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यूपी में किसान रजिस्ट्रेशन अनिवार्य, नहीं कराने पर बड़ा घाटा होगा

पीएम-किसान की किस्त पाने वाले किसानों को पंजीकरण कराना अनिवार्य है। यूपी के हर जिले में इन दिनों अभियान चल रहा है। अधिकारियों को 30 नंवबर से तक किसानों का पंजीकरण करवाने का लक्ष्य दिया गया है।

UP Farmer Registration.

सांकेतिक फोटो। (AI generated image)

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उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर पूरे प्रदेश में किसान रजिस्ट्रेशन ( Farmer Registration) का अभियान चलाया जा रहा है। सभी किसानों को 30 नवंबर तक अपना पंजीकरण कराना होगा, ताकि प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (PM Kisan) योजना का लाभ मिलता रहे। मौजूदा समय में पूरे प्रदेश में रोजाना चार हजार किसानों का पंजीकरण किया जा रहा है। सीएम योगी आदित्यनाथ ने अधिकारियों को अभियान में तेजी लाने और गांव-गांव कैंप लगाने का निर्देश दिया है, ताकि कोई भी पात्र किसान छूट न सके।

 

किसान पंजीकरण के मामले में सीतापुर जिला प्रदेश में टॉप पर हैं। यहां अभी तक 74.58 फीसद किसानों का रजिस्ट्रेशन हो चुका है। बस्ती जिले में 74.24% और रामपुर में 70% किसानों का पंजीकरण किया जा चुका है। अभी प्रदेशभर में 1.5 करोड़ किसान यानी 54 फीसद का रजिस्ट्रेशन हुआ है। हिंदुस्तान टाइम्स की खबर के मुताबिक अधिकारियों का कहना है कि नवंबर के आखिरी तक पंजीकरण और वेरिफिकेशन पूरा करने का लक्ष्य है। कृषि और पंचायत अधिकारी व लेखपाल की मदद से गांव-गांव में अभियान चलाया जा रहा है, ताकि कोई पात्र किसान पंजीकरण से रह न जाए।

 

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क्यों जरूरी है पंजीकरण कराना?

अगर आपको पीएम-किसान की धनराशि मिलती है तो आपके लिए रजिस्ट्रेशन कराना बेहद जरूरी है। दरअसल, रजिस्ट्रेशन से सरकार पात्र किसानों की पहचान कर रही है। इसके तहत 1 अप्रैल 2026 से पीएम किसान योजना की धनराशि सिर्फ उन्हीं किसानों को मिलेगी, जिनका रिकॉर्ड अपडेट और सत्यापित होगा। सरकार के इस कदम का उद्देश्य फर्जी किसानों पर लगाम लगाना। स्कीम में पारदर्शिता को सुनिश्चित करना है।

पंजीकरण में किसानों को क्या-क्या बताना पड़ता है?

केंद्र सरकार देशभर के किसानों को साल में तीन किस्तों में छह हजार रुपये की आर्थिक सहायता देती है। हालांकि किसानों के सत्यापन की जिम्मेदारी राज्य सरकारों की होती है। नए निर्देश के मुताबिक पीएम-किसान डेटाबेस में किसानों की डिटेल्स को अपडेट करना जरूरी है। इसमें बैंक खाता वेरिफिकेशन, भूमि अखिलेख और आधार लिंकिंग का सत्यापन किया जाता है। किसान को अधिकारियों को अपना आधार नंबर, मोबाइल नंबर और खसरा संख्या बताना होता है। इसके बाद दो बार ओटीपी आती है और चंद मिनटों में सत्यापन हो जाता है।

 

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यूपी सरकार ने अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि छोटे और मध्यम किसानों की मदद करें, ताकि वह पंजीकरण से छूट न सके। अगर किसी किसान के पास दस्तावेज नहीं हैं तो भी अधिकारी सहायता करेंगे। यूपी सरकार किसानों को मिलने वाली अगली किस्त से पहले पंजीकरण और सत्यापन कार्य पूरा करना चाहती है। 


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