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कोलकाता में डॉक्टर बने भगवान, डायलिसिस से लैब्राडोर की बचाई जान

पश्चिम बंगाल में गर्भाशय संक्रमण से जूझ रही एक मादा लैब्राडोर को डॉक्टरों ने नई जिंदगी दी है। वह गंभीर संक्रमण से जूझ रही थी और उसकी हालत बिगड़ती जा रही थी।

AI Generated Image of Dog

कुत्ते की प्रतीकात्मक तस्वीर। (AI Generated Image)

पश्चिम बंगाल में एक 8 साल की मादा लैब्राडोर किडनी की बीमारी से जूझ रही थी। उसकी भूख मर चुकी थी। वह बेहद सुस्त रहने लगी और उसकी हालत तेजी से गिरने लगी। मालिक ने दिल्ली तक जाने की ठानी और हजारों रुपये खर्च कर डाले, लेकिन कोई खास फायदा नहीं हुआ। अब कोलकाता में शुक्रवार को डॉक्टरों ने डायलिसिस करके उसकी जान बचाई तो मालिक ने राहत की सांस ली। कोलकाता स्थित एनिमल हेल्थ पैथोलॉजी लैब में लैब्राडोर की डायलिसिस की गई। डॉक्टरों के मुताबिक गर्भाशय में इंफेक्शन और क्रिएटिनिन बढ़ने के कारण उसकी किडनी में दिक्कत आ गई थी। 

 

लैब्राडोर कोको के मालिक प्रिंस त्रिपाठी हावड़ा जिले के रहने वाले हैं। उन्होंने बताया कि कई पशु क्लीनिक और बेलगछिया के अस्पताल में कोको को दिखाया। वह सुस्त रहने लगी थी और खाना भी नहीं खाती थी। मई महीने में उसकी हालत तेजी से बिगड़ने लगी। कई रातें सिर्फ इस चिंता में बिताईं कि कहीं कोको के साथ कुछ अनहोनी न हो जाए। प्रिंस ने आगे बताया कि कोको के इलाज पर पहले ही एक लाख रुपये कर चुका हूं। डायलिसिस के लिए दिल्ली जाने का फैसला किया था। ट्रेन में टिकट भी बुक कर ली थी। मगर यहां डायलिसिस और ट्रांसफ्यूजन सेशन पर लगभग 12,000 रुपये का खर्च आया है।

 

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डायलिसिस वाला पहला निजी क्लीनिक

टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक मुंबई, बेंगलुरू, चेन्नई और दिल्ली में पशुओं के डायलिसिस की व्यवस्था है। पूर्वी भारत के किसी निजी क्लीनिक में यह सुविधा पहली बार देखने को मिली है। बेलगछिया में बंगाल पशु चिकित्सा महाविद्यालय एवं अस्पताल है। यहां डायलिसिस यूनिट है। मगर पिछले साल अक्टूबर महीने से बंद है।

 

गंभीर रूप से फैल गया था इंफेक्शन

पशु चिकित्सा विशेषज्ञ कौस्तव बसु का कहना है कि कोको का क्रिएटिनिन स्तर 18 मिलीग्राम/डीएल तक बढ़ चुका था। यह बड़े किडनी संकट का संकेत है। उसका हीमोग्लोबिन 4 ग्राम/डीएल तक पहुंच गया था। यह खतरनाक स्थिति थी। कोको की कंडीशन की पहचान एडवांस्ड पायोमेट्रा के तौर पर की गई। इसमें बैक्टीरिया के संक्रमण के कारण मवाद जमा होती है और इससे गंभीर गर्भाशय संक्रमण फैलता है। ऐसी स्थिति में तत्काल सर्जरी की जरूरत होती है। 

 

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सोमवार को दोबारा होगी डायलिसिस

लैब टेक्नीशियन शैबाल दास के मुताबिक लगभग 1 घंटा 18 मिनट तक कोको का इलाज चला। सोमवार को दोबारा डायलिसिस की जाएगी। अभी कोको के सभी पैरामीटर स्थिर हैं। एनिमल हेल्थ पैथोलॉजी लैब की स्थापना प्रोतिप चक्रवर्ती ने की है। उनका कहना है कि अत्याधुनिक डिजिटल हेमोडायलिसिस मशीन एक ओपन फैसिलिटी है। शहर के अन्य पशु क्लीनिक इसका इस्तेमाल कर सकते हैं।

 

 

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