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'पैसे लाओ, बच्चा पाओ,' अमीर खरीद रहे गरीबों के चोरी हुए बच्चे

दिल्ली पुलिस ने मानव तस्करी करने वाले एक गिरोह का खुलासा किया है। यह गिरोह दिल्ली के अमीर परिवारों को नवजात बच्चा सप्लाई करता था।

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सांकेतिक तस्वीर; Photo Credit: FreePik

पुलिस ने दिल्ली-एनसीआर में मानव तस्करी के एक बड़े सिंडिकेट का खुलासा किया है। पुलिस के मुताबिक यह गिरोह नवजात बच्चों को अलग-अलग जगहों से चुराकर दिल्ली-एनसीआर और अन्य राज्यों में बेचता था। दिल्ली पुलिस ने गिरोह के तीन आरोपियों को गिरफ्तार किया है। आरोपियों ने खुलासा किया है कि बच्चे खरीदने के मामले में दिल्ली-एनसीआर का अमीर तबका शामिल है। हैरान करने वाली बात यह है कि पढ़े लिखे लोग इस तरह के अपराध को बढ़ावा दे रहे हैं। इस गिरोह की मास्टर माइंड एक महिला है, जो अभी फरार चल रही है। दिल्ली पुलिस के मुताबिक, यह गिरोह देश के कई राज्यों में काम करता था। यह गिरोह अंतरराज्यीय मानव तस्करी का एक बड़ा सिंडिकेट है। 


पुलिस ने बताया कि खुफिया जानकारी मिलने पर 8 अप्रैल 2025 को उत्तम नगर से गिरोह के तीन आरोपियों को गिरफ्तार किया गया। पुलिस के अनुसार, इस गिरोह की मास्टर माइंड सरोज फरार चल रही है। गिरफ्तार आरोपियों में यास्मीन, अंजलि और जितेन्द्र का नाम शामिल है। आरोपियों ने बताया कि वे लोग नवजात बच्चों को गुजरात और राजस्थान से लाकर दिल्ली एनसीआर के अमीर परिवारों को 5 से 10 लाख रुपये में बेचते थे। 

 

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कहां से चुराते थे बच्चे?

दिल्ली के द्वारका जिले की पुलिस ने गुजरात, राजस्थान और दिल्ली में सक्रिय मानव तस्करी गिरोह के 3 आरोपियों को  गिरफ्तार किया है। पुलिस के मुताबिक, आरोपियों के पास से मात्र 3-4 दिन का एक नवजात बच्चा भी बरामद किया गया है। अभी तक इस गिरोह ने 30 से ज्यादा बच्चों को दिल्ली एनसीआर के अमीर परिवारों को बेचा है। पुलिस के मुताबिक, यह गिरोह गुजरात-राजस्थान बॉर्डर से गरीब तबके के लोगों के बच्चों को चुराते थे और दिल्ली एनसीआर के नि:संतान  अमीर परिवारों को बेचते थे।

कैसे हुआ खुलासा?

द्वारका जिले के DCP अंकित चौहान ने जानकारी देते हुए बताया कि शक के आधार पर पुलिस की टीम ने 20 दिन लगातार 20 से अधिक संदिग्ध मोबाइल नंबरों के कॉल डिटेल रिकार्ड्स (CDRs) की जांच की। उसके बाद 8 अप्रैल 2025 को उत्तम नगर इलाके  से यास्मीन,अंजलि और जितेन्द्र को गिरफ्तार किया। आरोपी अंजलि को पहले भी एक बार सीबीआई ने ह्यूमन ट्रैफिकिंग के मामले में गिरफ्तार किया था। जमानत पर बाहर आकर वह इस धंधे से जुड़ गई।

 

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कैसे करते थे तस्करी?

गिरोह में शामिल सदस्यों का अलग-अलग काम होता था। गिरोह की मास्टरमाइंड सरोज की उम्र 40 साल के करीब है। सरोज अमीर घरानों के परिवारों से सीधे डील करती थी। आरोप है कि ये लोगों ने गरीब परिवार को गुमराह करके उनके बच्चों को बेच देते थे। सरोज ने सबको अलग-अलग टास्क दिए थे। सरोज ने याशमीन को बच्चे चुराने का टास्क दिया था। अंजिल बच्चों की डिलेवरी करती थी। सरोज पैसा कलेक्ट करती थी। पुलिस ने बताया कि जिन परिवार को बच्चे बेंचे गए हैं, उनकी पहचान की जा रही है। दिल्ली पुलिस बच्चे खरीदने वाले परिवार पर भी कानूनी कार्रवाई कर सकती है।

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