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भूखे रहे, 15KM पैदल चले; क्लासरूम मांगने वाले हेडमास्टर ही हुए सस्पेंड

कर्नाटक के बेलगावी जिले के एक गांव में स्कूल में छात्रों के लिए क्लासरूम की मांग करने वाले हेडमास्टर को ही सस्पेंड करने का मामला सामने आया है।

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प्रतीकात्मक तस्वीर। (AI Generated Image)

क्या हो कि एक स्कल के हेडमास्टर को सिर्फ इसलिए सस्पेंड कर दिया जाए, क्योंकि उन्होंने अपने छात्रों के लिए क्लासरूम की बुनियादी जरूरतों की मांग उठाई थी। हो सकता है कि बहुत से लोग इस बात से इत्तेफाक न रखें, मगर ऐसा हुआ है और वह भी कर्नाटक में। मामला कर्नाटक के बेलगावी जिले में पड़ने वाले निदागुंडी गांव का है, जहां के हेडमास्टर ने बेसिक जरूरतों की मांग को लेकर प्रदर्शन किया था लेकिन उन्हें ही सस्पेंड कर दिया गया।


बताया जा रहा है कि निदागुंडी गांव के सरकारी स्कूल के हेडमास्टर वीरन्ना मदीवलार ने पिछले हफ्ते छात्रों के लिए बुनियादी जरूरतों को पूरा करने की मांग को लेकर 15 किलोमीटर तक पैदल मार्च किया था और भूख हड़ताल की थी। इन मांगों को लेकर प्रदर्शन करने पर अधिकारियों ने उन्हें ही सस्पेंड कर दिया।


बताया जा रहा है कि उस स्कूल में 146 छात्र पढ़ते हैं। इस स्कूल में क्लासरूम में बुनियादी चीजों तक की कमी है, जिस कारण छात्रों को बाहर बैठकर पढ़ना पड़ता है।

 

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अब तक नहीं बन सकी क्लासरूम

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, शिक्षा के क्षेत्र में अनूठे काम कनरे पर सम्मानित भी किया जा चुका है। वीरन्ना क्लास बनाने की मंजूरी देने की मांग को लेकर रायबाग तालुका में ब्लॉक एजुकेशन ऑफिस तक नंगे पैर चलकर गए थे। यहां उन्होंने भूख हड़ताल भी की थी।


रिपोर्ट के मुताबिक, क्लासरूम की कमी के कारण छात्रों को चिलचिलाती धूप और मॉनसून की बारिश में पढ़ाने करने के लिए बाहर बैठना पड़ रहा है। पूर्व एजुकेशन कमिश्नर अंबुकुमार के कार्यकाल में इस स्कूल में करीब तीन साल पहले 3 क्लासरूम बनाने को मंजूरी दी गई थी। हालांकि, अब तक इनका निर्माण कार्य शुरू भी नहीं हुआ है।

 

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क्या बोले वीरन्ना मदीवलार?

मीडिया से बात करते हुए मदीवलार ने कहा, 'मैं एक सरकारी कर्मचारी हूं, जिसने हमेशा सरकारी गरिमा को बनाए रखा है। मुझे जिला स्तर पर सर्वश्रेष्ठ शिक्षक पुरस्कार और अंतर्राष्ट्रीय मान्यता मिली है। पुरुस्कार की राशि मैंने छात्रों के कल्याण पर खर्च की है।'


उन्होंने कहा, 'किसी भी बच्चे को पढ़ाई करते समय कड़ी धूप, बारिश या हवा का सामना नहीं करना चाहिए। जब बार-बार अपील अनसुनी हो गई तो मैंने मौन रूप से विरोध प्रदर्शन किया। यह प्रदर्शन सरकार के खिलाफ नहीं, बल्कि बच्चों के लिए था।' उन्होंने बताया कि रायबाग के तहसीलदार सुरेश मुंजे ने उन्हें इस मुद्दे को अधिकारियों के सामने उठाने का भरोसा दिया, जिसके बाद उन्होंने अपना प्रदर्शन खत्म कर दिया।

 

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हेडमास्टर ही हो गए सस्पेंड

छात्रों की समस्याओं को लेकर प्रदर्शन करने पर प्रशासन ने हेडमास्टर को ही सस्पेंड कर दिया। सस्पेंशन ऑर्डर में रायबाग के ब्लॉक एजुकेशन ऑफिसर बसवराजप्पा ने कहा, 'हेडमास्टर के रूप में आपने विभाग के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया, जिससे विभाग और सरकार को शर्मिंदी उठानी पड़ी है। आपको सिस्टम को सार्वजनिक रूप से चुनौती देने के बजाय सम्मानजनक लिखित अनुरोध करके प्रोटोकॉल का पालन करना चाहिए था।'


अधिकारियों ने उन्हें सस्पेंड करते हुए कर्नाटक सिविल रूल्स (कंडक्ट) रूल्स 2021 का हवाला दिया, जो सरकारी कर्मचारियों को हड़ताल करने से रोकता है।

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