मध्य प्रदेश के इंदौर में विशेष न्यायाधीश (पॉक्सो एक्ट) और द्वितीय अपर सत्र न्यायाधीश सविता जाडिया की अदालत ने सात वर्षीय मासूम बच्ची के साथ दुष्कर्म करने के अपराध में मंगल सिंह पंवार को तिहरे मृत्युदंड की सजा सुनाई है। अदालत ने दोषी को तीन अलग-अलग धाराओं के तहत मृत्युदंड दिया है।
क्या था पूरा मामला?
यह अमानवीय घटना 27 फरवरी 2024 को हुई थी, जब दोषी मंगल सिंह पंवार ने सात साल की मासूम के साथ बहुत क्रूरता से दुष्कर्म किया। बच्ची की हालत इतनी गंभीर थी कि उसके शरीर के कई अंग बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गए थे। उसे कई दिनों तक अस्पताल में भर्ती रहना पड़ा और कई ऑपरेशन कर उसे बचाया गया। न्यायालय ने अपने फैसले में कहा कि दोषी ने मासूम को मृत्यु के समान पीड़ा दी, इसलिए उसके प्रति कोई दया नहीं दिखाई जा सकती।
तिहरा मृत्युदंड क्या है?
तिहरा मृत्युदंड (Triple Death Penalty) का मतलब यह है कि किसी अपराधी को तीन अलग-अलग धाराओं के तहत मृत्युदंड दिया गया हो। इस मामले में अदालत ने दोषी को तीन अलग-अलग प्रावधानों में कोर्ट ने दुष्कर्म के आरोपी मंगल पवार को धारा 376 ए बी व धारा 5 एम/ 6 एवं 5 आई/ 6 पास्को एक्ट के तहत फांसी की सजा सुनाई है, जिससे यह एक ऐतिहासिक फैसला बन गया है।
अदालत का सख्त फैसला
विशेष न्यायाधीश सविता जाडिया ने कहा कि ‘इस अपराध की भयावहता इतनी ज्यादा है कि इसे क्षमा नहीं किया जा सकता। एक मासूम बच्ची को इस कदर पीड़ा देना इंसानियत के खिलाफ है।’ अदालत ने पीड़िता के लिए 5 लाख रुपये मुआवजे की भी सिफारिश की है, जिससे उसके इलाज और पुनर्वास में सहायता मिल सके।
कम समय में पूरी हुई सुनवाई
कई बार देखा जाता है कि गंभीर मामलों में न्याय प्रक्रिया में वर्षों लग जाते हैं, लेकिन इस मामले में अदालत ने एक वर्ष से भी कम समय में सुनवाई पूरी कर दोषी को सजा सुनाई। यह न्याय व्यवस्था की तेजी और पीड़िता को शीघ्र न्याय दिलाने की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।