भारतीय क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर को क्रिकेट का भगवान कहा जाता है। सचिन तेंदुलकर ने बल्लेबाजी में इतने कीर्तिमान स्थापित कर दिए हैं कि आने वाले लंबे समय तक उन्हें तोड़ पाना बेहद मुश्किल है। सचिन को न सिर्फ अपने खेल बल्कि अनुशासन, स्वभाव और कई अन्य गुणों की वजह से भी जाना जाता है। हालांकि, इतने सीधे-साधे और स्वीट से सचिन तेंदुलकर भी एक बार अपने गुरु से तमाचा खा गए थे। इस किस्से के बारे में वह खुद ही बताते हैं और याद करते हैं कि आखिर क्यों उनके गुरु रमाकांत अचरेकर ने उन्हें सबके सामने वह थप्पड़ मारा था। उस थप्पड़ ने अपना काम भी कर दिया और सचिन तेंदुलकर सबसे मेहनती और होनहार शिष्य बनकर निकले और क्रिकेट की दुनिया में छा गए।
साल 1981-82 तक अच्छे क्रिकेट कोच के रूप में मशहूर हो चुके रमाकांत अचरेकर के पास अजीत तेंदुलकर अपने छोटे भाई यानी सचिन को लेकर पहुंचे। वह रमाकांत अचरेकर ही थे जिन्होंने न सिर्फ सचिन के टैलेंट को पहचाना बल्कि उसे निखारने में भी मदद की। अचरेकर के पास सचिन के अलावा अजित अगरकर, प्रवीण आमरे और विनोद कांबली जैसे खिलाड़ियों ने भी क्रिकेट के गुर सीखे। हालांकि, इन सबमें सचिन सबसे खास थे। खुद अचरेकर कहते थे कि सचिन की कामयाबी की वजह उनका अनुशासन है।
क्यों पड़ा था थप्पड़?
सचिन तेंदुलकर इस घटना के बारे में खुद बताते हैं कि उनके स्कूल की सीनियर टीम का फाइनल मैच था। ऐसे में इस मैच को देखने के लिए सचिन तेंदुलकर ने अपना मैच और प्रैक्टिस ही छोड़ दी। वह अपनी टीम को चीयर करने के लिए तालियां बजा रहे थे। जब रमाकांत अचरेकर ने सचिन को ऐसा करते देखा तो सबसे सामने ही तमाचा रसीद दिया। उन्होंने सचिन से कहा, 'लोगों को तुम्हें देखकर ताली बजानी चाहिए ना कि तुम स्टैंड में बैठकर ताली बजाओ।' वह दिन सचिन को बदल डालने वाला था। उसके बाद से फिर कभी ऐसा नहीं हुआ कि सचिन क्रिकेट प्रैक्टिस छोड़कर कहीं और चले गए हों।
इसके बाद सचिन ने न सिर्फ अपना नाम रोशन किया बल्कि अपने गुरु को भी खूब सम्मान दिलाया। सचिन जैसे क्रिकेटर्स को तैयार करने की वजह से ही उनके गुरु रमाकांच अचरेकर को साल 1990 में द्रोणाचार्य पुरस्कार से सम्मानित किया गया