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कर्नाटक: हादसे में घायल हुए तो पहले इलाज होगा, फिर मांगे जाएंगे पैसे

कर्नाटक की सिद्धारमैया सरकार ने एक बयान में कहा है कि सभी चिकित्सा संस्थान और डॉक्टर किसी भी एक्सीडेंट पीड़ित का इंमरजेंसी की स्थिति में तुरंत इलाज करें और इसके लिए वो पीड़ितों से पहले पैसे ना लें।

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कर्नाटक के सीएम सिद्धारमैया। Photo Credit- PTI

कर्नाटक सरकार ने गुरुवार को सभी चिकित्सा संस्थानों और डॉक्टरों को याद दिलाया कि किसी भी एक्सीडेंट पीड़ित का इंमरजेंसी की स्थिति में तुरंत इलाज करें और इसके लिए वो पीड़ितों से किसी भी तरह का अग्रिम भुगतान (एडवांस पेमेंट) न मांगें। सरकार का कहना है कि पूरे राज्य के डॉक्टर और अस्पताल घायलों का इंमरजेंसी स्थिति में फौरन उपचार करें। 

 

सिद्धारमैया सरकार ने बुधवार को एक बयान जारी करके कहा, 'कर्नाटक में दुर्घटना पीड़ितों के उपचार के संबंध में राज्य में प्रचलित कानून और योजनाओं के प्रावधानों के बारे में प्रवर्तन एजेंसियों और दुर्घटना पीड़ितों को दोहराना और निर्देशित करना जरूरी समझा जाता है।'

 

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सड़क हादसों तक सीमित नहीं

बयान में स्पष्ट किया गया है कि कर्नाटक प्राइवेट चिकित्सा प्रतिष्ठान अधिनियम, 2007 के तहत दुर्घटना पीड़ित की परिभाषा केवल सड़क हादसों तक सीमित नहीं है, बल्कि इसमें जलने, जहर खाने या आपराधिक हमले जैसी स्थितियां भी शामिल हैं। सरकार ने आगे में कहा कि इसी तरह के अन्य मामले चिकित्सीय कानूनी या संभावित चिकित्सीय कानूनी मामले के दायरे में आते हैं।

नियम के उल्लंघन पर एक लाख का जुर्माना

इसमें कहा गया है, 'जब भी कोई दुर्घटना पीड़ित किसी चिकित्सा संस्थान में आता है या उसे चिकित्सा संस्थान में लाया जाता है, तो उसे अग्रिम भुगतान पर जोर दिए बिना ऐसी आपात स्थितियों में इलाज मुहैया कराया जाना चाहिए।' बयान में कहा गया है कि किसी भी उल्लंघन पर धारा 19(5) के तहत एक लाख रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है।

 

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कानून के मुताबिक उपचार जरूरी

सरकार ने कर्नाटक गुड समेरिटन एंड मेडिकल प्रोफेशनल एक्ट, 2016 का भी हवाला देते हुए कहा कि हर अस्पताल को मुफ्त मेडिकल स्क्रीनिंग, फर्स्ट-एड और जरूरी उपचार प्रदान करना अनिवार्य है, ताकि मरीज की स्थिति में सुधार हो सके। अगर किसी अस्पताल में इलाज की सुविधाएं नहीं है, तो उसे पहले मरीज को स्थिर करना होगा और फिर दूसरी जगह रेफर करना होगा, साथ ही चिकित्सा दस्तावेज भी देना होगा। 

 

इसके अलावा, सरकार ने मोटर वाहन अधिनियम, 1988 की धारा 187 का भी हवाला देते हुए कहा कि नियमों का पालन न करने पर तीन महीने की जेल या 500 रुपये जुर्माना और दोबारा अपराध करने पर छह महीने की जेल या 1,000 रुपये जुर्माना लगाया जा सकता है। 

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