असम और त्रिपुरा पुलिस ने मिलकर एक बड़ा अभियान चलाया और मंगलवार को 11 लोगों को गिरफ्तार किया है। ये लोग प्रतिबंधित आतंकी संगठन जमात-उल-मुजाहिदीन बांग्लादेश (जेएमबी) से जुड़े बताए जा रहे हैं। पुलिस के अनुसार, ये लोग उत्तर-पूर्वी भारत को अस्थिर करने और यहां मुस्लिम वर्चस्व स्थापित करने की योजना बना रहे थे। यह गिरफ्तारी केंद्रीय एजेंसियों की खुफिया जानकारी के आधार पर हुई। गुवाहाटी पुलिस कमिश्नर पार्थ सारथी महंता ने बताया कि स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) ने सोमवार रात को असम के बारपेटा, चिरांग और दर्रांग जिलों के साथ-साथ त्रिपुरा में छापेमारी की।
महंता ने कहा, 'हमने कुल 11 जिहादी तत्वों को पकड़ा है, जो बांग्लादेश से चलने वाले समूहों के सीधे आदेश पर काम कर रहे थे।' उन्होंने बताया कि ये लोग नए बने संगठन इंडियन मुजाहिदीन-के (आईएम-के) के सदस्य हैं। यह संगठन विचारधारा के स्तर पर जेएमबी से जुड़ा हुआ है और कट्टरपंथी गतिविधियों में शामिल है।
आपत्तिजनक दस्तावेज बरामद
गिरफ्तार लोगों में से 10 असम से और एक त्रिपुरा से है। त्रिपुरा से पकड़े गए व्यक्ति का नाम जागीर मियां (33 साल) है, जो जयपुर गांव का रहने वाला है। वह इमाम महमूद काफिला (आईएमके) से जुड़ा बताया जा रहा है। असम में आईएमके के प्रमुख नसीमुद्दीन उर्फ तमीम को भी हिरासत में लिया गया है।
पुलिस ने अभियान के दौरान कई आपत्तिजनक दस्तावेज जब्त किए हैं। महंता ने कहा कि यह समूह काफी समय से सक्रिय था और बांग्लादेश से हैंडलरों के निर्देश पर काम कर रहा था। सभी गिरफ्तार लोगों से पूछताछ की जा रही है।
कई अन्य गिरफ्तार
अन्य गिरफ्तार लोगों के नाम हैं: जुनाब अली (चिरांग), अफराहिम हुसैन (दर्रांग), मिजानुर रहमान (बारपेटा), सुल्तान मेहमूद (बारपेटा), मोहम्मद सिद्दीक अली (बारपेटा), राशिदुल आलम (बक्सा), महिबुल खान (बक्सा), शहरुख हुसैन (बारपेटा) और मोहम्मद दिलबर रजाक (बारपेटा)।
यह कार्रवाई उत्तर-पूर्व में सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण मानी जा रही है। पुलिस का कहना है कि ऐसे समूहों पर नजर रखी जा रही है ताकि क्षेत्र में शांति बनी रहे।
क्या है इमाम महमूदर काफिला?
इमाम महमूदर काफिला (आईएमके) एक बांग्लादेश-आधारित चरमपंथी संगठन है, जो प्रतिबंधित जमात-उल-मुजाहिदीन बांग्लादेश (जेएमबी) का ऑफशूट माना जाता है। इसकी शुरुआत 2018 में जुएल महमूद उर्फ इमाम महमूद हबीबुल्लाह उर्फ सोहेल ने की थी, जो जेएमबी का पूर्व सदस्य था। यह संगठन ग़ज़वतुल हिंद की विचारधारा को बढ़ावा देता है, जो भारतीय उपमहाद्वीप में इस्लामी शासन स्थापित करने के लिए सशस्त्र संघर्ष की वकालत करती है।
आईएमके युवाओं को डिजिटल जिहाद के माध्यम से कट्टरपंथ की ओर आकर्षित करने के लिए एन्क्रिप्टेड ऐप्स, हवाला फंडिंग और ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स का उपयोग करता है। 2024 में बांग्लादेश में शासन परिवर्तन के बाद जेएमबी, अंसारुल्लाह बांग्ला टीम (एबीटी) और अल-कायदा इन इंडियन सबकॉन्टिनेंट (एक्यूआईएस) जैसे संगठनों के वरिष्ठ नेताओं ने आईएमके को भारत में अपनी गतिविधियां बढ़ाने का निर्देश दिया।
भारत में, विशेष रूप से असम में इसकी मॉड्यूल सक्रिय हैं। दिसंबर 2024 में बरपेटा में हुई एक बैठक में इसके विचारक नसीमुद्दीन और मनीरुल इस्लाम ने मुसलमानों पर कथित अत्याचारों का बदला लेने के लिए सशस्त्र प्रतिरोध की वकालत की। असम पुलिस की स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) ने इसे रडार पर रखा है और हालिया छापेमारी में इसके सदस्यों को गिरफ्तार किया गया।
यह संगठन क्षेत्रीय सुरक्षा के लिए खतरा बन रहा है, क्योंकि यह युवाओं को कट्टरता की ओर ले जाकर हिंसा को प्रोत्साहित करता है।