हम अक्सर जूते-चप्पल घर के दरवाजे से बाहर ही रखते हैं। इसका मकसद घर में साफ-सफाई से होता है। मगर, बेंगलुरु के एक शख्स को अपने घर के बाहर जूते रखना भारी पड़ गया है। दरअसल, बेंगलुरु के इलेक्ट्रॉनिक्स सिटी फेज-1 में प्रेस्टीज सनराइज पार्क में रहने वाले एक निवासी को अपने फ्लैट के बाहर 'शू रैक' रखने के लिए गर दिन 100 रुपये का जुर्माना भरना पड़ रहा है।
बेंगलुरु में प्रेस्टीज सनराइज पार्क, इलेक्ट्रॉनिक्स सिटी फेज-1 में (1046) यूनिट वाली एक आवासीय परिसर है। मैनेजमेंट ने पिछले दिनों एक फैसला लेते हुए कहा था कि परिसर में शू रैक, गमलों में लगे पौधे और अलमारियों सहित सभी सामान को गैलरी से हटाने की पहल की। लगभग 50 फीसदी निवासियों ने अपना सामान बाहर गैलरी में रखा हुआ था। यह मैंनेजमेंट का नागवार गुजरा क्योंकि यह उसके दिशा-निर्देशों का उल्लंघन करता था।
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मैंनेजमेंट ने निवासियों को नोटिस दिया
प्रेस्टीज सनराइज पार्क के मैंनेजमेंट ने यहां रहने वाले लोगों को नोटिस देकर उनके बातचीत की और कहा कि वे गैलरी में रखा सभी सामान हटा लें। मैंनेजमेंट ने इसके लिए निवासियों को दो महीने की समयसीमा दी थी। शुरुआती विरोध के बावजूद, ज्यादातर लोगों ने घर के बाहर गैलरी से अपने सामान हटा लिए।
दो निवासियों को छोड़, सभी ने सामान हटाया
मैंनेजमेंट के नोटिस के चार हफ्ते बाद प्रेस्टीज सनराइज पार्क में रहने वाले दो निवासियों को छोड़कर सभी ने गलियारों से अपना सामान हटा लिया था। लगातार याद दिलाने के बाद आखिरकार एक निवासी ने भी अपना सामान हटा लिया लेकिन दूसरा निवासी जूता रैक को गलियारे में बाहर रखने पर अड़ा रहा।
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शू रैक गलियारे में रखने वाले निवासी ने मैंनेजमेंट को 15,000 रुपये का अग्रिम भुगतान कर दिया और अनुरोध किया कि इस पैसे को भविष्य के जुर्माने के लिए इस्तेमाल किया जाए। साथ ही निवासी ने कहा कि उसके शू रैक को ना हटाया जाए और उसे परेशान ना किया जाए। बढ़ते जुर्माने के बावजूद निवासी ने शू रैक हटाने से मना करते हुए मैंनेजमेंट को पैसे देना जारी रखा।
जुर्माने को 100 से बढ़ाकर 200 रुपये करने की योजना
मैंनेजमेंट के अध्यक्ष अरुण प्रसाद जानकारी देते हुए बताया है कि अड़ियल निवासी अभी तक हमें पिछले आठ महीनों में 24,000 रुपये का जुर्माना भर चुका है। उन्होंने कहा कि मैंनेजमेंट स्थिति से निपटने के लिए निवासी के ऊपर दैनिक जुर्माने को 100 रुपये से बढ़ाकर 200 रुपये करने की योजना बना रहा है। बता दें कि अग्नि सुरक्षा नियमों के मुताबिक, इमरजेंसी के दौरान सुरक्षित निकासी के लिए ऊंची इमारतों के गलियारे बाधाओं से मुक्त होने चाहिए।