चंडीगढ़ में घुसते ही पुलिसवाला नहीं देगा हाथ, डीजीपी का फरमान
चंडीगढ़ ट्रैफिक पुलिस अब किसी भी वाहन को रोककर चालान नहीं काट सकेगी। डीजीपी सागर प्रीत हुड्डा के निर्देश पर रिश्वतखोरी और मनमानी रोकने के लिए यह सख्त कदम उठाया गया है।

सागर प्रीत सिंह हुड्डा, डीजीपी चंडीगढ़ । Photo Credit: AI Generated
हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, पंजाब और यूपी के दूरदराज के इलाकों से चंडीगढ़ आने वालों के लिए एक राहत की खबर है। अब तक चंडीगढ़ में घुसते ही कोई न कोई पुलिसवाला हाथ देकर उन्हें रोक लेता था और वाहन संबंधी कुछ न कुछ कमियां निकालकर चालान थमा ही देता था। लोग भी डर की वजह से पुलिस की फरमाइश के सामने झुक जाते थे, लेकिन अब लोगों को इससे निजात मिल गई है।
चंडीगढ़ के डीजीपी सागर प्रीत हुड्डा ने सोमवार शाम सेक्टर-9 पुलिस मुख्यालय में आईपीएस अधिकारियों के साथ बैठक की और निर्देश दिया कि कोई भी पुलिसकर्मी किसी भी वाहन का चालान नहीं काटेगा। इसके बाद तो पूरे महकमे में यह खबर जंगल की आग की तरह फैल गई। पुलिसवाले अब सिर्फ ट्रैफिक कंट्रोल का काम करेंगे उन्हें किसी भी गाड़ी को रोकने या चालान करने का अधिकार नहीं होगा। अगर किसी पुलिसकर्मी को चालान काटते हुए पाया जाता है तो उनके खिलाफ विभागीय कार्रवाई की जाएगी।
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वीडियो आए थे सामने
हाल ही में पंजाब के सीएम भगवंत ने इसे लेकर तंज कसा था और कुछ ऐसी वीडियोज़ भी सामने आई थीं, इसके बाद ही यह फैसला लिया गया है। ट्रैफिक विंग के कुछ पुलिसकर्मियों पर पंजाब और हरियाणा और अन्य दूसरे राज्यों से आने वाले वाहनों को रोककर पैसे वसूलने के आरोप लगे थे। सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हुआ था जिसमें एक ट्रैफिक कांस्टेबल 500 रुपये रिश्वत लेते हुए नजर आया था।
यह वीडियो हरियाणा के पंचकूला निवासी एक ब्लॉगर ने रिकॉर्ड किया था। ब्लॉगर ने बताया कि ट्रैफिक पुलिसकर्मी ने उसे रॉन्ग साइड से आने पर रोका और फिर पैसों की मांग की। ब्लॉगर का कहना था कि दूसरी ओर पानी भरा हुआ था, इसलिए उसे गलत साइड से आना पड़ा, लेकिन ट्रैफिक पुलिस ने उसकी एक न सुनी। कांस्टेबल ने चालान की 'स्लिप' देने की बात कही लेकिन अधिकारियों का कहना है कि चंडीगढ़ में चालान की प्रक्रिया पूरी तरह से ऑनलाइन है, इसलिए कॉन्स्टेबल के चालान की स्लिप देने की बात गलत है।
इस घटना के बाद संबंधित कांस्टेबल को तत्काल सस्पेंड कर विभागीय जांच शुरू कर दी गई। वहीं, ट्रैफिक विंग के एक मुंशी का भी तबादला कर दिया गया, जिस पर चौक एरिया और ट्रैफिक लाइट प्वाइंट्स पर ड्यूटी लगाने के लिए 'बोली लगवाने' का आरोप था। सूत्रों के मुताबिक, कुछ चौराहे लाखों रुपये में बांटे जाते थे।
हाईटेक कैमरों से होता है चालान
चंडीगढ़ में चालान की प्रक्रिया पूरी तरह से ऑनलाइन है और स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत शहर में अब तक कुल 2130 सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं। इनमें से 40 कैमरे प्रमुख लोकेशनों पर लगे हुए हैं और 1433 कैमरों को सीधे पुलिस कंट्रोल रूम से जोड़ा गया है। 1015 आईटीएमएस कैमरों में से 159 कैमरे रेड लाइट जंप करने वालों की पहचान करते हैं।
ऐसे में सवाल है कि जब पूरी की पूरी प्रक्रिया ऑनलाइन है तो फिर पुलिस वाले किस तरह से चालान काट रहे हैं। यह नहीं ट्रैफिक व्यवस्था को और स्मार्ट बनाने के लिए ट्रैफिक लाइट प्वाइंट्स पर ऑटोमेटिक क्यू डिटेक्शन सिस्टम (QDS) लगाए गए हैं। यह ऐसा सिस्टम ऐसा है कि सड़क पर मौजूद वाहनों की संख्या के आधार पर ट्रैफिक लाइट के जलने की टाइमिंग खुद तय करेगा। इस तकनीक को 40 प्रमुख प्लाइंट्स पर 163 जगहों पर लगाया गया है।
कई बार हुईं शिकायतें
चंडीगढ़ पुलिस पर अक्सर यह आरोप लगता रहा है कि वह खासकर पंजाब और हरियाणा की नंबर प्लेट वाली गाड़ियों को निशाना बनाकर चालान करती है। पर्यटक और आम नागरिकों ने कई बार ट्रैफिक पुलिस द्वारा बेवजह रोककर दस्तावेजों की जांच, पूछताछ और बदसलूकी की शिकायतें की थीं। ये सारे आरोप अब डीजीपी स्तर तक पहुंच चुके थे, जिसके बाद यह कड़ा कदम उठाया गया है। अब कोई भी ट्रैफिक पुलिसकर्मी तब तक किसी वाहन को नहीं रोक सकेगा और उसका चालान नहीं कर सकेगा।
भगवंत मान ने कसा था तंज
इस पूरे घटनाक्रम के बीच पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने भी चंडीगढ़ ट्रैफिक पुलिस पर तंज कसा था। फाजिल्का में एक कार्यक्रम के दौरान उन्होंने कहा कि चंडीगढ़ पुलिस का पूरा फोकस चालान काटने पर रहता है, जबकि पंजाब की सड़क सुरक्षा फोर्स ने पिछले एक साल में 35,000 से ज्यादा लोगों की जान बचाई है। उन्होंने कहा कि केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने भी संसद में पंजाब फोर्स की सराहना की थी। इसके बाद इस मामले ने और भी ज्यादा तूल पकड़ लिया था और लोगों का ध्यान इस तरफ खींचा था।
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पुलिस की छवि सुधारने की चुनौती
डीजीपी सागर प्रीत हुड्डा का यह कदम भ्रष्टाचार और बदनाम होती ट्रैफिक विंग की छवि सुधारने के लिए निर्णायक माना जा रहा है। हालांकि, यह देखना अभी बाकी है कि यह व्यवस्था कितनी प्रभावी रहती है और जमीनी स्तर पर पुलिसकर्मी इन निर्देशों का कितनी ईमानदारी से पालन करते हैं।
फिलहाल शहरवासियों ने इस आदेश का स्वागत किया है और उम्मीद जताई है कि अब पुलिस का दुरुपयोग नहीं, बल्कि तकनीक के सहारे ट्रैफिक व्यवस्था सशक्त होगी। साथ ही बाहर से चंडीगढ़ आने वालों के लिए भी यह खबर राहत भरी है क्योंकि अब उन्हें इस तरह की पुलिस के जरिए की जाने वाली अवैध वसूली का सामना नहीं करना पड़ेगा।
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