भारतीय बैंडमिंटन स्टार लक्ष्य सेन एक नई मुसीबत में फंसते दिख रहे हैं। लक्ष्य सेन पर उम्र कम दिखाने का आरोप लगा है। इस मामले में उन्हें कर्नाटक हाईकोर्ट से झटका लगा था। हालांकि, बाद में सुप्रीम कोर्ट से राहत भी मिल गई।
HC से झटका, SC से राहत
कर्नाटक हाईकोर्ट से झटकाः 19 फरवरी को कर्नाटक हाईकोर्ट से लक्ष्य सेन को झटका लगा था। जस्टिस उमा एमजी ने उनकी याचिका को खारिज करते हुए जांच जारी रखने का आदेश दिया था। लक्ष्य सेन ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर जांच पर रोक लगाने और FIR रद्द करने की मांग की थी।
सुप्रीम कोर्ट से मिली राहतः 25 फरवरी को जस्टिस सुधांशू धूलिया और जस्टिस के. विनोद चंद्रन ने लक्ष्य सेन को राहत देते हुए जांच पर रोक लगा दी थी। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में नोटिस भी जारी किया है। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में अगली सुनवाई 16 अप्रैल को होगी।
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पूरा मामला क्या है?
कर्नाटक के रहने वाले नागराज एमजी ने शिकायत दर्ज करवाई थी। इसे लेकर दिसंबर 2022 में FIR दर्ज की गई थी। FIR में लक्ष्य सेन, उनके भाई चिराग, पिता धीरेंद्र मां निर्मला और कोच यू. विमल कुमार को आरोपी बनाया गया है।
आरोप है कि माता-पिता और कोच ने लक्ष्य और चिराग का फर्जी बर्थ सर्टिफिकेट बनवाया, जिसमें दोनों की उम्र ढाई साल कम करवाई गई। ऐसा इसलिए किया गया ताकि दोनों जूनियर टूर्नामेंट में हिस्सा ले सकें।
नागराज का दावा है कि उन्होंने RTI और यूथ अफेयर्स की मिनिस्ट्री की जांच रिपोर्ट से दस्तावेज जुटाए थे, जिसमें सामने आया था कि लक्ष्य के पिता ने बर्थ सर्टिफिकेट में गड़बड़ी की थी। दावा है कि बर्थ सर्टिफिकेट में गड़बड़ी की जांच केंद्रीय सतर्कता आयोग (CVC) ने भी की थी। हालांकि, 2018 में CVC ने बर्थ सर्टिफिकेट को मंजूरी दे दी थी, जिसके बाद जांच बंद हो गई थी।
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लक्ष्य सेन का क्या है दावा?
लक्ष्य सेन, उनके परिवार और कोच का दावा है कि उन पर लगाए गए आरोप निराधार हैं और मामला व्यक्तिगत शिकायत पर आधारित है। उनका दावा है कि 2020 में नागराज की बेटी का प्रकाश पादुकोण बैडमिंटन एकेडमी में एडमिशन नहीं हो पाया था, इसलिए नाराज होकर उन्होंने शिकायत दर्ज करवाई थी। उनके परिवार का ये भी दावा कि लक्ष्य सेन की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाने के लिए शिकायत दर्ज की गई थी।