नक्सलवाद को खत्म करने की दिशा में एक और कदम, 3 इनामी नक्सलियों ने किया समर्पण
बिहार में 3 लाख के इनामी नक्सलियों ने समर्पण कर दिया है। उनके पास से 2 इनसास, 4 एसएलआर, 500 चक्र जिंदा कारतूस व 10 वॉकी-टॉकी बरामद किए गए हैं।

प्रतीकात्मक तस्वीर, Photo Credit: Social Media
संजय सिंह, पटना: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने नक्सलवाद के खिलाफ बड़ी घोषणा की थी कि सरकार का लक्ष्य 31 मार्च 2026 तक पूरे देश से नक्सलवाद को समाप्त करना है। उन्होंने बताया था कि सुरक्षा बलों की सख्त कार्रवाई, बेहतर खुफिया तंत्र और केंद्र-राज्य समन्वय से नक्सल प्रभावित इलाकों में हालात तेजी से बदले हैं। गृह मंत्री ने कहा कि हिंसा में भारी कमी आई है और विकास योजनाएं अंतिम व्यक्ति तक पहुंच रही हैं।
उन्होंने सुरक्षा बलों के जवानों के साहस की सराहना करते हुए कहा कि भारत अब नक्सल हिंसा से स्थायी मुक्ति की ओर निर्णायक कदम बढ़ा चुका है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की घोषणा सही साबित होते दिख रही है। अब बड़ी संख्या में आत्म समर्पण सह पुनर्वास नीति के तहत नक्सली आत्म समर्पण करने लगे हैं। इसी कड़ी में हवेली खड़गपुर में भी तीन नक्सलियों ने आत्म समर्पण किया।
नक्सलियों ने किया आत्मसमर्पण
हवेली खड़गपुर के आरएसके उच्च विद्यालय में आत्म समर्पण सह पुनर्वास नीति के तहत 28 दिसंबर 2025 को पुलिस महानिदेशक विनय कुमार और एडीजी कुंदन कृष्णन के समक्ष तीन हार्डकोर नक्सलियों ने आत्मसमर्पण कर समाज की मुख्यधारा में लौटने का संकल्प लिया। आत्मसमर्पण करने वालों में भाकपा (माओवादी) संगठन के जोनल कमांडर नारायण कोड़ा और सब-जोनल कमांडर बहादुर कोड़ा जैसे शीर्ष हार्डकोर नक्सली शामिल हैं। इन दोनों पर 23 से 24 गंभीर नक्सली मामलों में संलिप्तता दर्ज है।
इनके अलावा एक दस्ता सदस्य विनोद कोड़ा ने भी आत्मसमर्पण किया। आत्मसमर्पण के दौरान नक्सलियों ने सुरक्षा बलों के समक्ष दो इनसास राइफल, चार एसएलआर राइफल, 500 जिंदा कारतूस, 10 वॉकी-टॉकी एवं अन्य नक्सली सामग्री सौंपा। इस मौके पर पुलिस उप महानिरीक्षक राकेश कुमार, एसटीएफ के एसपी संजय कुमार, एसपी इमरान मसूद, डीएसपी सुनील शर्मा, सुमित आर्य आदि समेत पुलिस पदाधिकारी और पुलिस कर्मी मौजूद थे। संचालन शिक्षक उमाशंकर सिंह कर रहे थे।
कई मामले दर्ज
आत्म समर्पण सह पुनर्वास नीति के तहत आत्म समर्पण करने वाले नक्सलियों पर कई मामले दर्ज हैं। मुंगेर जिला के लड़ेयाटांड़ थाना क्षेत्र के पैसरा निवासी जोनल कमांडर नारायण कोड़ा, पिता स्व रघु कोड़ा है जिस पर 23 कांड दर्ज है। वहीं हवेली खड़गपुर थाना क्षेत्र के बघेल निवासी सब-जोनल कमांडर बहादुर कोड़ा, पिता–स्व. बुटर कोड़ा पर 24 मामला दर्ज है। जबकि लखीसराय जिला के कजरा थाना क्षेत्र के शीतला कोड़ासी निवासी दस्ता सदस्य विनोद कोड़ा, पिता-सोनलाल कोड़ा शामिल है जिस पर 03 कांड दर्ज है।
आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों को बिहार सरकार की आत्मसमर्पण-सह-पुनर्वास नीति के तहत 3 लाख तक की इनामी राशि, 2.50 लाख की प्रोत्साहन राशि, 36 माह तक 10,000 प्रतिमाह स्टाइपेंड, प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत घर, रोजगार, प्रशिक्षण, राशन कार्ड, आयुष्मान कार्ड, बच्चों की शिक्षा और सामाजिक सुरक्षा की सुविधा प्रदान की जाएगी।
बोले एडीजीपी
एडीजीपी कुंदन कृष्णन ने कहा कि बिहार पुलिस जिला बल और विशेष कार्य बल के सतत अभियान से नक्सल प्रभावित इलाकों में भयमुक्त वातावरण स्थापित हुआ है। उन्होंने कहा कि वर्ष 2025 में अब तक तीन इनामी नक्सली मुठभेड़ में मारे गए है जबकि 03 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया है। वहीं 132 नक्सलियों की गिरफ्तारी हुई है। उन्होंने कहा कि आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों को सरकार की नीति के तहत प्रोत्साहन राशि के साथ उन्हें आवास, रोजगार, जन वितरण, शिक्षा, पेंशन, पशुपालन, शौचालय, स्वास्थ्य, एवं बच्चों की शिक्षा शादी से जुड़ी योजनाएं उपलब्ध कराया जा रहा है।
क्या बोले डीजीपी
डीजीपी विनय कुमार ने कहा कि नक्सल गतिविधियों से बिहार आक्रांत रहा है। 1990 के बाद नक्सलवाद का प्रभाव इतना व्यापक हो गया उस भयावह स्थिति से बिहार जूझ रहा था। 2005 के बाद से सरकार के द्वारा आपकी सरकार आपके द्वार कार्यक्रम चलाया गया। सरकार के स्तर से इतने कार्यक्रम चलाए जा रहे है कि नक्सल संगठन में कार्य की कोई आवश्यकता नहीं रह गई।
उन्होंने कहा कि भीमबांध, चोरमारा में एकलव्य स्कूल खोलने की योजना है। जिसमें आदिवासी क्षेत्र से जुड़े बच्चे पढ़ाई कर सकेंगे। भीमबांध और आसपास के इलाकों को पर्यटन के दृष्टिकोण से संवारा जाएगा और वन संसाधनों का उपयोग कर सुरक्षा के स्तर पर कार्य करेंगे।
पुलिस में 22000 प्रशिक्षण केंद्र का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। जिसकी जीविका दीदी भोजन बनाने का काम, वर्दी की सिलाई भी करेंगी। पुलिस केंद्र में सिलाई केंद्र की व्यवस्था करने जा रहे है। भीमबांध और गोरमाहा, चोरमरा में दुर्गम, जंगली, पहाड़ी इलाकों में आने वाले चार पांच वर्षों में परिस्थितियां बदलने वाली है। विकास के नए कार्यक्रम शुरू हो रहे है। सरकार और प्रशासन के स्तर से कई विकासशील कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं। प्रशासन के पदाधिकारी आपके बीच जाकर जनता दरबार लगाएंगे, कैंप करेंगे और आपकी समस्या का समाधान करेंगे।
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