वैसे तो कई कंपनियां अपने कर्मचारियों को टेंशन फ्री और स्ट्रेस फ्री माहौल देने के लिए कई कोशिशें करती हैं। मगर हैदराबाद के इस स्टार्टअप ने एक ऐसा तरीका अपनाया है, जिसकी चर्चा हर तरफ हो रही है। स्टार्टअप ने ऑफिस में कूल माहौल बनाए रखने के लिए गोल्डन रिट्रीवर डॉग को अपना 'चीफ हैप्पीनेस ऑफिसर' यानी CHO अपॉइंट किया है। कंपनी ने अपने इस नए ऑफिसर का नाम 'डेनवर' रखा है।
जिस कंपनी ने यह कदम उठाया है, उसका नाम 'हार्वेस्टिंग रोबोटिक्स' है, जो एक नया स्टार्टअप है। यह कंपनी ऐसे रोबोटिक मशीनें बनाती है, जो खेती में किसानों की मदद करें।
इस कंपनी के कोफाउंडर राहुल अरेपाका ने लिंक्ड-इन पर पोस्ट कर डेनवर की हायरिंग की जानकारी दी। उन्होंने लिखा, 'हमारे सबसे नए कर्मचारी चीफ हैप्पीनेस ऑफिसर डेनवर से मिलिए। वह कोडिंग नहीं करता। उसे इसकी परवाह नहीं है। वह बस आता है और दिल जीत लेता है।'
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राहुल अरापेका ने कहा कि डेनवर के अपॉइंटमेंट के साथ ही अब हम ऑफिशियल पेट फ्रेंडली हो गए हैं। उन्होंने इसे सबसे अच्छा फैसला बताया है। उन्होंने बताया कि इसे कंपनी में अच्छे 'भत्ते' भी मिलेंगे।

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डेनवर अब लिंक्ड-इन पर भी आ गया है। डेनवर ने अपनी प्रोफाइल बायो में लिखा, 'हार्वेस्टेड में चीफ हैप्पीनेस ऑफिसर के रूप में मेरा काम पॉजिटिव और एंगेजिंग वर्क एन्वायर्मेंट बनाए रखना है। मेरा काम लोगों से रोज बातचीत करना है, उन्हें उत्साहित करना है और इस बात का ध्यान रखना है कि ऑफिस का माहौल न सिर्फ प्रोडक्टिव रहे, बल्कि मजेदार भी हो। मैं पॉजिटिविटी को बढ़ाने के लिए कमिटेड हूं और टीम को हमेशा एनर्जी से भरा और फोकस रखने में मदद करूंगा।' बायो में लिखा है कि जब मैं ड्यूटी पर नहीं होता तो आराम करना पसंद करता हूं।

डेनवर का स्वागत करते हुए राहुल अरापेका ने अपनी पोस्ट में लिखा, 'वेलकम डेनवर। टीम का माहौल अब 100 गुना ज्यादा कूल हो गया है।' इस पर डेनवर ने जवाब देते हुए लिखा, 'थैंक्स राहुल। क्या मैं इसकी जगह CEO बन सकता हूं? Pawsible है?'
डॉग के होने से ऑफिस का माहौल ज्यादा कूल बना रहता है। ह्यूमन एनिमल बाउंड रिसर्च इंस्टीट्यूट (HABRI) की स्टडी बताती है कि जिन ऑफिस में कोई पेट होता है, वहां के 91% से ज्यादा कर्मचारी अपने काम में व्यस्त रहते हैं। इसकी तुलना में जहां कोई पेट नहीं होता, वहां सिर्फ 65% कर्मचारी ही काम पर फोकस करते हैं। यह स्टडी यह भी बताती है कि पेट फ्रेंडली ऑफिसेस के 85% से ज्यादा कर्मचारी ऐसे होते हैं, जो शायद ही कभी छुट्टी लें। ऐसे ऑफिसेस में काम करने वाले कर्मचारी सिर्फ बीमार पड़ने पर ही छुट्टी लेते हैं।