बेचने पर मजबूर हुए लोग, पुरानी गाड़ियों पर बैन का क्या हो रहा असर?
राजधानी दिल्ली में 15 साल पुरानी पेट्रोल और 10 साल पुरानी डीजल गाड़ियों को फ्यूल नहीं देने का अभियान शुरू हो चुका है। अब इस फैसले का हजारों लोग विरोध कर रहे हैं।

‘एंड-ऑफ-लाइफ व्हीकल्स’ Photo Credit (@Ritesh_Gandotra)
दिल्ली सरकार ने एक फैसले से लाखों लोगों को झटका दे दिया है। रेखा गुप्ता सरकार ने अपने नए फैसले में कहा है कि राजधानी में 1 जुलाई, 2025 से 15 साल पुरानी पेट्रोल और 10 साल पुरानी डीजल गाड़ियों को पेट्रोल पंपों पर फ्यूल नहीं दिया जाएगा। राजधानी में 1 जुलाई से ‘एंड-ऑफ-लाइफ व्हीकल्स’ (EoL) यानी तय उम्र पार कर चुके वाहनों के खिलाफ सख्ती शुरू हो चुकी है। इस फैसले को लेकर दिल्ली में अभियान भी शुरू हो चुका है, जिसके तहत 62 लाख गाड़ियां जबरदस्ती सड़कों से गायब कर दी जाएंगी।
अगर अब पुरानी गाड़ियां सड़क पर कहीं भी नजर आईं तो सरकार वाहन मालिक पर तगड़ा चालान करेगी। दिल्ली सरकार की ओर से इस काम के लिए पेट्रोल पंपों पर खास तौर से निगरानी की जाएगी और अगर आप अपनी पुरानी गाड़ी लेकर पेट्रोल पंप पर पेट्रोल या डीजल भरवाने जाएंगे तो पकड़ लिए जाएंगे। बीजेपी सरकार ने इस फैसले के पीछे का मकसद बताया है कि पुरानी गाड़ियों की वजह से दिल्ली में बढ़ रहे प्रदूषण के स्तर को कम करना है। सरकार पुरानी गाड़ियों को सड़कों से हटाने के लिए युद्ध स्तर पर काम कर रही है लेकिन इस फैसले से प्रभावित लोग जमकर विरोध कर रहे हैं।
लोगों ने उठाए सवाल
लोगों का कहना है कि सरकार का यह कदम सुर्खियों के लिए बढ़िया लेकिन उन लोगों का क्या जो नई कार या EV खरीदने में असमर्थ हैं? सोशल मीडिया पर एक यूजर ने फैसे के खिलाप सवाल पूछते हुए कहा कि खराब स्क्रैपेज सपोर्ट, कोई एक्सचेंज ऑफर नहीं, कोई EV इंफ्रास्ट्रक्चर नहीं! बस अचानक प्रतिबंध लगा दिया गया है।
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साथ ही लोगों का कहना है कि इन 62 लाख कार मालिकों में से ज्यादातर ने अपनी जिंदगी की पूरी बचत अपनी ड्रीम कार खरीदने में लगा दी होगी, साथ ही इसे EMI पर लिया होगा, इसे चुकाने में सालों बिताए होंगे और फिर एक दिन अचानक इसे प्रतिबंधित कर दिया गया।
खास स्थिती में छूट मिलनी चाहिए
ज्यादातर लोगों का कहना है कि जिन लोगों ने अपने वाहन का अच्छी तरह से रखरखाव किया है, उनके लिए यह नीति लागू नहीं होनी चाहिए। क्योंकि जिनके पास गाड़ियों का प्रदूषण नियंत्रण प्रमाणपत्र यानि PUC मौजूद है उनको इससे छूट मिलनी चाहिए।
रितेश गंडोत्रा की रेंज रोवर पर खतरा
दिल्ली के रहने वाले रितेश गंडोत्रा की कार इस नए नियम की जद में आ गई है। उनका कहना है कि शहर में 10 साल से ज्यादा पुराने डीजल वाहनों पर बैन की वजह से उन्हें अपनी महंगी रेंज रोवर कार को औने-पौने दामों पर बेचने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है, जबकि उन्होंने अपनी कार को बहुत संभाल कर रखा हुआ है। रितेश गंडोत्रा ने लाखों अन्य दिल्लीवासियों के साथ मिलकर इस नीति पर पुनर्विचार की मांग की है। साथ ही कहा कि दिल्ली-एनसीआर में पुराने वाहनों पर बैन कथित तौर पर वायु प्रदूषण से निपटेगा। यह ईमानदार टैक्स देने वाले लोगों को असुविधा पहुंचाने के अलावा और कुछ नहीं है।
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कम कीमत पर कार बेचने को मजबूर
रितेश गंडोत्रा ने अपने दुख एक्स पर साझा करते हुए रेंज रोवर कार की तस्वीर शेयर की है। उन्होंने कहा, 'रेंज रोवर इस समय आठ साल पुरानी है। कार केवल 74,000 किलोमीटर चली है। हालांकि यह वर्तमान में अपने 8वें साल में प्रवेश किया है लेकिन कोरोना के दौरान कार दो साल पार्किंग में खड़ी रही।' गंडोत्रा ने कहा है कि उन्होंने अपनी कार का बेहतर तरीके से रखरखाव किया है, जिसकी वजह से यह आसानी से अभी 2 लाख किलोमीटर से ज्यादा चल सकती है। इसके बावजूद, गंडोत्रा को दिल्ली-एनसीआर के बाहर के खरीदारों को बहुत कम कीमत पर रेंज रोवर बेचने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है।
बिट्टू पंडित ने सुनाई आम आदमी की व्यथा
इसी तरह से बिट्टू पंडित एक्स यूजर हैं। उन्होंने भी इस नए नियम को लेकर अपनी पीड़ा शेयर की है। उन्होंने लिखा, 'थोड़े थोड़े पैसे जोड़े थे कि एक कार खरीदेंगे, मध्यम वर्गीय परिवार से हैं तो कुछ डाउन पेमेंट दिया बाकी किश्तें करवा ली। हम खुशी-खुशी कार घर ले आए, कार ज्यादा चलती नहीं थी सिर्फ खड़ी रहती थी, कभी कभी जाना होता था तो चले जाते थे।'
बिट्टू पंडित ने आगे लिखा, '15 साल कब हो गए पता ही नहीं चला, याद आया तो 5 साल के लिए फिर नवीकरण करवा लिया अभी मेरी गाड़ी की फिटनेस 2030 तक वैध है।! सिर्फ 70,000 किलोमीटर चली है, कंडीशन एकदम नई जैसी है लेकिन बदकिस्मती से में एनसीआर में रहता हूं और अब में ये कार नहीं चला सकती जबकि सारे डॉक्यूनेंट्स हैं, पॉल्युशन भी नहीं करती! लेकिन मुझे चलाने की अनुमति नहीं है!' इसके बाद बिट्टू ने केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी को टैग करके उनसे न्याय की मांग की है।
बिट्टू पंडित आगे लिखते हैं कि हम मिडल क्लास लोग जैसे तैसे पैसा जोड़कर गाड़ी खरीदते हैं वो भी किश्तों पर जब तक किश्त खत्म होती है हमारी गाड़ी एक्सपायर हो जाती है!उन्होंने कहा कि इससे फायदा किसको हो रहा है, कार बनाने वाली कंपनियों का, लोन देने वाले बैंक का या परिवहन विभाग का जो रोड टैक्स भी लेते हैं और टोल टैक्स भी? रजिस्ट्रेशन नवीनीकरण कराने में मेरे 16000 रुपये खर्च हुए थे। मैंने ये पैसे सरकार को ही दिए लेकिन फिर भी अगर में पेट्रोल लेने जाऊंगा तो मेरी गाड़ी सीज कर दी जाएगी, क्या सिस्टम है ये?
सरकारों से जनता का सवाल
उन्होंने केंद्र और रेखा गुप्ता सरकार पर अपना गुस्सा निकालते हुए करते हुए हुए कहा कि करना तो ये चाहिए कि जो गाड़ियां पॉल्युशन करती है उन्हें सीज करें चाहे वो 10 साल पुरानी हो या 2 साल पुरानी, जो पॉल्युशन नहीं कर रहीं उन गाड़ियों पर बैन लगाना बीजेपी के अहंकार को दर्शाता है! बड़ी मुश्किल से दिल्ली में सरकार बनी है और बड़ी मुश्किल से लोकसभा में 240 सीट मिली है, क्यों अपना और देश का बेड़ागर्ग करवाना चाहते हो। कांग्रेस हो या बीजेपी सब एक जैसे है।
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