मध्य प्रदेश के दामोह में जिस शख्स ने डॉक्टर बनकर 7 मरीजों की जान ले ली उसकी सैलरी 8 लाख रुपये हर महीने की थी. अस्पताल के अधिकारियों के मुताबिक उसकी नियुक्ति भोपाल की एक एजेंसी के जरिए हुआ था।
दामोह के पुलिस अधीक्षक श्रुतकीर्ति सोमवंशी ने कहा कि पुलिस ने देश के सारे उन अस्पतालों से पत्राचार करना शुरू कर दिया है जहां जहां आरोपी ने इससे पहले काम किया था।
जांच के दौरान यह भी पता चला कि डॉक्टर की प्रोफेशनल डॉक्युमेंट्स की विश्वसनीयता संदेहास्पद है। अभी के कानून के मुताबिक कोई भी डॉक्टर बिना रजिस्ट्रेशन के मध्य प्रदेश में प्रेक्टिस नहीं कर सकता है। हालांकि, कैम के किसी भी डॉक्युमेंट से यह साबित नहीं हो रहा है कि वह डॉक्टर हैं। इससे उनके रिक्रूटमेंट प्रोसेस को लेकर संदेह होता है।
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रजिस्ट्रेशन नंबर भी नहीं था वैलिड
जांच में यह भी सामने आया कि कैम द्वारा कथित रूप से आंध्र प्रदेश मेडिकल काउंसिल द्वारा जारी किया गया रजिस्ट्रेशन नंबर भी वैलिड नहीं था। अथॉरिटीज को काउंसिल के ऑनलाइन डेटाबेस पर न ही आरोपी का नाम था और न ही रजिस्ट्रेशन नंबर।
कैम को सोमवार को पुलिस ने यूपी के प्रयागराज से गिरफ्तार किया गया। उसे अस्पताल से और अस्थायी निवास दोनों से गायब पाया गया।
आरोप के मुताबिक आरोपी का नाम ए जॉन कैम उर्फ नरेंद्र विक्रमादित्य यादव है। नरेंद्र ने एक डॉक्टर के रूप में अपने आपको प्रोजेक्ट किया। डॉक्टर बनकर उसने जिन लोगों की सर्जरी की उनमें से 7 की मौत हो गई। उसने 70 से ज्यादा मरीजों का चेकअप कर डाला और 13 सर्जरी कर डाली। शख्स
यह सारी घटना दो महीने के अंदर घटित हुई है।