हिमाचल प्रदेश के रोहड़ू में एक 12 साल के दलित बच्चे की कथित आत्महत्या के बाद हंगामा बरपा है। कहा जा रहा है कि जातीय प्रताड़ना के बाद बच्चे ने यह आत्मघाती कदम उठाया है। बच्चा 6वीं कक्षा में पढ़ता था और वह कोली समुदाय से आता था। हिमाचल में कोली समुदाय, अनुसूचित जाति में आता है। खुदकुशी से पहले उसे जातीय उत्पीड़न का शिकार होना पड़ा था। राजपूत परिवार के कुछ लोगों ने उसके साथ बदसलूकी की थी।
16 सितंबर की बात है। वह एक राजपूत परिवार के घर में घुस गया था। घर में घुसने की सजा में उसे बुरी तरह से पीट दिया गया। बच्चे के घरवालों ने बताया है कि राजपूत परिवार के कुछ लोगों ने कहा कि उनका घर अपवित्र हो गया है। घर को शुद्ध करने के लिए एक बकरी बच्चा लेकर आए, तभी घर शुद्ध होगा।
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घर में घुसा तो आरोपियों ने कहा अपवित्र हो गया घर
लड़के के पिता ने बताया कि उनका बेटा पुष्पा देवी की दुकान से सामान लेने गया था। दुकान पर कोई नहीं था, इसलिए वह उनके घर के बरामदे में चला गया। इसके बाद पुष्पा देवी और वहां मौजूद दो अन्य महिलाओं ने उसे डांटा और कहा कि उसने उनके घर को अपवित्र कर दिया।
मारपीट से डर बच्चे ने खा लिया कीटनाशक
राजपूत परिवार की महिलाओं ने उस बच्चे को गोशाला में बंद कर दिया और कथित तौर पर पीटा। महिलाओं ने कहा कि जब तक बकरी नहीं आएगी, उसे छोड़ा नहीं जाएगा। लड़का किसी तरह गोशाला से भाग गया। डर की वजह से वह एक सेब के बागीचे में छिप गया। वहां उसने सेब के पेड़ों पर इस्तेमाल होने वाला कीटनाशक खा लिया।
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पुलिस क्या कर रही है?
बच्चे की मां उसे घर ले आई, लेकिन उसकी हालत बिगड़ गई। उसे पहले रोहड़ू के अस्पताल और फिर शिमला के इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज ले जाया गया। 17 सितंबर को उसकी मौत हो गई। पुलिस का कहना है कि वे इस मामले की जांच कर रहे हैं। उन्होंने गोशाला और बगीचे से सबूत इकट्ठा किए हैं। पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट अभी पूरी तरह स्पष्ट नहीं है।
रोहड़ के इस मामले पर लोग क्या कह रहे हैं?
इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक पुष्पा देवी के एक रिश्तेदार का कहना है कि यह घटना अप्रत्याशित थी और अब लोग इस तरह की मान्यताओं में विश्वास नहीं करते। स्थानीय लोगों का कहना है कि रोहड़ में जातिवाद की समस्या बेहद गहरी है।
सुक्खू सरकार तक पहुंची आंच
हिमाचल प्रदेश अनुसूचित जाति आयोग ने मुख्यमंत्री और DGP से इस मामले में निष्पक्ष जांच की मांग की है। दलित शोषण मुक्ति मंच ने भी आरोपी की तुरंत गिरफ्तारी की मांग की है। पुष्पा देवी के वकील ने दावा किया है कि बकरी मांगने की बात गलत है। इस मामले की अगली सुनवाई 6 अक्टूबर को हाईकोर्ट में होगी। सुक्खू सरकार की कानून व्यवस्था पर भी सवाल उठे हैं।
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अब तक क्या हुआ है?
20 सितंबर को पुलिस ने आत्महत्या के लिए उकसाने के आरोप में FIR दर्ज की। बच्चे को यातना देने वाली महिला का नाम पुष्पा देवी है। उसकी उम्र 57 साल है। पुलिस ने उसके खिलाफ SC/ST (अत्याचार निवारण) अधिनियम के तहत कार्रवाई की है। पुष्पा देवी को हिमाचल प्रदेश के हाई कोर्ट से अंतरिम जमानत भी मिल गई है।