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बैडमिंटन रैंकिंग में नंबर 2 के खिलाड़ी को हराने वाला भारतीय कौन है?

भारत के 21 साल के शंकर मुथुसामी सुब्रमण्यम ने स्विस ओपन सुपर 300 बैडमिंटन टूर्नामेंट में वर्ल्ड नंबर 2 एंडर्स एंटोनसेन को हराकर सनसनी मचा दी है।

Sankar Muthusamy Subramanian vs Anders Antonsen

शंकर मुथुसामी सुब्रमण्यम को जीत की बधाई देते एंडर्स एंटोनसेन। (Photo Credit: Subramanian/Instagram)

स्विस ओपन सुपर 300 बैडमिंटन टूर्नामेंट में भारतीय शटलर शंकर मुथुसामी सुब्रमण्यम ने कमाल कर दिया है। 21 साल के इस युवा खिलाड़ी ने वर्ल्ड नंबर 2 एंडर्स एंटोनसेन को हराकर क्वार्टर फाइनल में प्रवेश कर लिया है। 3 गेम तक चले रोमांचक मुकाबले में सुब्रमण्यम ने बेहतरीन डिफेंस का मुजायरा पेश करते हुए डेनमार्क के खिलाड़ी को चौंकाते हुए बड़ा उलटफेर कर दिया। सुब्रमण्यम फिलहाल वर्ल्ड बैटमिंटन रैंकिंग में 64वें स्थान पर हैं। 

 

सुब्रमण्यम ने की दमदार वापसी

 

सुब्रमण्यम ने एंटोनसेन के खिलाफ सटीक खेल दिखाया जबकि डेनमार्क के शटलर का अपने शॉट पर कंट्रोल नहीं था। तमिलनाडु से आने वाले इस उभरते खिलाड़ी ने तीन बार के वर्ल्ड चैंपियनशिप मेडलिस्ट को 66 मिनट में 18-21, 21-12, 21-5 के अंतर से हरा दिया। शुरुआती गेम में दोनों के बीच कड़ी टक्कर हुई, जिसमें बढ़त बार-बार बदलती रही। ब्रेक के समय एंटोनसेन केवल एक अंक की बढ़त बना सके। बाएं हाथ से खेलने वाले सुब्रमण्यम ने जल्द ही स्कोर 16-14 कर दिया, लेकिन दबाव बरकरार नहीं रख सके और एंटोनसेन ने पहला गेम अपने नाम कर लिया। 

 

दूसरे गेम में सुब्रमण्यम ने एंटोनसेन को कोई मौका नहीं दिया। एंटोनसेन ने निराशा में अपने रैकेट को लात भी मारी। सुब्रमण्यम ने पहले 8-4 और फिर ब्रेक तक 11-6 की बढ़त हासिल की। एंटोनसेन ने एक और शॉट बाहर मारा जिससे भारतीय खिलाड़ी ने दूसरा गेम जीतकर मुकाबला बराबरी पर ला दिया। तीसरे गेम की शुरुआत में स्कोर एक समय 3-3 से बराबर था लेकिन इसके बाद एंटोनसेन ने पूरी तरह से कंट्रोल खो दिया और कई अप्रत्याशित गलतियां कीं, जिससे भारतीय खिलाड़ी ने ब्रेक तक 11-3 की बढ़त बना ली। सुब्रमण्यम ने इसके बाद भी अच्छा प्रदर्शन जारी रखा और मैच अपनी झोली में डाल दिया।

 

सुब्रमण्यम के करियर की यह सबसे बड़ी जीत है। उनका अगला मुकाबला दुनिया के 31वें नंबर के खिलाड़ी क्रिस्टो पोपोव से होगा। फ्रांस के इस शटलर ने इस सीजन अभी तक अच्छा प्रदर्शन किया है। सुब्रमण्यम से भारत को बड़ी उम्मीदें हैं। वह टूर्नामेंट में सिंगल्स इवेंट में बचे इकलौते भारतीय हैं।

 

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कौन हैं सुब्रमण्यम?

 

सुब्रमण्यम का जन्म 13 जनवरी 2004 के रोज तमिलनाडु की राजधानी चेन्नई में हुआ था। उनके पिता मुथुसामी टेनिस प्लेयर थे। मुथुसामी चाहते थे कि उनका बेटा भी टेनिस खेले। उन्होंने एक इंटरव्यू में बताया कि वह एक दिन सुब्रमण्यम को टेनिस खेलने के लिए ले जाना चाहते थे लेकिन बारिश हो रही थी। ऐसे में मुथुसामी ने अपने बेटे को इनडोर स्पोर्ट से रूबरू कराने का फैसला किया और कुछ इस तरह सुब्रमण्यम का बैडमिंटन से नाता जुड़ा। सुब्रमण्यम को 6 साल की उम्र में ही चेन्नई के मोगाप्पैर में फायरबॉल एकेडमी में भर्ती करा दिया गया। 

 

बैडमिंटन में हैदराबाद स्थित गोपीचंद एकेडमी और प्रकाश पादुकोण एकेडमी, बेंगलुरु से बड़े प्लेयर निकलते आ रहे हैं। हालांकि सुब्रमण्यम ने फायरबॉल एकेडमी से ही ट्रेनिंग लेकर अपना नाम बनाया। उन्होंने अंडर-13, अंडर-15, अंडर-18 नेशनल टूर्नामेंट जीते। कुछ समय के लिए तो वह जूनियर वर्ल्ड नंबर 1 भी रहे। सुब्रमण्यम का नाम पहली बार तब सुर्खियों में आया, जब उन्होंने 2022 में स्पेन में जूनियर वर्ल्ड चैंपियनशिप में सिल्वर मेडल जीता। 

 

सुब्रमण्यम के यहां तक के सफर में उनके पिता मुथुसामी का बड़ा रोल रहा है। टूर्नामेंट्स के लिए अपने बेटे के साथ ट्रेवल करने के लिए उन्होंने चेन्नई पोर्ट अथॉरिटी की इंजीनियरिंग की नौकर छोड़ दी थी। इससे उनकी आर्थिक स्थिति जरूर कमजोर हुई लेकिन जज्बा नहीं। जब 2019 में यूरोप में सुब्रमण्यम के खेलने के रास्ते में पैसे की बात आई तो मुथुसामी ने अपना घर बेच दिया था।

 

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