इस दिवाली मध्य प्रदेश के कई शहरों में कैल्शियम कार्बाइड गन के इस्तेमाल से कई लोगों की आंखों की रोशनी दांव पर लगी है। दिवाली पर कैल्शियम कार्बाइड गन ने कई बच्चों के चेहरे झुलसा दिए और कई लोगों की आंखों पर घाव हो गए हैं। अस्पतालों के मुताबिक अब तक सिर्फ राजधानी भोपाल में ही 125 से ज्यादा मामले सामने आ चुके हैं। जानकारी के मुताबिक पीड़ितों में सबसे ज्यादा 8 से 14 साल के बच्चे शामिल हैं। इन मामलों के सामने आने के बाद प्रशासन ने कार्बाइड गन को बनाने, बेचने और खरीदने पर रोक लगा दी है।
मध्य प्रदेश में कार्बाइड गन के इस्तेमाल से 150 से ज्यादा लोग घयाल हो गए हैं, जिनमें 14 मासूमों की आंखों की रोशनी हमेशा के लिए चली गई है। 100 से 150 रुपये में मिलने वाली इस कैल्शियम कार्बाइड गन ने इस दिवाली सैंकड़ों घरों में अंधेरा कर दिया है। भोपाल, इंदौर, जबलपुर, ग्वालियर और विदिशा जैसे शहरों में इस देशी जुगाड़ के कारण कई लोगों को नुकसान पहुंचा है।
यह भी पढ़ें-- घर पर चलता रहा बुलडोजर, इधर लगाते रहे सपाटे, कौन हैं राहुल ढंडलानिया?
क्या है कार्बाइड गन
कार्बाइड गन कोई फैक्ट्री में सुरक्षा नियमों को ध्यान में रख कर बना कोई हथियार नहीं है बल्कि यह तो एक खतरनाक देसी जुगाड़ है। देशी जुगाड़ से पुराने समय में लोगों खेतों से आवारा जानवरों को भगाते थे। इस हथियार को बनाने में बहुत कम समय लगता है। इसे बनाने के लिए एक पीवीसी पाइप, कैल्शियम कार्बाइड के टुकड़े, थोड़ा पानी और एक लाइटर का इ्स्तेमाल किया जाता है। गन बनाने में इस्तेमाल होने वाला पाइप और अन्य सामान बड़ी आसानी से मार्केट में मिल जाता है। दिवाली पर लोग इसे पटाखा गन की तरह इस्तेमाल करते हैं। इस गन में किसी बम धमाके की तरह आवाज होती है लेकिन यह बहुत ही खतरनाक देसी जुगाड़ है।
जानलेवा हथियार
दिवाली पर पटाखों की तरह इस्तेमाल की जाने वाली कैल्शियम कार्बाइड गन कोई पटाखा नहीं बल्कि एक रासायनिक हथियार है। इस गन में एसिटिलीन गैस का दबाव और तापमान इतना ज्यादा होता है कि हल्की सी गलती भी जान ले सकती है। जानकारों के अनुसार, जब कैल्शियम कार्बाइड पानी या नमी के संपर्क में आता है तो एक तीव्र रासायनिक प्रतिक्रिया होती है, जिससे एसिटिलीन गैस बनती है। यह वही गैस है जो वेल्डिंग में इस्तेमाल होती है और बहुत तेजी से आग पकड़ती है। इस गैस को जब पाइप के अंदर फंसाकर लाइटर से जलाया जाता है, तो तेज धमाके के साथ विस्फोट होता है। विस्फोट के साथ ही कार्बाइड के गर्म कण तेजी से बाहर की ओर निकलते हैं जिससे सामने खड़े व्यक्ति का चेहरा और आंखें बुरी तरह झुलस सकती हैं। इसी कैल्शियम कार्बाइड गन के इस्तेमाल से मध्यप्रदेश के भोपाल, इंदौर, ग्वालियर और विदिशा सहित कई जिलों में लोग जल गए।
भोपाल में लगा बैन
मध्य प्रदेश में कैल्शियम कार्बाइड गन के इस्तेमाल से कई लोगों को नुकसान हुआ, जिसके बाद प्रशासन भी हरकत में आया। भोपाल में जिला मजिस्ट्रेट ने पटाखों और कैल्शियम कार्बाइड गन के निर्माण और बिक्री पर पूरी तरह से रोक लगा दी है। कलेक्टर ऑफिस से जारी एक आदेश में कहा गया है कि पटाखा, आतिशबाजी, लोहा स्टील और पीवीसी पाइपों में विस्फोटक पदार्थ भरतक बहुत ज्यादा आवाज करने वाले अवैध पटाखे (कार्बन गन) के निर्माण और बिक्री पर रोक लगाता हूं। इसके साथ ही पुलिस और एसडीएम को इन आदेशों को सख्ती से लागू करने का आदेश दिया गया है। अगर कोई भी इस आदेश का पालन नहीं करता है और कैल्शियम कार्बाइड गन को खरीदता, बेचता या इसका निर्माण करता है तो उस पर भारतीय न्याय संहिता के अंतर्गत कार्यवाही की जाएगी।
यह भी पढ़ें: आवाज लगाते रहे परिजन, नहीं खोला गेट! डॉक्टर के दरवाजे पर किसान की मौत
14 बच्चों ने गंवा दी आंखों की रोशनी
मध्य प्रदेश में 150 से ज्यादा बच्चे खतरनाक खिलौने की चपेट में आए, जिनमें से 14 ने अपनी आंखों की रोशनी खो दी। डॉक्टरों के अनुसार, कार्बाइड गन का धमाका आंख की बाहरी परत कॉर्निया को चीरता हुआ अंदरूनी हिस्सों तक पहुंच जाता है, जिससे रेटिना डैमेज, अंदरूनी ब्लीडिंग और कई मामलों में स्थायी अंधापन हो जाता है। कई बच्चों के चेहरे पर प्लास्टिक के छर्रे घुस गए हैं, जिस कारण उनके चेहरे पर गहरे निशान बन गए हैं। डॉक्टरों का कहना है कि अभी तक जो भी मामले सामने आए हैं उनमें कार्निया डैमेज के केस सबसे ज्यादा हैं। इस तरह की घटनाओं में केवल आंखों को ही नहीं बल्कि दिमाग को भी भारी खतरा होता है। वहीं, डॉक्टरों का कहना है कि इस तरह के हथियारों से होने वाली तेज आवाज से बच्चों के कान का पर्दा भी फट जाता है।