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आशा कार्यकर्ताओं को लेकर केंद्र और केरल के बीच क्या है विवाद की जड़?

आशा कार्यकर्ताओं के कोष को लेकर केंद्र और केरल सरकार में विवाद जारी है। इस बीच 'आशा' कार्यकर्ता लगातार 25 दिन से राज्य सचिवालय के सामने अपनी मांगो को लेकर प्रदर्शन कर रही हैं।

Kerala ASHA workers

प्रतीकात्मक तस्वीर। Photo Credit (@ANI/ X)

केरल में आशा कार्यकर्ता पिछले 25 दिनों से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर बैठी हैं। वो सरकार से अपनी वेतन और सुविधाओं में सुधार की मांग कर रही हैं। राजधानी तिरुवनंतपुरम में सचिवालय के सामने आशा कार्यकर्ताओं का प्रदर्शन अब राजनीतिक विवाद बन गया है। केरल और केंद्र सरकार दोनों ही एक दूसरे पर पैसे के आवंटन को लेकर एक-दूसरे पर आरोप- प्रत्यारोप लगा रहे हैं।

 

जहां केरल में कांग्रेस और बीजेपी आशा कार्यकर्ताओं के समर्थन में अपनी आवाज बुलंद कर रही हैं, वहीं LDF के नेतृत्व वाली पिनाई विजयराजन सरकार इसके लिए केंद्र की मोदी सरकार पर आरोप मढ़ रही है। इस बीच, आशा कार्यकर्ताओं ने 8 मार्च को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर विरोध प्रदर्शन को और तेज़ करने की योजना की घोषणा की है।

 

प्रदर्शन में आम महिलाओं को शामिल करने की कवायद

 

महिला दिवस के अवसर पर राज्य सचिवालय के सामने होने वाले विरोध प्रदर्शन में और भी महिलाओं के शामिल होने की उम्मीद है। अनिश्चितकालीन हड़ताल 6 मार्च को अपने 25वें दिन में प्रवेश कर गया। ऐसे में यह अंदेशा जताया जा रहा है कि अगर इस मुद्दे को जल्दी नहीं सुलझाया गया तो आने वाले दिनों में प्रदर्शन और तेज होगा।

 

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'आशा' की क्या है मांगे?

 

सचिवालय के सामने अनिश्चितकालीन विरोध-प्रदर्शन में अलग-अलग जिलों की 200 से ज्यादा महिलाएं हिस्सा ले रही हैं। प्रदर्शनकारियों के मुताबिक, केरल में 26,000 से अधिक आशा कार्यकर्ता कम से कम दो महीने के मानदेय के भुगतान का इंतजार कर रही हैं। यह हर 'आशा' को 7000 रुपये और तीन महीने के प्रोत्साहन के रूप में लगभग 5000 रुपये है। विरोध प्रदर्शन की मुख्य मांगों में कार्यभार को देखते हुए मानदेय को बढ़ाकर 21,000 रुपये करना और कार्यकर्ताओं को 5 लाख रुपये का सेवानिवृत्ति लाभ सुनिश्चित करना शामिल है।

 

फिलहाल इन वर्करों की रिटायरमेंट की कोई उम्र निर्धारित नहीं है। आशा कार्यकर्ता सरकार से उनके काम के घंटे तय करने की भी मांग कर रही हैं, क्योंकि उन्हें प्रतिदिन 12 घंटे से अधिक काम करने के लिए मजबूर किया जाता है।

 

आखिर राज्य में आशा कार्यकर्ताओं की क्या मांगें हैं और उनके मुद्दे क्या हैं, आइए समझते हैं...

 

केरल सरकार का क्या है आरोप?

 

केंद्र और केरल सरकार के बीच राज्य में आशा कार्यकर्ताओं को प्रोत्साहन राशि बांटने के लिए पैसे के प्रावधान को लेकर एक-दूसरे के दावों पर गुरुवार को भी विवाद जारी रहा। केरल के वित्त मंत्री के. एन. बालगोपाल ने केंद्र पर समय पर धनराशि उपलब्ध नहीं कराने का आरोप लगाया है। जबकि केंद्रीय मंत्री जॉर्ज कुरियन ने उनके इस आरोप को सिरे से खारिज कर दिया है। कुरियन ने कहा कि जो लोग इस तरह के आरोप लगा रहे हैं वे मामले की उचित जांच होने पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का सम्मान करना शुरू कर देते हैं।

 

वित्त मंत्री बालगोपाल ने कोल्लम में पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि केंद्र ने अभी तक बकाया भुगतानों में से 100 करोड़ रुपये जारी नहीं किए हैं। उन्होंने केंद्र से मान्यता प्राप्त सामाजिक स्वास्थ्य कार्यकर्ता (आशा) के मानदेय में बढोतरी करने का आग्रह किया।

 

वित्त सीतारामन के सामने मामले को उठाया

 

बालगोपाल ने कहा कि केरल पिछले दो सालों से केंद्रीय वित्त निर्मला सीतारामन मंत्री द्वारा बुलाई गई बजट पूर्व बैठकों में इस मामले को उठाता रहा है। केरल के वित्त मंत्री ने कहा, 'जैसलमेर में मैंने अपनी मांग दोहराई थी कि आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं, आशा कार्यकर्ताओं और अन्य योजनाओं के कार्यकर्ताओं के मानदेय में उचित वृद्धि की जानी चाहिए।' 

 

वहीं, राज्य की स्वास्थ्य मंत्री वीना जॉर्ज ने कहा कि यह दावा गलत है कि केंद्र ने पिछले वित्तीय वर्ष में केंद्र की स्वास्थ्य योजनाओं के लिए केरल को मिलने वाली पूरी राशि आवंटित कर दी थी। स्वास्थ्य विभाग के कार्यालय की ओर से जारी एक बयान में कहा गया कि इस तरह केंद्र ने वर्ष 2023-24 के लिए अपने हिस्से के 636.88 करोड़ रुपये उपलब्ध नहीं कराए हैं। 

 

केंद्र को 636.88 करोड़ रुपये देना है- स्वास्थ्य मंत्री

 

इसमें आगे कहा गया है कि केरल की स्वास्थ्य मंत्री जॉर्ज ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री, केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन और राज्य मिशन को औपचारिक रूप से पत्र लिखकर बताया था कि केंद्र सरकार की स्वास्थ्य योजनाओं के लिए वित्तीय वर्ष 2023-24 में केंद्र द्वारा 636.88 करोड़ रुपये दिए जाना बाकी है।

 

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बयान में दावा किया गया कि केंद्र सरकार ने 28 अक्टूबर को दिए अपने जवाब में खुद इस बात की पुष्टि की है कि केरल को वर्ष 2023-24 में केंद्र के हिस्से की राशि नहीं दी गई है।  इसमें कहा गया, 'वित्तीय वर्ष 2023-24 में आशा और नियमित गतिविधियों सहित केंद्र की स्वास्थ्य योजनाओं के लिए एक भी रुपया आवंटित नहीं किया गया। केंद्र द्वारा प्रदान किए जाने वाले कुल 826.02 करोड़ रुपये में से केवल 189.15 करोड़ रुपये ही बुनियादी ढांचे के रखरखाव और वस्तु अनुदान के लिए आवंटित किए गए हैं।'

 

केरल सरकार के मंत्रियों के दावे का मजाक उड़ाया

 

बयान में कहा गया, 'शेष 636.88 करोड़ रुपये भी नहीं दिए गए। इसमें आशा कार्यकर्ताओं के प्रोत्साहन के लिए राशि शामिल है।' केंद्रीय अल्पसंख्यक एवं मत्स्य पालन राज्य मंत्री जॉर्ज कुरियन ने केरल सरकार के मंत्रियों के इस दावे का मजाक उड़ाया कि राज्य को एक भी पैसा नहीं दिया गया और कहा कि केंद्र ने उन्हें बड़ी राशि प्रदान की है।

 

मानदेय का 60 प्रतिशत केंद्र का- वीना जॉर्ज

 

राज्य की स्वास्थ्य मंत्री वीना जॉर्ज के अनुसार, मानदेय का 60 प्रतिशत केंद्र और 40 प्रतिशत राज्य देता है। हालांकि, केरल वर्तमान में प्रति कर्मचारी 7,000 का भुगतान पूरी तरह से अपने स्वयं के सरकारी कोष से कर रहा है। केरल का कहना है कि केंद्र सरकार से कई अनुरोधों के बावजूद अभी तक 100 करोड़ का लंबित भुगतान जारी नहीं किया है।

 

उन्होंने कहा कि इसकी आधिकारिक पुष्टि तब हुई जब केंद्रीय मंत्री सुरेश गोपी ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जे पी नड्डा से मुलाकात की थी। कुरियन ने कहा कि जब लोग केरल सरकार केऐसे दावे सुनते हैं तो उचित जांच होने और सच्चाई जानने के बाद वे पीएम नरेन्द्र मोदी का सम्मान करना शुरू कर देते हैं। केंद्र और केरल के मंत्रियों ने यह बयान ऐसे समय में दिए हैं जब राज्य में कुछ आशा कार्यकर्ता लगातार प्रदर्शन कर रही हैं।

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