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सिर्फ योग्यता होना काफी नहीं…, सैलरी को लेकर हाई कोर्ट ने क्या फैसला दिया?

हाई कोर्ट में एक व्यक्ति ने याचिका दायर की थी कि उसकी योग्यता के हिसाब से उसे सैलरी दी जानी चाहिए। इस पर कोर्ट ने अपना फैसला सुनाया।

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प्रतीकात्मक तस्वीर । Photo Credit: AI Generated

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जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट ने 11 नवंबर 2025 को एक अहम फैसला सुनाया। कोर्ट ने साफ कहा कि कोई कर्मचारी सिर्फ इसलिए ऊंचे पद की ज्यादा तनख्वाह नहीं मांग सकता क्योंकि वह उस पद की जिम्मेदारियां संभालने के लिए योग्य है या उतनी क्षमता रखता है। तनख्वाह पद से जुड़ी होती है, कर्मचारी की व्यक्तिगत योग्यता से नहीं।

 

यह फैसला मीर नाम के एक शख्स के मामले में आया। मीर ने जम्मू-कश्मीर के फॉरेस्ट डिपार्टमेंट में CAMPA स्कीम के तहत नीड-बेस्ड जॉब के लिए अप्लाई किया था। 12 जुलाई 2013 को उन्हें ऑर्डरली (अकुशल कर्मचारी) के पद पर नियुक्त किया गया। बाद में उन्हें कंप्यूटर ऑपरेटर का काम सौंप दिया गया और वह पिछले कई सालों से यही काम कर रहे हैं।

 

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क्या थी मीर की दलील?

मीर का कहना था कि S.O. 513 ऑफ 2022 के अनुसार, कुशल कर्मचारियों (skilled workers) को रोजाना कम से कम 483 रुपये मजदूरी मिलनी चाहिए। चूंकि वह कंप्यूटर ऑपरेटर का काम कर रहे हैं, जो कुशल काम माना जाता है, इसलिए उन्हें कुशल कर्मचारी की दर से तनख्वाह मिलनी चाहिए। उन्होंने कहा कि डिपार्टमेंट ने बिना वजह उन्हें अकुशल कैटेगरी में रखा है और अकुशल कर्मचारी की दर से ही पैसे दे रहा है, जो हर महीने करीब 9330 रुपये बनते हैं।

 

मीर ने आगे कहा कि वह लगभग 10 साल से कंप्यूटर ऑपरेटर का काम कर रहे हैं और SRO 335 ऑफ 1991 के अनुसार उनका पद मिनिस्टीरियल कैटेगरी में आता है। अन्य कर्मचारी जैसे कंप्यूटर ऑपरेटर, ड्राइवर, ऑफिस असिस्टेंट आदि को कुशल या मिनिस्टीरियल कैटेगरी में रखा गया है, लेकिन उनके साथ अलग नियम लगाया जा रहा है।

थी तकनीकी योग्यता

डिपार्टमेंट की तरफ से जवाब दिया गया कि नीड-बेस्ड कर्मचारियों की कैटेगरी उनकी शैक्षिक और तकनीकी योग्यता के आधार पर तय होती है। मीर ने ऑर्डरली के पद के लिए अप्लाई किया था और उन्हें उसी पद पर नियुक्त किया गया। अगर उनके पास कंप्यूटर की तकनीकी योग्यता थी, तो उन्हें कंप्यूटर ऑपरेटर के पद के लिए अप्लाई करना चाहिए था। उन्होंने ऑर्डरली का पद स्वीकार कर लिया, इसलिए अब वह कुशल कर्मचारी की तनख्वाह नहीं मांग सकते।

 

हाईकोर्ट ने डिपार्टमेंट के पक्ष को सही माना। कोर्ट ने कहा कि नियुक्ति के ऑर्डर में साफ लिखा है कि मीर को ऑर्डरली के रूप में चुना गया, भले ही वे कंप्यूटर जानते हों। उसी ऑर्डर में कुछ अन्य लोगों को कंप्यूटर ऑपरेटर चुना गया था। सिर्फ कंप्यूटर जानने से कोई कुशल कैटेगरी की तनख्वाह का हकदार नहीं हो जाता। तनख्वाह पद से जुड़ी होती है, न कि योग्यता से।

कोर्ट ने क्या कहा?

कोर्ट ने कहा, ‘एक कर्मचारी या मजदूर को उस पद की तनख्वाह मिलती है जो उसने संभाला है। वह ऊंचे पद की तनख्वाह सिर्फ इसलिए नहीं मांग सकता क्योंकि वह उस पद को संभालने के लिए योग्य है।’ इस आधार पर  मीर की याचिका खारिज कर दी गई।

 

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इस फैसले पर खैतान एंड कंपनी के पार्टनर अंशुल प्रकाश ने कहा कि हाईकोर्ट ने कर्मचारी की स्वेच्छा से चुने गए निचले पद और योग्यता के अंतर पर जोर दिया। हालांकि, फैसले में सुप्रीम कोर्ट के उन नियमों पर चुप्पी है जिनमें काम की प्रकृति और जिम्मेदारियों को देखकर तनख्वाह तय की जाती है। इससे उन कर्मचारियों पर असर पड़ेगा जो बिना औपचारिक प्रमोशन के ऊंचा काम कर रहे हैं। यह फैसला सिर्फ हाईकोर्ट का है, इसलिए पूरे देश में बाध्यकारी नहीं, लेकिन सुप्रीम कोर्ट के फैसले ही अंतिम होंगे।


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