बिहार की राजधानी पटना में सर्वेक्षण कर्मचारी धरने पर बैठे हैं। उनकी मांग है कि उन्हें स्थाई नौकरी दी जाए। उनके रोके गए वेतन को जल्द से जल्द दिया जाए और धरने पर बैठने की वजह से उनका वेतन न काटा जाए। बुधवार को भारतीय जनता पार्टी के कार्यकाल के बाहर धरना दिया। आंदोलनकारियों का कहना है कि जब तक उनकी मांगें पूरा नहीं होगा, व्यापक आंदोलन जारी रहेगा।
सर्वेक्षण संविदा कर्मियों का कहना है कि उनका भविष्य अनिश्चित है। उन्हें महीनों से वेतन नहीं मिला है। सरकार 1 करोड़ नई नौकरियों का वादा कर रही है और बकाया वेतन तक नहीं दे रही है। कर्मचारियों का कहना है कि उनकी मांगें पूरी जाएं। पटना में बीजेपी दफ्तर के बाहर सैकड़ों कर्मचारी बैठे, जिन्हें पुलिस ने हटा दिया।
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कर्मचारी क्यों धरने पर बैठे?
भू-अभिलेख और परिमाप विभाग में काम कर रहे विशेष सर्वेक्षण कर्मी 5 साल से काम कर रहे हैं। उन्हें विशेष सर्वेक्षण सहायक बंदोबस्त पदाधिकारी, कानूनगो, अमीन और लिपिक जैसे पदों पर रखा गया था। कर्मचारी बीते 5 साल से लगातार काम कर रहे हैं, जमीन पर मेहनत कर रहे हैं फिर भी उनकी नियुक्ति को लेकर स्थाई फैसला नहीं किया गया है।
स्थाई नौकरी के लिए क्या तर्क दे रहे हैं कर्मचारी?
संविदा कर्मचारियों का कहना है कि अगर उन्होंने 5 साल से काम किया है, विभाग के लिए मेहनत की है तो विभाग भी उनके भविष्य के बारे में सोचे। उन्होंने अपने करियर के 5 साल इस विभाग को दिए हैं, अब अगर यहां से हटाए जाते हैं तो उनका भविष्य अनिश्चित होगा। सरकार बातचीत के जरिए यह मुद्दा सुलझाए।
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कर्मचारियों को क्या बात खटक रही है?
संविदा कर्मचारियों का कहना है कि 8 जून 2022 और 21 जनवरी 2023 को जब निदेशक और संघ के प्रतिनिधियों के बातचीत हुई थी, तब कई मुद्दों पर उनकी सहमति बनी थी। जब सहमति बनी थी तो आदेश क्यों नहीं जारी किया गया। राजस्व विभाग ऐसा न करके उनके साथ धोखा कर रहा है। कर्मचारी पहले भी सत्याग्रह पर बैठ चुके हैं, राजस्व विभाग ने उनकी मांगों को अनसुना किया है।
विभाग क्या कार्रवाई कर रहा है?
- सरकार ने 3 सितंबर तक काम पर लौटने का वक्त दिया था, यह समय सीमा कई बार बढ़ाई जा चुकी है
- अनुशासनहीनता में नाम आया तो संविदा रद्द कर दिया जाएगा
- हड़ताल से लौटने वालों पर दबाव डालने वाले लोगों पर भी कार्रवाई की जाएगी
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सर्वेक्षण संविदा कर्मचारी और अभियंता संघ की मांग क्या है?
- धरना और सत्याग्रह में बर्खास्त कर्मचारियों को बहाल किया जाए
- विशेष सर्वेक्षण कर्मी और विशेष सर्वेक्षण सहायक बंदोबस्त पदाधिकारियों को नियमित किया जाए
- विशेष सर्वेक्षण कानूननगो, विशेष सर्वेक्षण आमीन और लिपिक को निमित किया जाए
- 60 साल तक सेवा के लिए इन्हें नियमित किया जाए, अभियंत्रण और अन्य विभागों में समायोजित करें
- विशेष सर्वेक्षण पदाधिकारियों को अभियंता असैनिक, कनिष्ठ अभियंता सैनिक, उच्च वर्गीय लिपिक जैसे पदों पर हर साल काम करने के लिहाज से 5 अंक की छूट दी जाए
- वेतन बढ़ाया जाए, अन्य विभागों में समान काम करने वाले लोगों के लिए एक समान वेतन हो
- महंगाई भत्ता दिया जाए, नए पदनामों पर विचार किया जाए
- तमिलनाडु की तरह ही विशेष सर्वेक्षण कानूनगो का पदनाम राजस्व अधिकारी कानूनगो किया जाए
- इंधन भत्ता बढ़ाकर एकमुश्त 3000 कर दिया जाए
- अधिकारियों के साथ हुई बैठक में बनी सहमति को लागू किया जाए
- सभी विशेष सर्वेक्षण कर्मियों को कर्मचारी राज्य बीमा निगम (ESIC) कार्ड दिया जाए
- EPFO में सरकार की ओर से अंशदान दिया जाए
- धरना और सत्याग्रह की अवधि को अर्जित अवकाश में बदला जाए, मानदेय दिया जाए
सरकार ने कई कर्मचारियों को किया बर्खास्त
राजस्व विभाग ने हड़ताल पर बैठे कई विशेष सर्वेक्षण कर्मियों की सेवाएं समाप्त कर दी हैं। राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग ने विशेष सर्वेक्षण संविदा कर्मियों के हड़ताल पर पहले ही कड़ी चेतावनी दी थी। विभाग ने कहा था कि जो भी कर्मी काम पर नहीं लौटेंगे, उन्हें बाहर करने पर विचार ही नहीं किया जाएगा। यह हड़ताल 16 अगस्त से ही जारी है।