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छत्तीसगढ़ः गैंगरेप-हत्या के 5 दोषियों को सजा-ए-मौत, पढ़ें पूरा मामला

छत्तीसगढ़ की कोर्ट जनवरी 2021 में आदिवासी लड़की से गैंगरेप और हत्या के मामले में 5 दोषियों को फांसी की सजा सुनाई है। पढ़िए क्या था ये पूरा मामला और कोर्ट ने क्या कहा?

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प्रतीकात्मक तस्वीर। (Photo Credit: Freepik)

छत्तीसगढ़ की एक कोर्ट ने आदिवासी लड़की से गैंगरेप और उसकी हत्या के मामले में 5 दोषियों को फांसी की सजा सुनाई है। कोर्ट ने फांसी की सजा सुनाते हुए इसे 'वीभत्स' और 'विकृत' बताया है। इस दौरान कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि इस वारदात को अंजाम देने का मकसद सिर्फ और सिर्फ अपनी वासना को शांत करना और संतुष्टि हासिल करना था।

क्या है मामला?

घटना छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले की है और मामला 29 जनवरी 2021 का है। उस दिन एक आदिवासी लड़की के साथ गैंगरेप किया गया और फिर उसकी हत्या कर दी गई। अपराधियों को इससे भी मन नहीं भरा तो उन्होंने लड़की के परिवार के दो सदस्यों की भी हत्या कर दी।


इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, 29 जनवरी 2021 को पीड़िता, उसके माता-पिता और दो पोते बस स्टॉप पर इंतजार कर रहे थे। तभी मुख्य आरोपी संतराम मंझवार ने पीड़िता और उसके परिवार को लिफ्ट का ऑफर दिया। एक बाइक पर पीड़िता की मां और एक पोते को बैठाया गया। दूसरी बाइक पर पीड़िता, उसके पिता और दूसरा पोता बैठा।

पहले शराब पी और फिर गैंगरेप

जिस बाइक पर पीड़िता बैठी थी, उसे एक गांव की तरफ ले जाया गया। यहां आरोपी ने शराब पी। इसी बीच दूसरी बाइक वाला भी मां और पोते को बीच में ही उतारकर वहां आ गया। यहां इन्होंने पिता के सामने ही उस लड़की के साथ गैंगरेप किया। इसके बाद पिता और बच्चे को पत्थर से कुचलकर मार डाला। घटना के 4 दिन बाद पुलिस को जंगल में बेहोश हालत में लड़की मिली। उसके पिता और पोते की मौत हो गई थी। अस्पतला ले जाते समय लड़की की भी मौत हो गई।

5 को फांसी, 1 को उम्रकैद की सजा

इस मामले में 6 लोगों को दोषी ठहराया गया था। कोर्ट ने 5 दोषियों- संतराम मंझवार, अब्दुल जब्बार, अनिल कुमार सारथी, परदेशी राम और आनंद राम पनिका को फांसी की सजा सुनाई है। छठे आरोपी उमाशंकर यादव को उम्रकैद की सजा सुनाई गई है। सजा सुनाते समय कोर्ट ने कहा, 'ये पूरी तरह से कायरतापूर्ण है, क्योंकि उन्होंने अपनी वासना को शांत करने के लिए तीन निर्दोष और कमजोर लोगों की हत्या कर दी। इस घटना ने पूरे समाज की अंतरात्मा को झकझोर कर रख दिया। इसलिए अदालत के पास फांसी की सजा देने के अलावा और कोई विकल्प नहीं है।'

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