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देसी पिच पर ICC के किस रवैये पर भड़क गए सुनील गावस्कर?

सुनील गावस्कर ने अपने कॉलम में कहा कि टर्निंग पिचों पर स्पिन खेलना असली बैटिंग स्किल है, जो तेज और उछालभरी पिचों पर तेज गेंदबाजी संभालने से अधिक टैलेंट मांगता है।

Sunil Gavaskar

सुनील गावस्कर, Photo Credit- Social Media

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महान बल्लेबाज सुनील गावस्कर ने पर्थ में खेले गए एशेज टेस्ट के नतीजों पर अपनी नाराजगी दिखाते हुए फिर से एक पुरानी बहस को हवा दे दिया है। पूर्व कप्तान ने इस बात पर नए सिरे से रोशनी डाली है कि बैटिंग स्किल असल में क्या होती है और वह नहीं जो सालों से ग्लोबल कहानी हमें बताते आ रही है। उन्होंने अपने नए स्पोर्टस्टार कॉलम में कहा कि टर्निंग पिचों पर अच्छी स्पिन खेलने के लिए तेज गेंदबाजी को तेज ट्रैक पर संभालने के मुकाबले ज्यादा टैलेंट की जरूरत होती है जो बाउंस और स्पीड के पक्ष में लंबे समय से चले आ रहे झुकाव को चुनौती देता है।

 

सुनील ने यह बात पर्थ एशेज टेस्ट और पिचों के दोहरे मापदंड पर बहस के संदर्भ में लिखा। उन्होंने सबकॉन्टिनेंटल टर्नर का बचाव करते हुए कहा कि ये स्किल लेवल को ही बदल देते हैं। उनके लिए बैटर की तकनीक फुटवर्क और गेम-रीडिंग का असली टेस्ट अभी भी उन पिचों पर होता है जहां बॉल ग्रिप, डिप और टर्न करती है।

 

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टर्निंग ट्रैक के बारे में क्या कहा?

सुनील गावस्कर ने कहा कि असली टेस्ट तब शुरू होता है जब बॉल ग्रिप करने और टर्न करने लगती है। उन्होंने लिखा, 'स्पिन का मुकाबला करने के लिए, यह सिर्फ आगे या पीछे खेलने के बारे में नहीं है, बल्कि पिच पर नीचे जाकर टर्न को रोकने और बॉल पर अटैक करने के बारे में भी है। यहीं पर स्किल काम आती है।' उनका मानना है कि कुछ मॉडर्न बैट्समैन फास्ट बॉलिंग पर स्क्रिप्ट बदलने की कोशिश करते हैं, लेकिन इस तरीके को खारिज करते हैं।

 

वह आगे लिखते हैं, 'हां, मुझे अच्छी तरह पता है कि आज कुछ बैट्समैन पिच पर आगे बढ़कर क्विक्स की तरफ जाते हैं। लेकिन यह कोई रिफ्लेक्स टेक्निकल मूव नहीं, बल्कि एक हताशा में किया गया, पहले से सोचा हुआ तरीका है। यह काम कर सकता है ठीक वैसे ही जैसे बैट्समैन लिमिटेड ओवर्स के शॉट खेलने के लिए स्टंप्स से दूर या उनके पार जाते हैं। स्किल से ज्यादा यह किस्मत है जो इसे काम करवाती है लेकिन कभी भी लगातार यह काम नहीं करता'

 

सुनील ने बड़े ही साफ शब्दों में लिखा, 'मेरे लिए टर्निंग पिच पर खेलने के लिए पेस खेलने से ज्यादा टैलेंट और फुटवर्क की जरूरत होती है। इसलिए अगर आप ऐसी सरफेस पर रन नहीं बनाते हैं तो आप एक महान बैट्समैन नहीं हैं।'

 

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पर्थ में एशेज टेस्ट पर रिएक्शन

यह कॉलम पर्थ में एशेज टेस्ट और वहां की पिच पर हुए रिएक्शन के बैकग्राउंड में लिखा गया है। सुनील ने इस स्थिति में एक पुरानी कहानी की ओर इशारा किया है। उन्होंने लिखा, उनकी यह कहानी कि बाउंस और जान-माल के लिए खतरे वाली पिच कभी खराब नहीं होती, लेकिन जिस पिच पर गेंद टर्न लेती है और नीचे रहती है, वह शर्मनाक होती है और दुख की बात है कि सब-कॉन्टिनेंट के समझदार लोग भी अब भी इस पर यकीन करते हैं।

 

इसके बाद वह इसे इस बात से जोड़ते हैं कि बैटर को कैसे आंका जाता है। उन्होंने लिखा, ' वे किसी बैटर को तभी रेट करेंगे जब वह तेज, बाउंसी पिचों पर शतक बनाए, लेकिन अगर उनके देश का कोई बैटर सब-कॉन्टिनेंट में सेंचुरी नहीं बनाता है, तो भी उसे महान कहा जाएगा।'

 

उनकी नाराजगी मैच में पहले दिन 19 विकेट गिरने और सिर्फ 48 घंटों में मैच खत्म हो जाने पर थी। उनका कहना था कि मैच इस तरह से खत्म हुआ फिर भी ICC के पिच असेसमेंट स्केल के सबसे ऊंचे लेवल पर रेट किया गया।

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