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दार्जिलिंग में लैंडस्लाइड से 23 मौतें, रेस्क्यू के लिए आई सेना

पश्चिम बंगाल में लगातार बारिश से भूस्खलन और पुल टूटने की घटनाओं में 23 लोगों की मौत हो गई। दार्जिलिंग से कूचबिहार तक कई इलाके जलमग्न हैं। सेना व NDRF राहत-बचाव कार्य में जुटी हुई हैं।

Darjeeling landslide

दार्जिलिंग भूस्खलन, Photo Credit- PTI

पश्चिम बंगाल के पहाड़ी और मैदानी इलाकों में 5 अक्टूबर को रात भर हुई लगातार बारिश से भूस्खलन और पुल ढहने की दुखद घटनाएं हुई हैं। दार्जिलिंग से लेकर कूचबिहार तक कई इलाके पूरी तरह से पानी में डूब गए हैं। इस आसमानी आफत से 23 लोगों की मौत हो गई हैं। सेना और राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन बल (NDRF) की टीमें बचाव और राहत कार्यों में लगी हुई हैं। महानंदा, जलढाका और तीस्ता नदियां खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं। मरने वाले ज्यादातर लोग हिल स्टेशन मिरिक में थे। अभी भी दर्जनों लोग लापता है क्योंकि दूर दराज के इलाकों में राहत कार्य अभी भी शुरू करने में समस्या आ रही है।

 

दार्जिलिंग में एक दशक में अब तक का सबसे भीषण भूस्खलन देखा गया। लगातार बारिश के कारण पहाड़ी इलाके और जलपाईगुड़ी में भी भूस्खलन की घटनाएं हुई है, जिनमें कई लोगों की मौत और कई घायल हुए हैं। कई मुख्य सड़कें भूस्खलन के मलबे से बाधित हो गए है जिससे इन क्षेत्रों से संपर्क टूट गया है। खासकर रोहिणी रोड और तीनधारिया रोड जैसी महत्वपूर्ण सड़कों को भारी नुकसान पहुंचा है। सिलीगुड़ी और दार्जिलिंग को जोड़ने वाले मुख्य मार्ग भी प्रभावित हुए हैं। कई गांव पूरी तरह से कट गए है। सड़कें और संचार नेटवर्क पूरी तरह से टूट गए हैं। इन सब के कारण सबसे ज्यादा सैलानियों को समस्या हो रही है।

 

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NDRF और जिला प्रशासन के अनुसार अकेले दार्जिलिंग जिले में 18 लोगों की मौत हुई है। इसमें मिरिक में 11 और 7 अन्य जोरेबंगला, सुकिया पोखरी और सदर पुलिस स्टेशन जैसे इलाकों में हुई हैं। जलपाईगुड़ी जिले के नागराकाटा में एक अलग अभियान में मलबे से 5 शव बरामद किए गए हैं। दार्जिलिंग क्षेत्र की देखरेख करने वाले गोरखालैंड प्रादेशिक प्रशासन (जीटीए) ने कहा कि पूरे क्षेत्र में 35 स्थानों पर भूस्खलन की सूचना मिली है। पीटीआई को जीटीए के मुख्य कार्यकारी अधिकारी अनित थापा ने कहा, 'इस क्षेत्र में 35 स्थानों पर भूस्खलन की सूचना मिली है।'

 

2015 के बाद से सबसे भीषण भूस्खलन

अधिकारियों का कहना है कि 2015 के बाद यह सबसे भीषण भूस्खलन आपदा हो सकती है। 2015 में हुई घटना में 40 लोग मारे गए थे। कोलकाता, हावड़ा और हुगली से सैकड़ों पर्यटक दुर्गा पूजा की छुट्टियों में यहां आए थे, जो कि अब फंस गए हैं। सिलीगुड़ी को मिरिक-दार्जिलिंग मार्ग से जोड़ने वाला एक लोहे का पुल टूट गया है, जिससे पहुंचने का रास्ता कट गया है। भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने दार्जिलिंग और कलिम्पोंग समेत इन पहाड़ी इलाकों में 6 अक्टूबर तक अत्यधिक भारी वर्षा का अलर्ट जारी किया है। कूचबिहार और जलपाईगुड़ी के लिए रेड अलर्ट और दार्जिलिंग जिले के लिए ऑरेंज अलर्ट जारी है। IMD ने इन इलाकों में, और अधिक भूस्खलन और सड़क अवरोधों की भी चेतावनी दी है।

 

 

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मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने क्या कहा

मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इस आपदा के बाद एक आपात बैठक बुलाया और मीटिंग के बाद यह घोषणा की कि वह सोमवार 6 अक्टूबर को प्रभावित क्षेत्र का दौरा करेंगी। सीएम ने कहा, 'स्थिति चिंताजनक है। भूटान में हो रही लगातार बारिश से इस क्षेत्र में पानी भर गया है। प्राकृतिक आपदाएं हमारे नियंत्रण से बाहर हैं।' उन्होंने बताया कि केवल 12 घंटों में 300 मिमी से अधिक बारिश दर्ज की गई है, जिससे कम से कम सात जगहों पर भूस्खलन और बाढ़ आ गई है।

पीएम मोदी ने जताया दुख

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस त्रासदी पर दुख जताया और कहा कि केंद्र सरकार स्थिति पर कड़ी नजर रख रही है। पीएम ने कहा, 'दार्जिलिंग में एक पुल दुर्घटना में हुई जानमाल की हानि से गहरा दुःख हुआ है। जिन लोगों ने अपने प्रियजनों को खोया है, उनके प्रति संवेदनाघायलों के शीघ्र स्वस्थ होने की कामना करता हूंभारी बारिश और भूस्खलन के मद्देनजर दार्जिलिंग और आसपास के इलाकों की स्थिति पर कड़ी नजर रखी जा रही है।'

 

हिमालय में हो रही बारिश का असर नेपाल में भी देखा जा रहा है। नेपाल में भारी बारिश हुई है, जिसके कारण भूस्खलन और अचानक बाढ़ आई है, जिसके चलते रविवार 5 अक्टूबर तक 24 घंटों में 52 लोगों की मौत हो गई।

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