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2 साल तक नहीं मिलेगी जमानत! मेहराज मलिक पर लगा PSA कितना खतरनाक है?

जम्मू-कश्मीर की डोडा सीट से आम आदमी पार्टी के विधायक को पब्लिक सेफ्टी ऐक्ट (PSA) के तहत हिरासत में ले लिया गया है। ऐसे में जानते हैं कि यह कानून कितना सख्त है?

mehraj malik

आम आदमी पार्टी के विधायक मेहराज मलिक। (Photo Credit: X@MehrajMalikAAP)

जम्मू-कश्मीर में आम आदमी पार्टी के इकलौते विधायक मेहराज मलिक को हिरासत में ले लिया गया है। मेहराज मलिक पर पब्लिक सेफ्टी ऐक्ट यानी PSA लगाया गया है। डोडा सीट से विधायक मलिक को सोमवार को हिरासत में लिया गया था। उन्हें डिटेन किए जाने के विरोध में मंगलवार को डोडा में आम आदमी पार्टी ने जमकर प्रदर्शन किया। इस दौरान आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ताओं और पुलिस में झड़प भी हुई। इस झड़प में डीएसपी और एसएचओ समेत 8 पुलिसकर्मी घायल हो गए। कुछ प्रदर्शनकारी भी घायल हुए हैं। 


मेहराज मलिक को सार्वजनिक व्यवस्था बिगाड़ने के आरोप में सोमवार रात को हिरासत में लिया गया था। उन्हें कठुआ जेल में रखा गया है। इसे लेकर मंगलवार को डोडा में उनके समर्थकों ने प्रदर्शन किया। 


मंगलवार को जम्मू-क्श्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने डोडा में मेहराज मलिक के पिता शम्स-उद-दीन मलिक से मुलाकात की। अब्दुल्ला ने मलिक को डिटेन में लिए जाने का भी विरोध किया। 

 


अब्दुल्ला ने X पर पोस्ट किया, 'मेहराज मलिक को PSA के तहत हिरासत में रखने का कोई औचित्य नहीं है। वह 'सार्वजनिक सुरक्षा' के लिए खतरा नहीं हैं और उन्हें हिरासत में रखने के लिए इस बदनाम कानून का इस्तेमाल करना गलत है। अगर एक सरकार एक चुने हुए प्रतिनिधि के खिलाफ अपनी शक्तियों का इस तरह से इस्तेमाल कर सकती है तो कोई कैसे उम्मीद कर सकता है कि जम्मू-कश्मीर के लोग लोकतंत्र में विश्वास बनाए रखेंगे।'

 

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मगर हिरासत में क्यों लिया गया?

डोडा से आम आदमी पार्टी के विधायक मेहराज मलिक पर PSA लगाया गया है। सोमवार को पुलिस ने एक डोजियर जारी कर बताया था कि उन्हें फेक न्यूज फैलाने, आतंकवादियों का महिमामंडन करने और महिलाओं के खिलाफ अभद्र भाषा का इस्तेमाल करने के आरोप में PSA के तहत हिरासत में लिया गया है।


डोडा के डीसीपी हरविंदर सिंह ने इस डोजियर को तैयार किया है। इसमें मलिक को शांति के लिए 'खतरा' बताया गया है। इसमें यह भी दावा किया गया है कि मलिक को 'सरकारी अफसरों और लोगों को धमकियां देने और हमला करने की आदत है।'


हरविंदर सिंह ने कहा कि मलिक के खिलाफ कई FIR दर्ज हैं, जिनमें सरकारी दफ्तरों में जबरन ताला लगाना और कई मौकों पर सरकारी कर्मचारियों पर मौखिक या शारीरिक हमला करना शामिल है। मलिक पर फेसबुक लाइव के जरिए भड़काऊ भाषण और फेक न्यूज फैलाने का आरोप भी लगा है। डोजियर में मलिक पर जनता को अपनी मांगें मनवाने के लिए 'बुरहान वानी की तरह लश्कर की तरह काम करने' के लिए उकसाने का आरोप भी लगा है।

 

 


मलिक पर आरोप लगाया गया है कि उन्होंने सरकारी अधिकारियों को 'खुलेआम धमकियां' दीं और ऑपरेशन सिंदूर के दौरान जनता को भड़काने की कोशिश की। 


इस साल मई में दर्ज एक FIR का हवाला देते हुए डोजियर में आरोप लगाया है कि मलिक महिलाओं की गरिमा का भी सम्मान नहीं करते। उन्होंने जीएमसी डोडा में महिला डॉक्टरों के खिलाफ बार-बार अपमानजनक, धमकी भरी और महिला विरोधी टिप्पणियां की थी और उन्हें 'घसीटकर नंगा करने' की धमकी दी थी।


मेहराज मलिक को सार्वजनिक सुरक्षा के लिए खतरा बताते हुए डोजियर में कहा गया है कि 'बार-बार कानूनी कार्रवाइयों के बावजूद मलिक ने अपना रवैया नहीं बदला। मलिक खुलेआम देश के कानून पर सवाल उठाते हैं। खुद को कानून से ऊपर बताते हैं और युवाओं को हिंसा के लिए उकसाते हैं।'

 

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मगर PSA क्यों लगाया गया?

जिस तरह से देश में नेशनल सिक्योरिटी ऐक्ट यानी NSA लागू होता है। उसी तरह जम्मू-कश्मीर के लिए 1978 में पब्लिक सेफ्टी ऐक्ट (PSA) लागू किया गया था। यह सार्वजनिक सुरक्षा व्यवस्था को बनाए रखने के लिए लागू किया गया था।


इस कानून की धारा 8 में किसी व्यक्ति को कब हिरासत में लिया जा सकता है, इसका जिक्र किया गया है। इसके मुताबिक, अगर किसी व्यक्ति को जम्मू-कश्मीर की सुरक्षा और पब्लिक ऑर्डर के लिए खतरा माना जाता है या किसी तरह की तस्करी में शामिल होता है या फिर कोई विदेशी नागरिक अवैध तरीके से राज्य में रह रहा हो तो उसे PSA के तहत हिरासत में लिया जा सकता है। इस कानून के तहत 18 साल से कम उम्र के भारतीयों को हिरासत में नहीं लिया जा सकता।


किसी भी व्यक्ति को हिरासत में लिए जाने का डिटेंशन ऑर्डर डीएम या डिविजनल कमिश्नर जारी करता है। जिस व्यक्ति को हिरासत में लिया जाता है, उसे कारण बताने की जरूरत नहीं होती।

 

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कब तक हिरासत में रखा जा सकता है?

कानून की धारा 18 में बताया गया है कि किसी व्यक्ति को कब तक हिरासत में रखा जा सकता है। इसे तीन कैटेगरी में बांटा गया है।


इसके मुताबिक, अगर कोई व्यक्ति सार्वजनिक सुरक्षा को बिगाड़ता है तो उसे 3 महीने तक हिरासत में रखा जा सकता है, जिसे बढ़ाकर 12 महीने तक किया जा सकता है। इसी तरह तस्करी में शामिल व्यक्ति को 12 महीने तक हिरासत में रखा जा सकता है।


वहीं, अगर कोई व्यक्ति जम्मू-कश्मीर की सुरक्षा के लिए खतरा पैदा करता है तो उसे 6 महीने के लिए हिरासत में रखा जा सकता है, जिस बढ़ाकर 2 साल तक किया जा सकता है। यानी, आरोपी व्यक्ति 2 साल तक बिना किसी ट्रायल के हिरासत में रहता है।

 

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क्यों उठते हैं इस कानून पर सवाल?

इस कानून पर सवाल इसलिए उठते हैं क्योंकि इसे अक्सर विरोधियों के खिलाफ इस्तेमाल करने का आरोप लगता है। विपक्ष आरोप लगाता है कि विरोधियों को दबाने के लिए इसका इस्तेमाल किया जाता है। 


मलिक पर PSA लगाए जाने पर सवाल उठाए जा रहे हैं। आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह ने मेहराज मलिक को हिरासत में लिए जाने को 'गैरकानूनी और असंवैधानिक' बताया है।

 


जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कहा कि मेहराज मलिक की किसी भी गलती पर विधानसभा में चर्चा हो सकती थी और उन पर PSA के तहत मामला दर्ज करने की जरूरत नहीं थी। 


पुलवामा से पीडीपी विधायक वहीदुर्रहमान पारा ने कहा कि ऐसे कठोर कानूनों का इस्तेमाल राजनीतिक आवाजों को दबाने और असहमति को कुचलने के लिए 'हथियार' के रूप में किया जा रहा है। पीपुल्स कॉन्फ्रेंस के सज्जाद गनी लोन ने कहा कि जम्मू-कश्मीर के लोग अब भी गुलाम हैं। उन्होंने कहा, 'अगर एक चुना हुआ प्रतिनिधि अपनी बात नहीं कह सकता तो चुनावों का क्या मतलब है?'

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