकॉट। नई-नई नौकरी थी। फ्रेंच दूतावास में अकाउंटेंट की। कहने को तो साहब थे। मगर साहबों वाली कोई बात नहीं थी। एक तो उम्र कम। ऊपर से आत्मविश्वास भी कम। छोटे शहर से आया हुआ लड़का, जिसके सपने बड़े थे। दुनिया घूमनी थी, हैरतअंगेज कारनामे करने थे और इश्क़, इश्क़ तो ऐसा करना था जो किताबों में दर्ज हो जाए। इत्तेफ़ाक़न बाद में हुआ भी ऐसा लेकिन शुरुआती दिनों में बर्नार्ड अकेला था। बीजिंग में फ्रेंच दूतावास के बाकी होशियार, पढ़े-लिखे डिप्लोमैट्स के बीच वह खुद को बाहरी महसूस करता था। वह लोग जिनकी दुनिया पार्टियों और डिनर तक सीमित थी और बर्नार्ड, जो बीजिंग की गलियों में घूमना चाहता था। आम लोगों से मिलना चाहता था पर चीन का माहौल ऐसा था कि कोई विदेशी किसी चीनी से दोस्ती नहीं कर सकता था। हर तरफ शक की दीवारें थीं।

 

यह भी पढ़ें- क्या ओमान और UAE भी थे हिंदुस्तान का हिस्सा? बड़ी रोचक है कहानी
 
दिसंबर 1964, क्रिसमस का मौका था। दूतावास के एक बड़े अफसर, क्लॉड शायेत के घर पार्टी थी। बर्नार्ड भी वहां पहुंचा और वहीं उसकी नज़र उस शख़्स पर पड़ी। एक चीनी मेहमान। दुबला-पतला। नाम, शी पेइपू। जॉयस वैडलर अपनी किताब 'Liaison' में लिखती हैं कि शी पेइपू एक ओपेरा सिंगर और लेखक था। उसकी फ्रेंच कमाल की थी और उसके इर्द-गिर्द लोगों का जमघट लगा था। बर्नार्ड को वह शख़्स रहस्यमयी लगा। दिलचस्प लगा। बर्नार्ड ने बात करने की कोशिश की। एक बार, दो बार। मगर पेइपू ने ज़्यादा भाव नहीं दिया। पार्टी खत्म होने लगी तो बर्नार्ड ने देखा कि पेइपू किसी को अपना पता दे रहा है। बर्नार्ड ने वह पर्ची झपट ली। बोला, 'यह मेरे लिए है।'


 
यहीं से दोस्ती की शुरुआत हुई। दोनों मिलने लगे। पेइपू, बर्नार्ड को वह बीजिंग दिखाता जो किसी विदेशी ने नहीं देखा था। वह उसे पुराने किस्से सुनाता। बादशाहों के उनकी साजिशों के, अपनी ओपेरा की दुनिया के। एक शाम, फॉरबिडन सिटी के पास एक पुल पर टहलते हुए, पेइपू ने बर्नार्ड को एक कहानी सुनाई। 'द स्टोरी ऑफ द बटरफ्लाई'। एक लड़की की कहानी जो लड़का बनकर पढ़ने जाती है। जहां उसे एक दूसरे लड़के से इश्क़ हो जाता है। मगर वह लड़का नहीं जानता कि उसका दोस्त असल में एक लड़की है। कहानी सुनाने के बाद पेइपू ने बर्नार्ड से कहा, 'यह कहानी मेरी ही कहानी है।'

 

यह भी पढ़ें- कर्बला की जंग क्यों हुई? पढ़िए शहादत की पूरी कहानी
 
फिर उसने राज़ खोला कि उसकी दादी को पोता चाहिए था और जब वह पैदा हुई तो उसके मां-बाप ने सबको यही बताया कि लड़का हुआ है और तब से वह एक मर्द की पहचान के साथ जी रही है। एक औरत, जो मर्द के लिबास में क़ैद है। बर्नार्ड के लिए यह एक झटके जैसा था पर उसे हैरानी से ज़्यादा हमदर्दी हुई। उसे लगा कि उसे अपनी ज़िंदगी का मकसद मिल गया है। वह इस औरत को बचाएगा। उसे उसकी असली पहचान वापस दिलाएगा। अब पेइपू उसके लिए सिर्फ़ दोस्त नहीं थी। कुछ दिनों बाद बर्नार्ड ने कहा, 'अगर तुम एक औरत हो तो हमें साथ सोना चाहिए।'
 
जून 1965 की एक शाम। बर्नार्ड के अपार्टमेंट में शी पेइपू आई, बर्नार्ड ने उसे चूमना चाहा तो पेइपू ने उसे रोक दिया। बर्नार्ड ने पाया कि पेइपू शर्मा रही है। उसने लाइट बंद की, दोनों पास आए। अब बर्नार्ड के लिए यह पहला मौका था। वह घबराया हुआ था। सब कुछ बहुत जल्दी खत्म हो गया लेकिन बर्नार्ड को यकीन को गया कि पेइपू एक औरत ही है। उसने पेइपू से अपने इश्क़ का इज़हार कर दिया।


पैसे देने वाला जासूस

 

बर्नार्ड और पेइपू इसके बाद 6 महीने तक मिलते रहे। दिसंबर 1965 में बर्नार्ड ने पेइपू को बताया कि उसे फ्रांस जाना है। दोनों दुखी थे। तभी पेइपू ने बर्नार्ड को कुछ ऐसा बताया, जिसने दुख को दोगुना कर दिया। शी पेइपू ने बताया कि वह गर्भवती है। बर्नार्ड ने वादा किया कि वह वापस जरूर लौटेगा, इसके बाद वह फ्रांस चला गया। लगभग चार साल बाद वह लौटा 1969 में लेकिन तब तक चीन बदल चुका था। 

 

यह भी पढ़ें- कैसे काम करती हैं चीन की इंटेलिजेंस एजेंसियां? पढ़िए पूरी कहानी

 

माओत्से तुंग की सांस्कृतिक क्रांति की शुरुआत हो चुकी थी। हर पुरानी चीज़, हर विदेशी चीज़ गुनाह बन गई थी। किताबें जल रहीं थीं। कलाकार जेल जा रहे थे और किसी चीनी का किसी विदेशी से बात करना? यह तो सबसे बड़ा गुनाह था। ऐसे माहौल में बर्नार्ड अपनी शी पेइपू को खोजने निकला। भेष बदलकर, माओ जैकेट पहनकर ताकि कोई पहचान न ले। पुरानी जगह पर पेइपू नहीं मिली। पड़ोसियों ने डरते-डरते एक नया पता दिया। एक रात बर्नार्ड साइकिल उठाकर उस पते पर पहुंच गया। दरवाज़ा खटका और सामने खड़ी थी शी पेइपू। बर्नार्ड की जान में जान आई। उसने पूछा, 'क्या बच्चा?' पेइपू ने कहा, 'हां। हमारा एक बेटा है।'
 
बर्नार्ड को लगा, वह दुनिया का सबसे ख़ुशनसीब इंसान है। मगर यह ख़ुशी ज़्यादा देर नहीं टिकी। कुछ ही दिन बाद जब वह पेइपू से मिलने दोबारा गया, तो दरवाज़े पर ज़ोर की दस्तक हुई और एक भीड़ अंदर घुस आई। कुछ सैनिक। वे चिल्ला रहे थे, 'जासूस! यह विदेशी यहां क्या कर रहा है?'

 

यह गिरफ़्तारी एक नाटक थी। एक बिसात जो अब बिछाई जा रही थी और बर्नार्ड इसका सबसे अहम मोहरा बनने वाला था। कुछ दिनों बाद बर्नार्ड से मिलने एक सरकारी अफ़सर आया। नाम, कांग। जॉयस वैडलर की किताब के अनुसार, जब सरकार को बर्नार्ड और शी पेइपू के रिश्ते का पता चला, तो उन्होंने इसका फ़ायदा उठाने का फैसला किया। कांग ने बर्नार्ड से कहा, 'तुम शी पेइपू से मिल सकते हो, बस तुम्हें चेयरमैन माओ की विचारधारा पर कुछ क्लास लेनी होगी।'

 

यह भी पढ़ें- लाछिमान गुरुंग: वह वीर सैनिक जिसने कटे हाथ से 200 दुश्मनों को टक्कर दी

 

बर्नार्ड के लिए यह एक मौका था। अपनी 'बीवी' और 'बच्चे' के करीब रहने का। उसने फौरन हां कर दी और फिर एक कदम आगे बढ़कर उसने खुद कांग को एक पेशकश कर दी। बर्नार्ड ने कहा, 'मैं चीन के लोगों की मदद करना चाहता हूं। अगर दूतावास से कोई ख़बर, कोई कागज़ आपको चाहिए तो मैं ला सकता हूं।' कांग यही चाहता था। बर्नार्ड अब एक जासूस बन चुका था। ऐसा जासूस जो अपने देश से ग़द्दारी अपनी प्रेमिका के लिए कर रहा था या कम से कम उसे ऐसा ही लगता था। उसने दूतावास से दस्तावेज़ चुराने शुरू कर दिए। वह दस्तावेज़ जो फ्रांस के नहीं, बल्कि अमेरिका और सोवियत संघ के बारे में थे।


बर्नार्ड खुद को एक हीरो समझने लगा था। एक प्रेमी, जो अपने परिवार को बचाने के लिए कुछ भी कर सकता है और वह सिर्फ़ जासूसी नहीं कर रहा था। वह शी पेइपू पर पैसे भी लुटा रहा था। अपनी तनख्वाह से महंगे तोहफ़े ख़रीदता। टेप रिकॉर्डर, टीवी, रोलेक्स की घड़ियां। जैसा कि बर्नार्ड ने बाद में अपनी डायरी में लिखा, 'मैं दुनिया का शायद पहला ऐसा जासूस था, जिसे जासूसी के लिए पैसे नहीं मिलते थे, बल्कि वह अपनी जेब से पैसे देकर जासूसी करता था।' यह सिलसिला सालों तक चला। चीन के बाद उसकी पोस्टिंग मंगोलिया में हुई। वह वहां से भी बीजिंग आता रहा। दस्तावेज़ लाता रहा और अपनी दोहरी ज़िंदगी जीता रहा। एक ज़िंदगी फ्रांस के डिप्लोमैट की और दूसरी एक चीनी औरत के पति और एक जासूस की।

 

तीन मोहब्बतें

 
एक तरफ चीन। एक 'बीवी', एक 'बेटा' और जासूसी का रोमांच। बर्नार्ड बोरसिकॉट की ज़िंदगी में ड्रामा भरपूर था। मगर कहानी में एक और पेच था बल्कि दो कहिए। जॉयस वैडलर की किताब 'Liaison' के मुताबिक, बर्नार्ड एक साथ कई जिंदगियां जी रहा था और हर ज़िंदगी में इश्क़ का एक अलग फ़साना था। कहानी का एक सिरा पेरिस में था। यहां कैथरीन नाम की एक लड़की थी। एक खूबसूरत मेडिकल स्टूडेंट। बर्नार्ड उससे भी बेपनाह मोहब्बत करता था। जब वह चीन में शी पेइपू के साथ अपनी 'गुप्त' ज़िंदगी जी रहा था, तब वह फ्रांस में कैथरीन को लंबे-लंबे, भावुक खत लिखता था। ऐसे खत जैसे कोई अपनी मंगेतर को लिखता है। वह उसे अपने सपनों की मलिका बताता था। दोनों साथ में ज़िंदगी गुजारने के कसमें-वादे करते थे।

 

यह भी पढ़ें- राजीव गांधी हत्याकांड में आरोपी रहे चंद्रास्वामी की कहानी क्या है?

 

और शी पेइपू? उसे कैथरीन के बारे में पता था। बर्नार्ड ने खुद उसे बताया था और इस बात पर दोनों में खूब झगड़ा भी हुआ था। पेइपू को डर था कि बर्नार्ड एक दिन उसे और उसके 'बेटे' को छोड़कर हमेशा के लिए फ्रांस चला जाएगा। वैसे इस लव ट्रायंगल का एक चौथा सिरा भी था। यहां से इस कहानी में एंट्री होती है एक और शख़्स की। थिएरी, एक लंबा, खूबसूरत, सुनहरे बालों वाला फ्रांसीसी लड़का। बर्नार्ड की मुलाक़ात थिएरी से पेरिस में हुई और दोनों में इश्क़ हो गया। यह वह दौर था जब बर्नार्ड अपनी समलैंगिकता को खुलकर तो नहीं, मगर चोरी-छुपे जी रहा था। थिएरी के साथ उसका रिश्ता किसी ड्रामे जैसा नहीं था। वह सुकून भरा था। दोनों साथ रहने लगे। साथ घूमते, साथ सपने देखते। बर्नार्ड के दोस्त, उसका परिवार, सब थिएरी को बर्नार्ड का एक अच्छा दोस्त समझते थे। मगर असलियत कुछ और थी। बर्नार्ड की ज़िंदगी तीन हिस्सों में बंट गई थी। एक किरदार उसका चीन में था। जहां वह एक रहस्यमयी चीनी औरत का पति था, एक बच्चे का बाप था और एक जासूस था। दूसरा किरदार फ्रांस में कैथरीन का दीवाना था, जो उससे शादी करना चाहता था और तीसरा किरदार थिएरी का प्रेमी था, जिसके साथ वह एक स्थिर समलैंगिक रिश्ते में था। अब इतना नाजुक मामला कब तक ही चल पाता। विस्फोट होना लाज़मी था।

सबसे बड़ा खुलासा 

 

बर्नार्ड 1972 तक चीन में पोस्टेड रहा। बाद में वह चीन आता जाता रहा लेकिन 1980 का दशक आते-आते उसका आना जाना कम होने लगा। पेइपू पर अब वह ज़्यादा ध्यान नहीं दे रहा था। बढ़ती दूरियां देख साल 1982 में शी पेइपू और उसका 'बेटा' बर्ट्रेंड, बर्बार्ड पेरिस पहुंच गए। बर्नार्ड वहां नहीं था। खबर मिलते ही वह उनसे मिलने पेरिस लौटा तो एयरपोर्ट पर मुलाक़ात में पहले वाली बात नहीं थी। शी पेइपू अब उसे एक बोझ लगने लगी थी। दोनों के बीच झगड़े शुरू हो गए। बर्नार्ड को लगने लगा था कि वह बुरी तरह फंस गया है।

 

इस बीच फ्रेंच पुलिस को बर्नार्ड के डबल एजेंट होने की खबर लग चुकी थी। शिकंजा कसता जा रहा था। 30 जून, 1983, फ्रांस की ख़ुफ़िया पुलिस ने बर्नार्ड को गिरफ़्तार कर लिया। बर्नार्ड ने पुलिस के सामने सब कुछ उगल दिया। अपनी प्रेम कहानी, अपनी जासूसी। उसे लगा कि वह अपनी 'बीवी' और 'बच्चे' को बचा रहा है। उसे यकीन था कि फ्रांस की सरकार उसकी मजबूरी समझेगी और उसे माफ़ कर देगी। मगर कहानी अब अपने सबसे अहम मोड़ पर आ चुकी थी। वह मोड़, जहां सारे नक़ाब उतरने वाले थे। एक झटके में।

 

यह भी पढ़ें- B-2 स्पिरिट बॉम्बर इतना महंगा क्यों है? इसकी खूबियां जान लीजिए

 

कुछ रोज़ बाद पुलिस ने बर्नार्ड को एक खबर दी। पांव तले ज़मीन खिसकाने वाली खबर। मेडिकल जांच में पता चला था कि शी पेइपू औरत नहीं, एक सामान्य शारीरिक बनावट वाला मर्द है। नहीं, वह ट्रांसजेंडर भी नहीं था, ऐसा भी नहीं कि उसने सेक्स चेंज करवाया हो। उसके शरीर पर किसी भी तरह की सर्जरी के निशान नहीं थे। अब यहां सवाल उठता है कि बर्नार्ड को यह पता कैसे नहीं चला, सेक्स के दौरान भी नहीं और फिर पेइपू प्रेग्नेंट कैसे हुई या कहें हुआ?

 

जॉयस वैडलर अपनी किताब में बताती हैं, 'शी पेइपू अपनी पहचान छिपाने में माहिर था, डॉक्टरों के सामने उसने खुद यह करके दिखाया। वह अपने अंडकोष और लिंग को जांघों के बीच पीछे की तरफ़ मोड़कर छिपा सकता था। इससे वजाइना जैसा भ्रम पैदा होता था।


 और सेक्स की बात? पेइपू के साथ पहली बार हमबिस्तर होने के दौरान बर्नार्ड बहुत ही अनुभवहीन था। शी पेइपू एक माहिर ऐक्टर। उसने शर्माने का नाटक करते हुए, ख़ुद ही बर्नार्ड को गाइड किया। सब कुछ इतना जल्दी में हुआ कि बर्नार्ड को कुछ समझ नहीं आया। कहानी विश्वास करने में मुश्किल लग सकती है लेकिन आधिकारिक रिकॉर्ड्स में कम से कम यही बात दर्ज है। असल में शी पेइपू एक समलैंगिक था जिसने प्रेम की चाह में इतना लंबा प्रपंच रचा। अंत में सवाल प्रेगनेंसी का। यह समझना मुश्किल नहीं। जाहिर है पुरुष प्रेग्नेंट नहीं हो सकता।

 

शी पेइपू ने प्रेग्नेंट होने का सिर्फ़ नाटक किया था। जिसे बर्नार्ड का बेटा बताया जा रहा था, असल में उसे चीन के दूर-दराज़ प्रांत शिनजियांग से गोद लिया गया था या खरीदा गया था। वह बच्चा उइगर समुदाय का था, जिसके नैन-नक्श कुछ-कुछ यूरोपियन लोगों जैसे थे। इसी वजह से बर्नार्ड को धोखा देना और भी आसान हो गया। बर्नार्ड इन सब बातों से अनजान था।

यह ख़बर जब जेल में बंद बर्नार्ड तक पहुंची तो वह चिल्ला पड़ा, 'यह झूठ है! यह नामुमकिन है!' उसने अपने वकील, अपने दोस्तों, सबसे यही कहा। वह मानने को तैयार ही नहीं था। उसे लगा कि यह कोई साज़िश है। बर्नार्ड को सच कुछ महीनों बाद पता चला। एक अदालत की पेशी के दौरान उसे और शी पेइपू को एक ही कमरे में रखा गया। आमने-सामने। बर्नार्ड ने कांपती हुई आवाज़ में पूछा, 'तो ये सच है? तुम एक मर्द हो?'

 

यह भी पढ़ें- लीबिया के तानाशाह गद्दाफी को कैसे मार डाला गया? पढ़िए पूरी कहानी

 

शी पेइपू ने बड़ी सहजता से जवाब दिया, 'हां, बिलकुल।' जैसे कुछ हुआ ही न हो। बर्नार्ड को यकीन नहीं हुआ। उसने उससे अपने प्राइवेट पार्ट्स दिखाने को कहा। असलियत से अब नज़र छिपाई नहीं जा सकती थी। बर्नार्ड टूट गया, पूरी तरह। आठ महीने बाद, अपनी जेल की कोठरी में उसने अपनी जान देने की कोशिश की।

 

मुकदमा 

 

जब यह मामला अदालत पहुंचा तो मुकदमा जासूसी का कम और एक अजब-गजब प्रेम कहानी का ज़्यादा था। मई 1986 में जब मुकदमा शुरू हुआ तो कटघरे में दो लोग खड़े थे। एक बर्नार्ड बोरसिकॉट, जो अब भी इस धोखे से उबरने की कोशिश कर रहा था और दूसरा शी पेइपू जो अब भी एक कलाकार की तरह शांत बना हुआ था। अदालत में बर्नार्ड के वकीलों ने दलील दी कि यह एक 'क्राइम ऑफ पैशन' यानी जुनून में किया गया अपराध था। बर्नार्ड को धोखा दिया गया था और उसने जो भी किया, अपनी 'औरत' और 'बच्चे' को बचाने के लिए किया। वहीं, शी पेइपू के वकीलों ने कहा कि वह तो एक कलाकार है, उसे सियासत से क्या लेना-देना।

 

अदालत ने दोनों की दलीलें सुनीं और दोनों को जासूसी का दोषी पाया। सज़ा हुई, 6 साल क़ैद। धोखेबाज़ को भी और धोखा खाने वाले को भी। कहानी यहां खत्म नहीं हुई। शी पेइपू को ज़्यादा दिन जेल में नहीं रहना पड़ा। चीन की सरकार नहीं चाहती थी कि उनका एक 'कलाकार' फ्रांस की जेल में बंद रहे। राजनीतिक दबाव काम आया और करीब डेढ़ साल बाद ही फ्रांस के राष्ट्रपति ने उसे माफ़ कर दिया। बर्नार्ड चार साल बाद रिहा हुआ।

 

जेल से निकलने के बाद बर्नार्ड की ज़िंदगी वापस अपने प्रेमी थिएरी के साथ शुरू हुई। शी पेइपू और बर्ट्रेंड पेरिस में ही बस गए। बर्ट्रेंड, जो अब जान चुका था कि बर्नार्ड उसका पिता नहीं है, एक रेस्टोरेंट में काम करके घर चलाता था। बर्नार्ड और शी पेइपू का रिश्ता? वह एक ऐसे तलाकशुदा जोड़े की तरह हो गए जो ज़िंदगी भर एक अजीब से रिश्ते में बंधे रहते हैं। कभी-कभार मिलते। एक दूसरे का हालचाल पूछते। मगर उस धोखे की दीवार को कभी पार नहीं कर पाए। बर्नार्ड से जब सालों बाद पूछा गया कि क्या उसे शी पेइपू से नफ़रत है तो उसने कहा, 'नहीं। मुझे बस इस बात का अफ़सोस है कि हमारी कहानी वह नहीं थी, जिस पर मैं यकीन करता था।'

Related Topic:#Alif Laila

शेयर करें

संबंधित खबरें

Reporter

और पढ़ें

design

हमारे बारे में

श्रेणियाँ

Copyright ©️ TIF MULTIMEDIA PRIVATE LIMITED | All Rights Reserved | Developed By TIF Technologies

CONTACT US | PRIVACY POLICY | TERMS OF USE | Sitemap