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BJP-कांग्रेस को 880 करोड़ का चंदा देने वाला 'प्रूडेंट ट्रस्ट' क्या है?

प्रूडेंट इलेक्टोरल ट्रस्ट देश का सबसे अमीर इलेक्टोरल ट्रस्ट है। कॉरपोरेट जगत से राजनीतिक दलों को मिलने वाले चंदे का करीब 90 फीसदी हिस्सा इसी ट्रस्ट के पास आता है।

Prudent Electoral Trust

प्रतीकात्मक तस्वीर।

साल 2023-24 में राजनीतिक पार्टियों को जमकर डोनेशन मिला है। चंदा लेने के मामले में केंद्र की सत्ता पर काबिज बीजेपी सबसे आगे है। इस एक साल में बीजेपी को 22सौ करोड़ रुपये से ज्यादा का चंदा मिला है। जबकि, कांग्रेस को इससे लगभग 8 गुना कम डोनेशन मिला है। देश की बड़ी कंपनियों ने सभी दलों के लिए अपने खजाने खोल दिए, जिससे उनके खातों में अरबों रुपये जमा हो गए।  

चंदे के जुड़ी यह सारी जानकारी चुनाव आयोग ने दी है। नियम है कि अगर किसी राजनीतिक दल को 20 हजार रुपये से ज्यादा का चंदा मिलता है तो उसका ब्यौरा चुनाव आयोग को देना जरूरी है। चुनाव आयोग के मुताबिक, 2023-24 में बीजेपी को 2,244 करोड़ रुपये का चंदा मिला है। 2022-23 में बीजेपी को करीब 720 करोड़ रुपये का चंदा मिला था। इसी तरह कांग्रेस को 2023-24 में 289 करोड़ रुपये का चंदा मिला है। जबकि, 2022-23 में कांग्रेस ने 80 करोड़ रुपये चंदे से जुटाए थे।

बीजेपी को सबसे ज्यादा चंदा प्रूडेंट ट्रस्ट से

चुनाव आयोग की वेबसाइट पर मौजूद कंट्रीब्यूशन रिपोर्ट के मुताबिक, 2023-24 में बीजेपी को सबसे ज्यादा चंदा 'प्रूडेंट इलेक्टोरल ट्रस्ट' ने दिया है। इससे बीजेपी को 723.6 करोड़ रुपये मिले हैं। इसी ट्रस्ट ने कांग्रेस को भी 156.4 करोड़ रुपये का डोनेशन दिया है। बीजेपी का एक तिहाई और कांग्रेस का आधे से ज्यादा चंदा इसी ट्रस्ट से आया है। इस तरह से प्रूडेंट इलेक्टोरल ट्रस्ट ने बीजेपी और कांग्रेस दोनों को कुल मिलाकर 880 करोड़ रुपये का डोनेशन दिया है। 


आखिर प्रूडेंट इलेक्टोरल ट्रस्ट क्या है जिसने बीजेपी-कांग्रेस को लगभग एक हजार करोड़ की डोनेशन दी है। यह ट्रस्ट कैसे काम करता है? इसके पास इतनी बड़ी मात्रा में पैसे कहां से आते हैं? ऐसे में आइए जानते हैं प्रूडेंट इलेक्टोरल ट्रस्ट के बारे में।

चंदा मिलता कहां से है?

दरअसल, भारत के चुनावों में बेतहाशा पैसा खर्च होता है। राजनीतिक पार्टियां यह पैसा कई तरीकों से जुटाती हैं, लेकिन सवाल यह है कि चंदा मिलता कहां से है? तो इसका जवाब है- लोगों से, कॉर्पोरेट जगत की बड़ी कंपनियों से या फिर किसी ट्रस्ट से। इसी तरह का एक ट्रस्ट है प्रूडेंट इलेक्टोरल ट्रस्ट। 

प्रूडेंट इलेक्टोरल ट्रस्ट देश का सबसे अमीर इलेक्टोरल ट्रस्ट है। कॉरपोरेट जगत से राजनीतिक दलों को मिलने वाले चंदे का करीब 90 फीसदी हिस्सा इसी ट्रस्ट के पास आता है। प्रूडेंट इलेक्टोरल ट्रस्ट को इसे पहले सत्य इलेक्टोरल ट्रस्ट के नाम से जाना जाता था। एसोसिएशन ऑफ डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) के अनुसार, प्रूडेंट को भारती एयरटेल की मूल कंपनी भारती एंटरप्राइजेज का समर्थन प्राप्त है। 

बीजेपी को सबसे ज्यादा डोनेशन देने वाला ट्रस्ट

प्रूडेंट इलेक्टोरल ट्रस्ट साल 2013-14 से ही बीजेपी को सबसे ज्यादा डोनेशन देने वाला ट्रस्ट है। इस ट्रस्ट ने 2019-20 में बीजेपी को 216.75 करोड़ और कांग्रेस को सिर्फ 31 करोड़ रुपये दिए। वहीं, इस साल बीजेपी को कुल सबसे ज्यादा 785 करोड़ रुपये का चंदा मिला था। इस दौरान कांग्रेस को 139 करोड़ रुपये का चंदा ही मिल पाया था।  
  


इन कंपनियों ने दिए पैसे

प्रूडेंट इलेक्टोरल ट्रस्ट को फ्यूचर गेमिंग एंड होटल सर्विसेज, मेघा इंजीनियरिंग एंड इंफ्रास्ट्रक्चर इंडिया, भारती इंफ्राटेल और फिलिप्स कार्बन ब्लैक से बड़ी मात्रा में फंडिंग मिलती है। बता दें कि फरवरी 2024 में सुप्रीम कोर्ट ने चुनावी बॉन्ड योजना को असंवैधानिक बनाते हुए रद्द कर दिया था। चुनावी बॉन्ड योजना के जरिए राजनीतिक पार्टियों को पैसा मिलता था। लेकिन यह योजना रद्द होने के बाद चुनाव आयोग ने राजनीतिक दलों को मिलने वाले दान की पहली बार घोषणा की है। 

इलेक्टोरल ट्रस्ट क्या है? 
 
जनप्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 29बी के तहत राजनीतिक दल किसी भी व्यक्ति, कॉरपोरेट और कंपनियों से चंदा ले सकते हैं। लेकिन पार्टियां सरकार और विदेशी कंपनियों से चंदा नहीं ले सकतीं। इलेक्टोरल ट्रस्ट के जरिए कॉरपोरेट घाराने अपनी पहचान बताए बिना राजनीतिक दलों को चंदा दे सकते हैं। राजनीतिक दलों को 20 हजार रुपये से अधिक चंदा देने वालों की जानकारी चुनाव आयोग को देनी होती है। इससे कम का कोई हिसाब-किताब नहीं लिया जाता है। 

प्रूडेंट इलेक्टोरल ट्रस्ट के अलावा ट्रायम्फ इलेक्टोरल ट्रस्ट, प्रगतिशील चुनावी ट्रस्ट, परिवर्तन चुनावी ट्रस्ट, जयहिंद चुनावी ट्रस्ट, एकीकृत चुनावी ट्रस्ट को बड़ी मात्रा में कंपनियों ने चंदे के तौर पर पैसे दान में दिए हैं।

साल 2023-24 में प्रूडेंट इलेक्टोरल ट्रस्ट को दान देने वाली कंपनियों में डीएलएफ टॉप पर है। डीएलएफ ने इस वित्तीय वर्ष प्रूडेंट ट्रस्ट को सबसे ज्यादा 100 करोड़ रुपये दान में दिया। इसके बाद आर्सेलर मित्तल ने 75 करोड़, मारुति सुजुकी ने 60 करोड़, मेघा इंजीनियरिंग ने 50 करोड़, हेटेरो लैब्स ने 50 करोड़, अपोलो टायर्स ने 50 करोड़, भारती एयरटेल ने 6 करोड़, संजीव गोयनका की आरपीएसजी ग्रुप ने 10 करोड़ और हल्दिया एनर्जी ने 10 करोड़ रुपये दान में दिए हैं। इसके अलावा दर्जनों ऐसी कंपनियां हैं जिन्होंने प्रूडेंट इलेक्टोरल ट्रस्ट को पैसे देने के लिए अपनी तिजोरी खोल दी है।

ट्रस्ट क्या होता है?

ट्रस्ट के जरिए किसी संस्था के लिए या व्यक्ति के लिए पैसों का प्रबंधन किया जाता है। इसकी संपत्ति में नकदी, व्यक्तिगत संपत्ति, अचल संपत्ति, व्यावसायिक इकाई स्वामित्व शेयर वगैरह शामिल हो सकते हैं। ट्रस्ट में रखी संपत्ति को ट्रस्टी मैनेज करता है। ट्रस्टी को यह कानूनी अधिकार ट्रस्ट के ज़रिए मिलता है। ट्रस्टी इन पैसों को जिसको चाहता है उसे दे सकता है।

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