भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान और कांग्रेस नेता मोहम्मद अजहरुद्दीन को तेलंगाना कैबिनेट में मंत्री पद की शपथ ले ली है। तेलंगाना राजभवन में आयोजित एक समारोह में गवर्नर जिष्णु देव ने उन्हें मंत्री पद की शपथ दिलवाई। इस कार्यक्रम में तेलंगाना के मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी के साथ अन्य नेता भी मौजूद रहे। बीजेपी इस शपथ ग्रहण समारोह को रोकने की कोशिश कर रही थी लेकिन सफल नहीं हो पाई। उनके शपथ लेने के साथ ही राज्य सरकार में मंत्रियों की संख्या 16 तक पहुंच गई है। यह फैसला जुबली हिल्स उपचुनाव के दौरान लिया गया है जिस कारण बीजेपी ने भी इस पर आपत्ति जताई है। 
 
इस साल अगस्त में अजहरुद्दीन को विधान परिषद के लिए नामित किया गया था। राज्य विधानमंडल के उच्च सदन विधान परिषद में उनकी एंट्री राज्यपाल के कोटे से हुई थी। तेलंगाना के मुख्यमंत्री ए रेवंत रेड्डी ने अगस्त में तेलंगाना सीनियर कांग्रेस नेता एम कोडंडारम और अजहरुद्दीन को विधान परिषद के लिए नामित किया था। इसके बाद से ही अटकलें लगाई जा रही थी कि कांग्रेस मुस्लिम समुदाय से मोहम्मद अजहरुद्दीन को मंत्री बना सकती है। हालांकि, अजहरुद्दीन को विधान परिषद के लिए नामित किए जाने का मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है जिसके चलते कांग्रेस के सामने उन्हें मंत्री बनाए रखना चुनौती भी हो सकती है। 
 
यह भी पढ़ें-- डॉलर पर धाक जमाने वाले अमेरिका में 'चिल्लर' कैसे खत्म हो गई?
 
कांग्रेस के पास नहीं कोई मुस्लिम चेहरा
2023 में हुए विधानसभा चुनावों में कांग्रेस को तेलंगाना में जीत मिली थी लेकिन एक भी मुस्लिम विधायक कांग्रेस के पास नहीं था। ऐसे में पार्टी ने किसी भी मुस्लिम को मंत्री नहीं बनाया था लेकिन समय-समय पर मुस्लिम चेहरे को मंत्रीमंडल में जगह देने की बात होती रही है। ऐसे में पार्टी ने मोहम्मद अजहरुद्दीन को विधान परिषद में भेजने का प्लान बनाया गया और अब उन्हें राज्य सरकार में मंत्री बना दिया है। अहहरुद्दीन रेवंत रेड्डी सरकार के पहले मुस्लिम मंत्री हैं। उनके शामिल होने के साथ, रेवंत रेड्डी मंत्रिमंडल में मंत्रियों की संख्या बढ़कर 16 हो गई है। तेलंगाना में मुख्यमंत्री सहित मंत्रिपरिषद की कुल संख्या अधितम 18 हो सकती है। 
 
 
अजहरुद्दीन का सियासी सफर 
साल 2009 में मोहम्मद अजहरुद्दीन ने कांग्रेस पार्टी का दामन थाम लिया था। 2000 में बीसीसीआई के बैन के बाद से उनका क्रिकेट करियर खत्म हो गया था और उन्होंने सियासी पारी की शुरुआत की। 2009 लोकसभा चुनावों में कांग्रेस ने उन्हें उत्तरप्रदेश के मुरादाबाद लोकसभा सीट से चुनावी मैदान में उतारा था, जिसमें उन्होंने जीत हासिल की थी। 2014 के चुनावों में उन्हें राजस्थान की टोंक-सवाई माधोपुर सीट से टिकट दिया था लेकिन यहां उन्हें हार मिली थी। 
 
यह भी पढ़ें-- 19 बंधक, 3 घंटे और एक स्टूडियो; मुंबई के 'होस्टेज ड्रामा' की पूरी कहानी 
बीजेपी ने क्यों किया विरोध?
तेलंगाना कैबिनेट में मोहम्मद अजहरुद्दीन के शामिल होने की टाइमिंग को लेकर बीजेपी ने सवाल उठाए हैं और बीजेपी नेताओं ने राज्यपाल से इस समारोह को स्थगित करने की मांग भी की थी। बीजेपी नेताओं का कहना था कि जुबली हिल्स उपचुनाव के चलते कांग्रेस यह फैसला ले रही है और इससे उपचुनाव पर प्रभाव पड़ेगा। जुब्ली हिल्स सीट से ही मोहम्मद अजहरुद्दीन बीआरएस के उम्मीदवार से चुनाव हार गए थे।
 
इस सीट पर चार लाख मतदाताओं में से लगभग 1.12 लाख मुस्लिम हैं। ऐसे में कांग्रेस के लिए अजहरुद्दीन को कैबिनेट में शामिल करना फायदेमंद हो सकता है। इसके साथ ही कांग्रेस बिहार के मतदाताओं को भी संदेश देने की कोशिश कर रही है। हालांकि, बीजेपी ने 'मॉडल कोड ऑफ कंडक्ट' के उल्लंघन का आरोप लगाया है। बीजेपी ने चुनाव आयोग से मिलकर शपथ ग्रहण को रोकने का आग्रह किया था।