चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) जनरल अनिल चौहान ने शुक्रवार को कहा कि चीन के साथ भारत का सीमा विवाद देश के लिए सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक है। सीडीएस का यह बयान ऐसे समय में आया है जब अमेरिका के साथ रिश्ते खराब होने के बाद भारत सरकार चीन के साथ कुटनीतिक नजदिकियां बढ़ा रही है। इसकी बानगी शंघाई सहयोग संगठन शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की मुलाकात के दौरान दिखी थी।
दरअसल, जनरल अनिल चौहान, महंत दिग्विजयनाथ और महंत अवैद्यनाथ की पुण्यतिथि पर आयोजित वार्षिक व्याख्यानमाला में शामिल होने शुक्रवार को गोरखनाथ मंदिर पहुंचे हैं। यह बयान उन्होंने गोरखपुर में दिया है। एक सभा को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि चीन का सीमा विवाद सबसे बड़ी चुनौती बना हुआ है। उन्होंने इसके अलावा कहा कि भारत के खिलाफ पाकिस्तान का छद्म युद्ध अगला बड़ा मुद्दा है। उन्होंने आगे कहा कि पाकिस्तान की रणनीति 'हमेशा से भारत को हजार ज़ख्म देकर लहूलुहान करने' की रही है।
यह भी पढ़ें: बैकफुट पर आ गए अजित पवार, महिला IPS को डांटने पर दी लंबी-चौड़ी सफाई
सीडीएस ने क्या कहा?
अनिल चौहान ने कहा कि देशों के सामने चुनौतियां क्षणिक नहीं हैं, वे अलग-अलग रूपों में मौजूद हैं। उन्होंने कहा, 'मेरा मानना है कि चीन के साथ सीमा विवाद भारत के लिए सबसे बड़ी चुनौती है और आगे भी रहेगी। दूसरी बड़ी चुनौती पाकिस्तान का भारत के खिलाफ छद्म युद्ध है।'
सीएम योगी आदित्यनाथ भी रहे मौजूद
इस दौरान यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी मौजूद रहे। जनरल चौहान ने कहा कि इस भारत की सीमा सात देशों से लगती है जिससे यह अत्यधिक संवेदनशील बन जाता है। उन्होंने कहा, 'आतंकवाद एक बड़ी चुनौती रहा है। मगर इसका प्रभाव घटा है लेकिन नए गैर परंपरागत खतरे उभर रहे हैं जो हमेशा दिखाई नहीं देते।'
यह भी पढ़ें: GST में होगा और सुधार! निर्मला सीतारमण ने किया 3.0 की तरफ इशारा
उन्होंने आगे कहा, 'एक और चुनौती यह है कि युद्ध के क्षेत्र बदल गए हैं। अब इसमें साइबर और अंतरिक्ष भी शामिल हैं। हमारे दोनों ही प्रतिद्वंद्वी परमाणु शक्ति संपन्न हैं और यह तय करना हमेशा एक चुनौती बना रहेगा कि हम उनके खिलाफ किस तरह के अभियान चलाना चाहते हैं।'
ऑपरेशन सिंदूर का भी किया जिक्र
उन्होंने इसी साल मई महीने में पाकिस्तान के खिलाफ ऑपरेशन सिंदूर पर भी बात की। उन्होंने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान सशस्त्र बलों को पूरी तरह से परिचालन स्वतंत्रता थी और इसका मकसद हमारे धैर्य की सीमा रेखा खींचना था। उन्होंने कहा, 'ऑपरेशन सिंदूर के दौरान हमें योजना बनाने और लक्ष्यों के चयन सहित पूरी तरह से परिचालन स्वतंत्रता थी। इसका मकसद आतंकवादी हमले का बदला लेना नहीं, बल्कि हमारे धैर्य की सीमा रेखा खींचना था।'
उन्होंने आगे कहा कि ऑपरेशन सिंदूर एक बहु-क्षेत्रीय अभियान था, जिसमें साइबर वॉर और तीनों सेनाओं के बीच बेहतरीन समन्वय रहा।