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बिहार का भीमबांध अभयारण्य प्रोजेक्ट है क्या, मुंगेर में क्या बदलेगा?

बिहार के उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने मुंगेर जिले के प्रसिद्ध भीमबांध वन्यजीव अभयारण्य को अंतरराष्ट्रीय पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने के लिए प्रस्ताव पारित करने के निर्देश दिए हैं।

Bhimbandh Wildlife Sanctuary

भीमबांध अभ्यारण बिहार: Photo Credit: Sovial Media

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संजय सिंह, पटना: बिहार सरकार ने मुंगेर जिले के प्रसिद्ध भीमबांध वन्यजीव अभयारण्य को अंतरराष्ट्रीय पर्यटन मानचित्र पर स्थापित करने की दिशा में बड़ा कदम उठाया है। उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने इस ऐतिहासिक वन क्षेत्र के पूरे विकास के लिए एक व्यापक परियोजना प्रस्ताव तैयार करने के निर्देश दिए हैं, जिसमें पर्यावरण संरक्षण के साथ आधुनिक पर्यटन सुविधाओं के विकास पर विशेष जोर दिया गया है।

 

घने जंगलों, गर्म जलधाराओं और समृद्ध जैव विविधता के लिए प्रसिद्ध भीमबांध को विश्वस्तरीय पर्यटन केंद्र के रूप में विकसित करने की योजना न केवल पर्यटकों को आकर्षित करेगी, बल्कि स्थानीय लोगों के लिए रोजगार और आर्थिक अवसर भी पैदा करेगी। प्रस्तावित मास्टर प्लान में आसपास के प्राकृतिक और धार्मिक स्थलों को पर्यटन सर्किट से जोड़ने के साथ-साथ आदिवासी और स्थानीय समुदायों के सामाजिक-आर्थिक विकास को भी केंद्र में रखा गया है। यह परियोजना मुंगेर जिले के लिए नई पहचान और बिहार के पर्यटन भविष्य के लिए एक अहम मोड़ साबित हो सकती है।

 

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आधुनिक सुविधाओं पर रहेगा फोकस

तैयार होने वाले मास्टर प्लान में पर्यटन, पर्यावरण संरक्षण और स्थानीय विकास के बीच संतुलन बनाए रखने पर जोर दिया जाएगा। योजना के तहत वन अनुभव केंद्र, प्रशिक्षण और कार्यशाला स्थल, योग और वेलनेस केंद्र, आयुर्वेद सुविधा, इनडोर गतिविधि क्षेत्र, कैफे और आधुनिक भोजनालय बनाए जाने का प्रस्ताव दिया जाएगा है।

 

इसके अलावा प्रशासनिक भवन, सभागार, बेहतर सुरक्षा व्यवस्था, गर्म पानी के प्राकृतिक कुंड, ट्री हाउस और कॉटेज, ऊंचे व्यू प्वाइंट, ट्रैकिंग के लिए रास्ते, प्राकृतिक सौंदर्यीकरण और भीमसेन कुंड के विकास को भी योजना में शामिल किया जाएगा। पर्यटकों के लिए प्राकृतिक समीक्षा स्थलों को भी बेहतर बनाया जाएगा।

आसपास के स्थलों को भी पर्यटन से जोड़ा जाएगा

भीमबांध के विकास के साथ-साथ इसके आसपास मौजूद बेलाटांड़, चोरमारा, नारोकोल, बहेराटांड़, बघेल, कुकुरझाप धाम, खड़गपुर झील और भौराकोल झील जैसे प्राकृतिक और धार्मिक स्थलों को भी पर्यटन मानचित्र पर लाने की योजना है। इन सभी जगहों को एक पर्यटन सर्किट के रूप में विकसित किया जाएगा, जिससे पर्यटक ज्यादा समय तक क्षेत्र में रुक सकें और स्थानीय कारोबार को बढ़ावा मिले।

 

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आदिवासी और स्थानीय लोगों को मिलेगा लाभ

उपमुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि भीमबांध क्षेत्र में रहने वाले लगभग 12 से 13 हजार आदिवासी और स्थानीय परिवारों को इस परियोजना से सीधा लाभ मिलना चाहिए। इसके लिए रोजगार के अवसर, कौशल प्रशिक्षण और आय बढ़ाने वाले कार्यक्रमों को योजना में शामिल किया जाएगा।

 

वनों से प्राप्त कच्चे माल, होमस्टे सुविधा, पर्यटक गाइड प्रशिक्षण, स्थानीय हस्तशिल्प को बढ़ावा और ग्रामीण उद्यमिता को मजबूत करने पर विशेष ध्यान दिया जाएगा, जिससे लोगों की आर्थिक स्थिति सुधर सके।

मुंगेर को मिलेगी नई पहचान

भीमबांध वन्यजीव अभयारण्य अपनी घनी हरियाली, गर्म पानी के कुंड, दुर्लभ वन्यजीवों और शांत वातावरण के लिए जाना जाता है। अगर इसका विकास वैज्ञानिक और पर्यावरण अनुकूल तरीके से किया गया, तो मुंगेर जिले को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिल सकती है।

 

उपमुख्यमंत्री ने कहा कि भीमबांध का विकास बिहार सरकार की प्राथमिकताओं में शामिल है और यह योजना पूरे क्षेत्र के लिए बदलाव लाने वाली साबित होगी। योजना पूरी होते ही इसे उच्च स्तर पर मंजूरी के लिए भेजा जाएगा और मंजूरी मिलते ही काम तेजी से शुरू किया जाएगा।

 

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