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Opinion: न कुलदीप, बुमराह, आखिर क्या सोचकर टीम चुन रहे गंभीर?

दूसरे टेस्ट मैच में भारतीय टीम में तीन बदलाव किए गए हैं। इन बदलावों को लेकर अब टीम मैनेजमेंट से तीखे सवाल पूछे जा रहे हैं।

Shubman gill and gautam gambhir

शुभमन गिल और गौतम गंभीर, Photo Credit: PTI

20 जून से 25 जून तक हेडिंग्ले में खेले गए टेस्ट मैच के बाद कोच गौतम गंभीर ने कहा था, ‘आप भले ही 1000 रन भी बना लें लेकिन मैच जीतने के लिए 20 विकेट लेने पड़ते हैं।'माने गौतम गंभीर को मालूम था कि गेंदबाज़ों की कमी खली है, फिर सोशल मीडिया से लेकर टीम मैनेजमेंट तक एक नाम गूंज ही रहा था कि कुलदीप यादव को खिलाना चाहिए था। अगर बुमराह टीम के लिए मुख्य तेज़ गेंदबाज़ हैं तो एक मुख्य स्पिनर भी चाहिए, मगर उन्हें नहीं खिलाया गया जबकि स्पिनर का काम रवींद्र जाडेजा से पूरा करवाया जा रहा था, जो ऑलराउंडर हैं और नाकाम रहे। नतीजा टीम 373 रन का टोटल नहीं डिफेंड कर सकी।
  
उम्मीद थी दूसरे टेस्ट में मैच में कुलदीप यादव खेलेंगे, मगर नहीं यहां भी कुलदीप ड्रॉप। सिर्फ कुलदीप ही नहीं बुमराह भी ड्रॉप। इसके पीछे टीम का क्या रणनीति है? कुलदीप और बुमराह क्यों बाहर हैं? इसपर तो चर्चा करेंगे ही लेकिन पहले साल 2021 में दिया गया गौतम गंभीर का एक बयान जानिए, जब वह कमेंटेटर थे। तब इंग्लैंड की टीम टेस्ट सीरीज़ खेलने भारत आई थी, तब भी कुलदीप नहीं चुने गए थे।
 
तब गंभीर ने कहा था, 'मुझे कुलदीप यादव बहुत अलग किस्म के रिस्ट स्पिनर लगते हैं, उन्हें टीम में ज़रूर चुना जाना चाहिए। वह खेलते तो भारत के लिए बहुत उपयोगी होते।' अब आप गंभीर के लिए क्या कहेंगे? क्योंकि 2021 में तो वह कोच नहीं थे, तब उन्हें सिर्फ टिप्पणी करने का अधिकार था। मगर अब तो वह मुख्य कोच हैं फिर उन्होंने कुलदीप यादव को क्यों नहीं खिलाया? रणनीति क्या है? क्या वह हालात को भांप नहीं पा रहे हैं?

 

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दूसरा टेस्ट मैच शुरू होने से पहले की शाम को कोच गंभीर और मुख्य सेलेक्टर अजीत अगरकर ने काफी देर तक मैदान पर समय बिताया। पिच को पढ़ा और उसके बाद ही फैसला लिया कि कौन खेलेगा, कौन नहीं? मगर फैसला क्या आया? साई सुदर्शन की जगह वॉशिंगटन सुंदर को खिलाया गया, नीतीश रेड्डी को शार्दुल ठाकुर की जगह खिलाया गया जबकि आकाश दीप को जसप्रीत बुमराह पर तरजीह दी गई। टीम सेलेक्शन को देखकर सवाल उठने लगे हैं कि भारत जीतने भी आया है या सिर्फ हार टालने?

कुलदीप पर सब हैरान

 

कुलदीप को नहीं खिलाए जाने पर इंग्लैंड के पूर्व कप्तान माइकल अथर्टन भी हैरान दिखे। उन्होंने शुभमन गिल के फैसले पर हैरानी जताते हुआ कहा कि उसने 15 साल में सिर्फ 8 मुकाबले खेले हैं क्या? दरअसल, अथर्टन कुलदीप के पुराने रिकॉर्ड्स को बताना चाहते थे। साल 2017 के मार्च महीने में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ डेब्यू करने वाले कुलदीप को सिर्फ 13 टेस्ट मैच खिलाया गया है। मगर इतने मैचों में उनका प्रदर्शन लाजवाब रहा है। 22.16 के एवरेज से कुलदीप 56 विकेट ले चुके हैं और इकॉनमी रही सिर्फ 3.55 की।
 
कुलदीप साधारण स्पिनर नहीं हैं। वह बल्लेबाज़ों को परेशान करते हैं। खासकर उन्हें जो बढ़िया स्पिन खेलने की क्षमता रखते हैं। जैसे इंग्लैंड के जो रूट और बेन डकेट जैसे बल्लेबाज़। यह कमी हमें पहले मैच में दिखी थी। जब बुमराह के अटैक के बाद कोई दूसरा स्पेलिस्ट नहीं था जो विकेट ले सके जबकि दो साधारण ऑलराउंडर्स को नंबर 7 और 8 पर बल्लेबाज़ी के लिए चुन लिया। जिसका कोई फायदा नहीं दिखा। एक बार फिर वही ग़लती की गई है।

 

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जब साई सुदर्शन पर वॉशिंगटन सुंदर, नीतीश रेड्डी को शार्दुल ठाकुर और आकाश दीप को बुमराह पर तरजीह दी गई। रेड्डी ज़्यादा से ज़्यादा मीडियम पेस से गेंदबाज़ी कर सकते है, जिससे वह एक-आधा विकेट तो निकाल सकते हैं मगर ज़रूरत के वक्त पर न ही बल्लेबाज़ों को डरा सकते हैं और न ही गुछ्छों में विकेट लेने की क्षमता अब तक दिखी है। दूसरी ओर वॉशिंगटन की स्पिन तब तक ख़तरनाक नहीं होती जब तक पिच तेज़ी से टर्न न ले रही हो, वॉशिगंटन सुंदर ज़्यादातर अपने बेहतर इकॉनमी के लिए जाने जाते हैं जिसकी ज़रूरत टेस्ट मैच में बहुत कम होती है। एजबेस्टन, तो पिछले कुछ वक्त से सपाट मैदान माना जाने लगा है, वहां कुलदीप रफ टर्फ और दिन के आखिर में मिलने वाली टर्न का फायदा उठा सकते थे, मगर ऐसा नहीं हुआ, उन्हें नहीं खिलाया गया। इंग्लैंड की पिच पर स्पिनर क्यों ज़रूरी है इसका उदाहरण खुद इंग्लैंड ने जो रूट से गेंदबाज़ी कराकर दिया था जबकि एक तरफ से उनके मुख्य स्पिनर शोएब बशीर लगातार गेंदबाज़ी कर रहे थे।

 

कुलदीप को नहीं खिलाए जाने पर कप्तान शुभमन गिल ने तर्क दिया कि है कि निचले क्रम से हमारे रन कम बन रहे हैं। बहुत हद तक शुभमन की यह बात सही भी है क्योंकि इंग्लैंड के खिलाफ पहले टेस्ट मैच में नीचे के 6 बल्लेबाज़ सिर्फ 16 रन बना पाए थे जबकि बाकी सारे रन ऊपर के बल्लेबाज़ों ने बनाए थे। यह बात पहली पारी की है। 

 

जब दूसरी पारी आई तो नीचे के 6 बल्लेबाज मिलकर सिर्फ 49 रन बना सके। उसमें भी करुण नायर के 20 और रवींद्र जाडेजा के 25 रन को छोड़ दें तो सिर्फ शार्दुल ठाकुर 4 रन बना सके थे बाकी सब खाता भी नहीं खोल पाए। इन आंकड़ों को देखकर एक बार को मान भी लें कि कुलदीप यादव  क्यों नहीं खिलाया गया। मगर यहां सवाल यह उठता है कि जो पुछल्ले बल्लेबाज़ पहली पारी में धराशायी हो गए थे, जब वे अपने असली काम यानी गेंदबाज़ी के रूप में आए तो वहां भी घुटनों पर ही थे। पहली पारी में सिर्फ जसप्रीत बुमराह के पांच विकेट को छोड़ दें तो बाकी गेंदबाज़ अंग्रेज़ों के सामने स्ट्रगल ही कर रहे थे। चौंकाने वाली बात यह थी कि पांच गेंदबाज़ों में सिर्फ रवींद्र जाडेजा स्पिनर थे, जो एक ऑलराउंडर हैं बाकी सब पेसर थे। दूसरी इनिंग का तो हाल सबको पता ही है कि कैसे अंग्रेज़ी बल्लेबाज़ भारतीय गेंदबाज़ों के सामने दीवार की तरह खड़े हो गए थे और 373 रन के लक्ष्य को हासिल करके इतिहास रच गए थे।

 

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इसकी वजह थी कि मुख्य गेंदबाज़ जसप्रीत बुमराह और सिराज बस गेंदबाज़ी कराए जा रहे थे, पसीना बहाए जा रहे थे मगर सफलता नहीं मिल रही थी। फिर बाकी के गेंदबाज़ों से क्या ही उम्मीद की जा सकती है। दूसरी पारी में न सही मगर पहली पारी में तो बुमराह ने विकेट लिए ही थे, इसके बावजूद उन्हें दूसरे मैच में बैठा दिया गया। इस बारे में शुभमन गिल कहते हैं कि हम उनके वर्कलोड को मैनेज कर रहे हैं, तीसरा टेस्ट मैच लॉर्ड्स में होगा इसलिए उन्हें रेस्ट दे दिया गया। अब यहां सोचने का विषय है कि शुभमन गिल खुद को बचा रहे हैं या बुमराह को फंसा रहे हैं? क्योंकि यह तो सीधे-सीधे तेज़ गेंदबाज़ की फिटनेस पर सवाल है क्योंकि यह सिर्फ एक मैच की बात नहीं है, बल्कि वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप साइकिल के मैच हैं। इसमें वर्कलोड बताकर आराम देना तो खुद के पैर पर कुल्हाड़ी मारने जैसा है ही, बाकी टीम को अंधेर में ढकेलना है। 

भड़क गए रवि शास्त्री

 

इन फैसलों पर सिर्फ एथरर्टन ने ही नहीं बल्कि रवि शास्त्री ने भी नाराज़गी जताई और कहा कि बुमराह को वर्कलोड के नाम पर बैठा देने वाला फैसला थोड़ा अजीब है जबकि कम अनुभवी वाशिंगटन सुंदर को कुलदीप की जगह खिलाना भी हज़म नहीं हो रहा है। पहले मैच में हमने जो कॉम्बिनेशन देखा था वह भी थोड़ा अजीब था क्योंकि अगर हम जानते हैं कि बुमराह विकेट टेकर हैं, वह किसी भी स्थिति में टीम को विकेट निकालकर देते हैं तो मिडिल ऑडर के लिए कुलदीप यादव को क्यों नहीं खिलाया गया? जबकि बुमराह के साथ प्रसिद्ध कृष्णा और शार्दुल ठाकुर को गेंदबाज़ी कराई गई। ऐसा मालूम हो रहा था कि टीम इंडिया बार्मिंघम में सिर्फ रन बनाकर हार टालने आई है, वह सिर्फ मैच ड्रॉ करवाने की तरफ देख रही है। उन्हें जीत से कोई लेना-देना नहीं। 

 

जब 2 जुलाई को दूसरा टेस्ट मैच शुरू होने वाला था, उससे एक दिन पहले शाम को कोच गौतम गंभीर और मुख्य सेलेक्टर अजीत अगरकर ने पिच पर लंबी बातचीत की। शायद वहीं उन्हें लगा हो कि इस पिच पर विकेट लेना बहुत मुश्किल है इसलिए मुख्य गेंदबाज़ों को बैठाओ और बल्लेबाज़ों को लाओ। शायद यही कारण है कि इस टीम में नंबर 9 तक बल्लेबाज़ी दिखाई दे रही हैं, माने आकाश दीप पर बल्लेबाज़ी हो सकती है। मगर सवाल वही कि अगर आप विकेट ले नहीं सकते तो क्या आपके विकेट गिरेंगे भी नहीं। बुमराह का मान सकते हैं कि इंजरी से उनका पुराना नाता रहा है लेकिन कुलदीप पर कौन सा वर्कलोड। इसे तो ऐसा ही कह सकते हैं कि टीम मैनेजमेंट कुलदीप की धार कुंद करने में लगी है। 

 

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यहां से तो ऐसा ही लगता है कि भारत किसी बड़े चमत्कार के चक्कर में बैठा हुआ है कि उसके गेंदबाज़ विकेट ले ही लेंगे। अगर ऐसा नहीं हुआ तो डर ये है कि नए-नवेले कप्तान शुभमन गिल पर सिर्फ रिकॉर्ड्स के लिए खेलने वाले आरोप न लगने जाएं कि वह सिर्फ रिकॉर्ड्स सही करने आए हैं बाकी उन्हें टीम की जीत-हार से कोई मतलब नहीं है। इस मामले में इंग्लैंड के पूर्व कप्तान माइकल वॉन ने कोच गौतम गंभीर को निशाना बनाया है। उन्होंने कहा, 'गंभीर की कोचिंग में भारत 9 में से 7 मैच हार चुके हैं, अगर टीम इंडिया के कोच ब्रैंडम मैक्कुलम होते तो कुलदीप यादव खेल रहे होते, आपको 20 विकेट लेने होते हैं मुझे हैरानी है कि कुलदीप नहीं खेल रहे हैं।'

 

वैसे अगर आप पहले और दूसरे टेस्ट मैच की प्लेइंग-11 को देखेंगे को आपको आईपीएल में खेलने वाली टीम जैसा महसूस होगा। आठ बल्लेबाज़, 6 बल्लेबाज़ी ऑप्शन, मगर विकेट लेने का कोई प्लान नहीं। बस रन बनाना है और रोकना है। माने हालात फेवर में तब तक नहीं होंगे जब तक कोई चमत्कार न हो। आप इसे यूं भी कह सकते हैं कि यह टीम एक ऐसे कोच की बनाई हुई है जिन्हें हमेशा व्हाइट बॉल क्रिकेट के लिए जाना गया है, भले ही वे आईपीएल में कामयाब रहे हों मगर रेड बॉल क्रिकेट में यह कम काम करता है।
 
वैसे यह पहली बार नहीं है जब ये सेलेक्शन मॉडल फ्लॉप हुआ हो। न्यूज़ीलैंड के खिलाफ ऐसा हुआ, ऑस्ट्रेलिया में भी यह काम नहीं आया।  मगर जैसे भी सही लेकिन उम्मीद है आगे कुछ बेहतर हो जाए। टेस्ट टीम के इस सेलेक्शन पर आपकी क्या राय है? कुलदीप यादव और अर्शदीप सिंह को नहीं खिलाना क्या बड़ी गलती है? 

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