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आंखों की रोशनी गई तब जागा प्रशासन, कार्बाइड गन पर बवाल की पूरी कहानी

मध्य प्रदेश से लेकर उत्तर प्रदेश तक, कार्बाइड गन के इस्तेमाल की वजह से कई लोगों की आंखों में चोट लगी है। आखिर यह धड़ल्ले से बिक क्यों रही थी, आइए जानते हैं।

Rajendra Shukla, Deputy CM, Madhya Pradesh

मध्य प्रदेश के डिप्टी सीएम राजेंद्र शुक्ल, पीड़ितों से मिलते हुए। (Photo Credit: Rajendra Shukla/X(

नवरात्रि से शुरू होकर दीपावली और छठ तक पटाखों की बिक्री देश में धड़ल्ले से होती है। देशभर में पटाखों के दाम फेस्टिव सीजन में और बढ़ जाते हैं। 18 फीसदी जीएसटी वाले इस उद्योग के उत्पाद बेहद महंगे होते हैं, महंगे पटाखों के विकल्प में लोगों ने देसी और घरेलू जुगाड़ से कर्बाइड गन बनाना शुरू किया। 140 रुपये किलो मिलने वाले विस्फोटक कार्बाइड से सैकड़ों फायरिंग की जा सकती है। अगर इतने पटाखे खरीदने हों तो हजारों रुपये खर्च हो जाएंगे। युवाओं में कार्बाइड गन तेजी से लोकप्रिय हुई तो इस दीपावली पर इसकी वजह से सैकड़ों लोगों की आंखें चोटिल हुईं।

कार्बाइड गन, आंखों की रोशनी छीन रही है। हल्का सा पानी, एक टुकड़ा कार्बाइड और एक लाइटर से होने वाले इस खेल में कई लोगों ने अपनी आंखें गंवा दी हैं। यूपी से लेकर मध्य प्रदेश तक में लोगों ने कार्बाइड गनों के इस्तेमाल की वजह से आंखें गंवाईं हैं। वजह यह है कि कार्बाइड गन को पेशेवर लोग नहीं बनाते। पाइप ऐड करके लोग अपने घर पर ही बना लेते हैं। किसी भी सुरक्षा मानक का ख्याल नहीं रखा जाता। यह हथियार जानलेवा साबित हो रहा है।

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मध्य प्रदेश में 300 लोगों ने गंवाई आंख

कई रिपोर्ट में दावा किया गया है कि मध्य प्रदेश में दीपावली पर पटाखे फोड़ने की वजह से 300 लोगों ने अपनी आंखें गंवा दी है। लोग कार्बाइड गन फटने की वजह से चोटिल हुए थे, आंखों में गंभीर चोटें आईं थीं। 30 से ज्यादा लोगों की हालत गंभीर है, ऐसा हो सकता है कि रोशनी हमेशा के लिए चली जाए। 

मध्य प्रदेश में इस मामले में इतना तूल पकड़ लिया कि सरकार तक को अलर्ट होना पड़ा। उपमुख्यमंत्री राजेंद्र शुक्ला ने एक समीक्षा बैठक बुलाई। भोपाल, ग्वालियर और विदिशा में कई जगह यह वारदात सामने आई है। 

 

 

यूपी-बिहार में भी सामने आए मामले 

यूपी और बिहार में भी कई शहरों में सामने आए मामले सामने आए। यूपी के सिद्धार्थनगर में भी एक ऐसा ही मामला सामने आया। दीपावली की रात एक 8 साल के बच्चे की आंख कार्बाइड गन से तबाह होते-होते बची है। आनन-फानन में बच्चे को जिला अस्पताल ले जाया गया, वहां से बलरामपुर रेफर हुआ फिर अब भैरहवां में ले जाना पड़ा।  

बच्चे के चाचा पिंटू तिवारी ने कहा, 'बंदूक में मसाला डालने के बाद बच्चे से चूक हो गई। लाइटर ठीक ढंग से बंधा नहीं था। वहीं से चिंगारी सीधे आंख में घुस गई। कई बार आंख धुली गई लेकिन राहत नहीं मिली। आनन-फानन में जिला अस्पताल गए, वहां से रेफर कर दिया गया। बलरामपुर से लेकर नेपाल तक दौड़ना पड़ा। हम कभी इसका इस्तेमाल नहीं करेंगे।'

 

 


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खतरनाक फिर भी धड़ल्ले से बिक रही 

राजस्थान, मध्य प्रदेश से लेकर उत्तर प्रदेश तक यह गन धड़ल्ले से बिक रही है। मध्य प्रदेश में सबसे ज्यादा मामले सामने आए हैं, वहां बेहद सख्ती से इन्हें जब्त किया जा रहा है। कार्बाइड गन, ऑनलाइन 'PVC मंकी रिपेलर गन' के नाम से बिक रहीं थीं। इन्हें पारंपरिक पटाखों के विकल्प से इस्तेमाल किया जा रहा था। दीपावली से हफ्तों पहले इनकी ऑनलाइन सेल पर रोक लगाई थी, फिर भी ई-कॉमर्स साइट्स पर ये 500 से 2000 रुपये में बिक रही थीं। पटाखों की दुकानों पर भी इन्हें खूब बेचा-खरीदा जा रहा था। पुलिस ने सड़क किनारे बिक रही कार्बाइड गनों और कैल्शियम कार्बाइड पर रोक लगाया गया। प्रशासन ने लोगों से इसे न खरीदने की अपील की है। 

 

राजेंद्र शुक्ला, उपमुख्यमंत्री, मध्य प्रदेश:-
सरकार स्थिति पर नजर रख रही है और घायल बच्चों का इलाज किया जा रहा है। ऐसी बंदूकों और पटाखों के निर्माण और बिक्री की जांच होगी। दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।  


भोपाल में कार्बाइड गन पर बैन, देर से जागा प्रशासन

भोपाल में बच्चों के आंखों में चोट लगने की घटनाओं के बाद प्रशासन ने कार्बाइड गन के इस्तेमाल पर रोक लगा दी है। आदेश के मुताबिक, कोई भी व्यक्ति, संगठन या व्यापारी ऐसी पटाखों या कार्बाइड बंदूकों का निर्माण, भंडारण, बिक्री या खरीद नहीं कर सकता, जो लोहे, स्टील या पीवीसी पाइप में विस्फोटक भरकर तेज आवाज करती हों। यह आदेश भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 की धारा 163 के तहत जारी किया गया है। आदेश में कहा गया है कि ऐसी गैरकानूनी पटाखों या उपकरणों की बिक्री, वितरण या प्रदर्शन पूरी तरह प्रतिबंधित है। पुलिस, मजिस्ट्रेट और संबंधित विभाग इसकी सख्ती से निगरानी करेंगे। 

 

 



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कार्बाइड गन क्या है?

कार्बाइड गन एक देसी जुगाड़ से तैयार धमाके वाला हथियार है, जिसे PVC पाइपों की मदद से तैयार किया जाता है। इसमें कैल्शियम कार्बाइड डाला जाता है फिर पानी मिलाने पर एसिटिलीन गैस बनती है, जो इग्नाइट होकर जोरदार धमाका करती है। 

किस काम में आती है कार्बाइड गन?

किसान जंगली जानवर भगाने या बच्चे दिवाली पर पटाखों के विकल्प के तौर पर इस्तेमाल करते हैं। यह सस्ती लेकिन खतरनाक है। धमाके से उड़ने वाले कण आंखों को चोट पहुंचाते हैं, जिससे अंधापन हो सकता है। 

खतरनाक है फिर क्यों धड़ल्ले से बिक रही है?

कार्बाइड गन सिर्फ 100 से 200 रुपये में तैयार हो जाती है। पटाखे महंगे पड़ते हैं। इसे लोग PVC पाइप से खुद ही तैयार कर लेते हैं। कैल्शियम कार्बाइड गन घरेलू जुगाड़ से तैयार किया जाता है। इंस्टाग्राम-यूट्यूब पर वायरल वीडियो की वजह से लोगों में इसे लेकर और क्रेज बढ़ गया। अब इन्हें राष्ट्रीय स्तर पर बैन करने की मांग हो रही है।  

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