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झारखंड: कुरमी आंदोलन में आई तेजी, 100 से अधिक ट्रेन रद्द, फंसे यात्री

कुरमी समुदाय के लोग कुरमाली भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करवाने और उन्हें एसटी का दर्जा दिए जाने की मांग कर रहे हैं।

person blockading train। Photo Credit: PTI

ट्रेन को रोके हुए प्रदर्शनकारी । Photo Credit: PTI

झारखंड में कुरमी समुदाय के आंदोलन के कारण शनिवार को रांची और धनबाद रेल मंडल में 100 से ज्यादा यात्री ट्रेनें रद्द, डायवर्ट या बीच में ही रोक दी गईं। दक्षिण पूर्व रेलवे (SER) और पूर्व मध्य रेलवे (ECR) के तहत आने वाले कई स्टेशनों पर कुरमी समुदाय के लोग रेल पटरियों पर बैठ गए। वे अनुसूचित जनजाति (ST) का दर्जा और कुरमाली भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करने की मांग कर रहे हैं।

 

आदिवासी कुरमी समाज के बैनर तले प्रदर्शनकारी रांची जिले के मूरी, राय, टाटी सिलवई, रामगढ़ के बरकाकाना, गिरिडीह के परसनाथ, हजारीबाग के चढ़ी, धनबाद के प्रधानखंता, पूर्वी सिंहभूम के गालुडीह और बोकारो के चंद्रपुरा स्टेशनों पर पटरियों पर बैठ गए। प्रशासन के रोक के बावजूद यह प्रदर्शन जारी रहा।

 

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रेल सेवाएं प्रभावित  

रेलवे के अनुसार, धनबाद मंडल में 25 ट्रेनें रद्द की गईं और 24 को डायवर्ट किया गया। वहीं, रांची मंडल में 12 ट्रेनें, जिनमें वंदे भारत और राजधानी एक्सप्रेस शामिल हैं, रद्द हुईं और 11 को डायवर्ट किया गया। कई ट्रेनों को बीच में ही रोक दिया गया। इससे हजारों यात्री झारखंड के विभिन्न स्टेशनों पर फंस गए।

यात्रियों की परेशानी  

पूर्वी सिंहभूम के घाटशिला स्टेशन पर फंसी हावड़ा-पुणे दुरंतो एक्सप्रेस की यात्री मालोती घोष ने बताया, 'मेरी बेटी पुणे में बीमार है। मुझे जल्दी वहां पहुंचना है, लेकिन रेलवे सिर्फ आश्वासन दे रहा है। कोई जानकारी नहीं कि ट्रेन कब चलेगी।'

 

इसी तरह, टाटा-पटना वंदे भारत एक्सप्रेस के सैकड़ों यात्री मूरी स्टेशन पर फंस गए। बाद में ट्रेन रद्द होने से यात्रियों में हंगामा मच गया। रेलवे की वरिष्ठ अधिकारी सुची सिंह ने बताया कि मूरी में यह ट्रेन रद्द कर दी गई।

आंदोलन को समर्थन  

आदिवासी कुरमी समाज के नेता ओपी महतो ने कहा कि वे रात भर पटरियों पर रहेंगे और मांग पूरी होने तक आंदोलन खत्म नहीं करेंगे। ऑल झारखंड स्टूडेंट्स यूनियन (AJSU) और झारखंड लोकतांत्रिक क्रांतिकारी मोर्चा जैसे राजनीतिक दलों ने भी आंदोलन को समर्थन दिया। AJSU प्रमुख सुदेश महतो ने मूरी स्टेशन पर प्रदर्शन का नेतृत्व किया। उन्होंने कहा, '1931 में कुरमी समुदाय को ST सूची से हटाया गया था। तब से हम अपने हक के लिए लड़ रहे हैं। यह आंदोलन पूरे राज्य में सफल रहा।'

प्रशासन की कार्रवाई  

रांची प्रशासन ने मूरी, सिल्ली, खलारी और टाटी सिलवई स्टेशनों के 300 मीटर के दायरे में निषेधाज्ञा (धारा 163 BNSS) लागू की। यह आदेश शुक्रवार रात 8 बजे से 21 सितंबर सुबह 8 बजे तक प्रभावी है। पूर्वी सिंहभूम के टाटानगर, गोविंदपुर, राखा माइंस और हल्दीपोखर स्टेशनों पर 100 मीटर के दायरे में भी यही आदेश लागू किया गया।  

 

पुलिस महानिदेशक अनुराग गुप्ता ने शुक्रवार को अतिरिक्त पुलिस बल तैनात करने, सीसीटीवी और ड्रोन लगाने और रेलवे पुलिस के साथ मिलकर सुरक्षा सुनिश्चित करने के निर्देश दिए। 

आदिवासी संगठनों का विरोध

दूसरी ओर, कई आदिवासी संगठनों ने कुरमी आंदोलन के खिलाफ रांची में राजभवन के पास प्रदर्शन किया। आदिवासी नेता लक्ष्मी नारायण मुंडा ने कहा, 'कुरमी समुदाय का यह आंदोलन गैरकानूनी और अलोकतांत्रिक है। वे असली अनुसूचित जनजातियों के अधिकार छीनना चाहते हैं।'

 

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शांतिपूर्ण प्रदर्शन का दावा  

आदिवासी कुरमी समाज की सदस्य और कुरमी विकास मोर्चा की अध्यक्ष शीतल ओहदार ने कहा कि उनका प्रदर्शन शांतिपूर्ण है। रेलवे अधिकारियों ने प्रदर्शनकारियों को समझाने और पटरियां खाली कराने की कोशिश की, लेकिन आंदोलन जारी रहा। इस आंदोलन से यात्रियों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। रेलवे और प्रशासन स्थिति को नियंत्रित करने की कोशिश में जुटे हैं।

 

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