अमर्यादित टिप्पणी का आरोप, एक और महामंडलेश्वर को पद से हटाने की मांग
महाकुंभ में एक और महामंडलेश्वर को पद से हटाने की मांग शुरू हो गई है। आरोप है कि उन्होंने धार्मिक किताब में अमर्यादित टिप्पणियां की हैं।

विवादित पुस्तक को दिखाते हुए वैष्णव संत बालयोगी नोमी दास महराज, Photo Credit: Khabargaon
विश्व के सबसे बड़े धार्मिक, आध्यात्मिक और सांस्कृतिक आयोजन महाकुंभ 2025 में जहां किन्नर अखाड़े द्वारा फिल्म अभिनेत्री ममता कुलकर्णी को महामंडलेश्वर बनाने, फिर उन्हें महामंडलेश्वर के पद से हटाने का मामला गरमाया हुआ है, वहीं अब एक और महामंडलेश्वर को पद मुक्त करने की मांग शुरू हो गई है। महाकुंभ नगर क्षेत्र में महामंडलेश्वर कैलाश अग्रवाल 'मानव' के खिलाफ वैष्णव संतों ने मोर्चा खोल दिया है। वैष्णन से जुड़े साधु-संतों ने नारायण सेवा संस्थान- ट्रस्ट, इंटरनेशनल, उदयपुर द्वारा प्रकाशित "श्रीमद् भागवत सेवा महापुराण अमृतम्" ग्रंथ में भक्त शिरोमणि मीरा बाई और संतों के प्रति आपत्तिजनक टिप्पणी पर गहरी नाराजगी जताई है।
इस विवाद को लेकर प्रयागराज महाकुंभ में श्री राम शरण गोपाल धाम खालसा प्राचीन हनुमानगढ़, पुष्कर, अजमेर, राजस्थान के शिविर में महामंडलेश्वर बाल योगी बालकिशन दास के नेतृत्व में संत सम्मेलन आयोजित किया गया। जिसमें संतों की नाराजगी व्यक्त करते हुए आरोपी महामंडलेश्वर कैलाश मानव को अखाड़े से निष्कासन की मांग किया।
महामंडलेश्वर बाल योगी बालकिशन दास ने कहा कि नारायण सेवा संस्थान के संस्थापक कैलाश मानव ने धार्मिक ग्रंथ का अपमान किया है और साधु-संतों की गरिमा को ठेस पहुंचाई है। संत समाज ने सर्वसम्मति से यह मांग उठाई कि कैलाश मानव को अखाड़े से निष्कासित किया जाए उनके संस्थान द्वारा प्रकाशित ग्रंथ को रिस्टोर कर नष्ट किया जाए। सनातन धर्म के पवित्र ग्रंथों और साधु संतों के अपमान पर कठोर कार्रवाई की जाए।
महामंडलेश्वर पद छीनने की मांग
बालयोगी नोमी दास ने कहा कि इस गंभीर मुद्दे को अखाड़ा परिषद में भी उठाया जाएगा और यदि मांगे पूरी नहीं होतीं तो महाकुंभ के दौरान बड़ा आंदोलन छेड़ा जाएगा। आगामी 8 फरवरी हो इसी मुद्दे को लेकर बड़ी बैठक आयोजित की गई है। महामंडलेश्वर बालकृष्ण दास के शिष्य आचार्य नोमीनाथ दास ने कैलाश मानव पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि धनबल के आधार पर महामंडलेश्वर बने कैलाश मानव इस गरिमामयी पद के योग्य नहीं हैं। संत समाज कैलाश मानव का महामंडलेश्वर पद वापस लेने की मांग करता है। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा, 'जिस प्रकार ममता कुलकर्णी का महामंडलेश्वर पद छीना गया था, उसी तरह कैलाश मानव को भी इस पद से हटाया जाए।'
वहीं महामंडलेश्वर ओमकार दास महाराज ने कहा कि संतों पर अभद्र टिप्पणी करने वाला संत नहीं हो सकता। ऐसे व्यक्ति को संत समाज से बाहर करना जरूरी है। श्रीमद्भागवत का बाजारीकरण करना और मीराबाई जैसी संत पर अभद्र टिप्पणी करना किसी भी तरह क्षम्य नहीं है। महामंडलेश्वर बालकिशन दास महाराज ने कहा कि जब तक ऐसे व्यक्ति को सबक नहीं सिखाया जाएगा, सनातन के ग्रंथों और संत समाज पर हमले होते रहेंगे।
इस संत सम्मेलन में देशभर के प्रमुख संतों और पीठाधीश्वरों ने भाग लिया, जिनमें मलूक पीठाधीश्वर राजेंद्र देवाचार्य,नाभा पीठाधीश्वर सुतीक्ष्ण देवाचार्य,श्री मंगल पीठाधीश्वर माधवाचार्य, श्री ब्रह्म पीठाधीश्वर राम रतन देवाचार्य,श्री खोजी पीठाधीश्वर रामवृक्षपाल देवाचार्य, श्री धन्ना पीठाधीश्वर बजरंग देवाचार्य,जगतगुरु रामानुजाचार्य राघवाचार्य, अयोध्या रसिक पीठाधीश्वर जन्म जय शरण देवाचार्य, बड़े भक्तमाल पीठाधीश्वर अवधेश कुमार देवाचार्य, आचार्य देवेंद्र दास, दशरथ भवन, अयोध्या आदि के साथ ही सैकड़ों संत-महात्माओं ने इस मुद्दे पर एकजुटता दिखाई और नारायण सेवा संस्थान के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है।
संत समाज ने स्पष्ट किया कि यदि उनकी मांगें पूरी नहीं होतीं, तो वे महाकुंभ के दौरान बड़ा आंदोलन करेंगे। संतों का कहना है कि सनातन धर्म की गरिमा और परंपराओं की रक्षा के लिए इस तरह के अपमानजनक कार्यों को रोका जाना आवश्यक है।
क्या है पूरा मामला?
बता दें कि महामंडलेश्वर कैलाश मानव पर आरोप है कि उन्होंने श्रीमद्भागवत गीता की नकल करके एक प्रति तैयार की है, जिसमें संत मीराबाई के साथ ही पूरे संत समाज पर अभद्र टिप्पणी की गई है। संतों की तुलना अपराधियों से की गई है। इस मामले को लेकर वैष्णव संतों में जबरदस्त नाराजगी है। महाकुंभ के सेक्टर 17 में हुई वैष्णव संतों की बैठक में तय किया गया है कि यदि कैलाश मानव इस मामले को लेकर माफी नहीं मांगते और अपनी पुस्तक वापस नहीं लेते, तो उनके खिलाफ बड़ा आंदोलन किया जाएगा। जयपुर के संत आचार्य बाल योगी नोमीनाथ दास बैठक में विवादित पुस्तक की प्रति के साथ मौजूद थे। उनका आरोप है कि कैलाश मानव ने सनातन धर्म से जुड़े ग्रंथों की प्रतियां फाड़ते हुए एक विडियो भी वायरल है। नारायण सेवा संस्थान, उदयपुर के संस्थापक चेयरमैन कैलाश मानव वैष्णव अखाड़े के महामंडलेश्वर भी हैं।
आचार्य बाल योगी नोमीनाथ दास का आरोप है कि कैलाश मानव लगातार सनातन और संतों पर टिप्पणियां करते रहे हैं। अब उन्होंने श्रीमद्भागवत की एक प्रति भी तैयार कर ली है, जिसमें संतों व मीराबाई पर अभद्र टिप्पणी की गई है। कैलाश मानव ने भी संत समाज के बीच शामिल होकर ऐसा अपराध किया है, जो क्षमा करने योग्य नहीं है।
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