बिहार के किशनगंज जिले के जिला शिक्षा अधिकारी (DEO) ने फरमान जारी करते हुए सभी प्राइवेट स्कूलों में उर्दू पढ़ाने का आदेश दिया है। अब इसको लेकर बिहार में सियासी बवाल हो गया है। दरअसल, किशनगंज के डीईओ नासिर हुसैन ने सीबीएसई से संबंधित प्राइवेट स्कूलों में भी उर्दू भाषा को पढ़ाने का आदेश जारी किया है। हुसैन ने इस संबंध में स्कूलों को जानकारी देने के लिए एक पत्र भी जारी किया है।
हालांकि, डीईओ नासिर हुसैन के इस आदेश का कांग्रेस विधायक इजहारुल हुसैन ने स्वागत किया है। उन्होंने कहा, 'प्राइवेट स्कूलों में उर्दू भाषा पढ़ाने की मांग मेरी नहीं बल्कि लोगों की है, क्योंकि इस क्षेत्र के बच्चे अच्छे स्कूल में जाना चाहते हैं लेकिन उर्दू शामिल नहीं होने की वजह से वे दाखिला नहीं ले पाते हैं। मैं मुख्यमंत्री और शिक्षा मंत्री को इसे स्वीकार करने और प्राइवेट स्कूलों में उर्दू को शामिल करने का आदेश देने के लिए धन्यवाद देता हूं।'
त्रिलोक चंद जैन ने पत्र का विरोध किया
बाल मंदिर स्कूल के सचिव त्रिलोक चंद जैन ने इस आदेश का विरोध किया है। उन्होंने कहा कि यह न तो डीईओ नासिर हुसैन का अधिकार क्षेत्र है और न ही केंद्र सरकार ने ऐसा कोई आदेश जारी किया है। यह आदेश जारी करना गैरकानूनी है और इसे जल्द से जल्द रद्द किया जाना चाहिए।
किशनगंज के डीएम ने क्या कहा?
वहीं, किशनगंज के डीएम विशाल राज ने प्राइवेट स्कूलों में उर्दू भाषा पढ़ाने वाले पत्र का विरोध नहीं किया है। उन्होंने कहा, 'प्राइवेट स्कूलों के पाठ्यक्रम में उर्दू को एक विकल्प के रूप में शामिल करने का अनुरोध किया गया है, जो इसे सीखना चाहते हैं वह पढ़ सकते हैं। इसके अलावा कोई अन्य अनिवार्य दिशा-निर्देश जारी नहीं किए गए हैं।'
जब स्कूल चाहे तब उर्दू को शामिल करे
इस पूरे मामले पर बिहार के शिक्षा राज्य मंत्री और राज्य के बीजेपी अध्यक्ष दिलीप जायसवाल ने कहा कि यह आदेश किसी भी प्राइवेट स्कूल के लिए अनिवार्य नहीं है। भाषा (उर्दू) को केवल तभी शामिल किया जा सकता है जब स्कूल चाहे। यह जिला शिक्षा का काम नहीं है और उन्हें (नासिर हुसैन) अपना वास्तविक काम करना चाहिए।