पर्वतीय शहर दार्जिलिंग के प्रसिद्ध महाकाल मंदिर में अब महिलाओं के लिए ड्रेस कोड लागू कर दिया गया है। यहां छोटी स्कर्ट या छोटी ड्रेस पहनकर आने वाली महिलाओं को मंदिर परिसर में प्रवेश नहीं मिलेगा। यह मंदिर पर्यटकों को आकर्षित करने के साथ-साथ धार्मिक सद्भाव का प्रतीक भी है।
मंदिर प्रशासन ने बुधवार को बोर्ड लगाए, जिन पर लिखा है: 'महाकाल मंदिर परिसर में छोटी स्कर्ट/ड्रेस पहनने वाली महिलाओं का प्रवेश वर्जित है।' महाकाल मंदिर पूजा समिति और कल्याण सोसाइटी के सदस्यों ने बताया कि यह फैसला इसलिए लिया गया ताकि लोगों को संदेश मिले कि मंदिर सिर्फ पर्यटन स्थल नहीं, बल्कि पूजा का पवित्र स्थान है। यहां आने वाले लोग परंपरा के अनुसार सादा और शालीन कपड़े पहनें।
महिलाओं के लिए है कोड
समिति के सचिव किशोर गजमेर से जब पूछा गया कि ड्रेस कोड सिर्फ महिलाओं के लिए क्यों है, तो उन्होंने कहा, 'यह नियम मुख्य रूप से महिलाओं पर लागू होता है क्योंकि यह शालीनता और सम्मान की बात है। पुरुष अक्सर पैंट या कैजुअल कपड़ों में घूमते हैं, उनमें शालीनता का मुद्दा नहीं उठता।'
हालांकि, उन्होंने जल्दी ही स्पष्ट किया कि यह महिलाओं की आजादी को रोकने के लिए नहीं है। 'हम मंदिर की पवित्रता, शिष्टाचार और आध्यात्मिक माहौल को बचाना चाहते हैं। दार्जिलिंग का यह सबसे पूजनीय स्थान है।'
गजमेर ने कहा, 'हम किसी को छोटे कपड़े पहनने के खिलाफ नहीं हैं। लेकिन यह पवित्र जगह है, इसलिए हिंदू संस्कृति और परंपरा का पालन करना चाहते हैं, जो हमारी मूल्यों में गहराई से बसी है।'
किराए पर भी ले सकते हैं कपड़े
समिति ने व्यवस्था की है कि जो श्रद्धालु या पर्यटक नियम के अनुसार कपड़े नहीं पहने हैं, वे मंदिर के पास लंबे पारंपरिक कपड़े किराए पर ले सकते हैं। 'ऐसे कपड़े मंदिर परिसर के पास उपलब्ध हैं,' सचिव ने बताया।
महाकाल मंदिर चौक बाजार के पीछे ऑब्जर्वेटरी हिल की चोटी पर स्थित है। यहां हिंदू और बौद्ध धर्म लंबे समय से शांतिपूर्वक साथ रहते हैं। स्थानीय लोग बताते हैं कि 1765 में लामा दोर्जे रिंजिंग ने यहां एक मठ बनवाया था। यह मठ दोर्जे-लिंग मठ के नाम से जाना गया, जिसके बाद दार्जिलिंग शहर का नाम पड़ा।
1782 में हुआ पुनर्निर्माण
गजमेर ने इतिहास बताया, '1782 में लामा दोर्जे रिंजिंग ने मंदिर का पुनर्निर्माण किया, जो आज महाकाल मंदिर कहलाता है। 1788 के आसपास गुरखा आक्रमण के बाद मूल मठ को नष्ट कर दिया गया। समय के साथ यहां हिंदू धार्मिक प्रथाएं शुरू हो गईं।'
'1782 में चमत्कारिक रूप से तीन शिव लिंग प्रकट हुए। ये तीन सोने से मढ़े लिंग आज भी गर्भगृह में हैं, साथ ही भगवान बुद्ध की मूर्तियां भी। एक हिंदू पुजारी और बौद्ध भिक्षु साथ-साथ पूजा करते हैं, जो अंतर-धार्मिक सद्भाव का प्रतीक है।'
अवशेष भी है
मंदिर परिसर में लामा दोर्जे रिंजिंग की याद में एक सफेद चोर्टेन (तिब्बती स्मारक) है, जिसमें उनकी अवशेष रखे हैं। यहां कई हिंदू देवी-देवताओं के छोटे मंदिर भी हैं। 16 अक्टूबर को दार्जिलिंग दौरे पर आईं मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने घोषणा की थी कि सिलीगुड़ी में महाकाल मंदिर को बड़ा और भव्य बनाया जाएगा।