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'दूध-सब्जी की सप्लाई रोक देंगे', जरांगे की महाराष्ट्र सरकार को चेतावनी

मनोज जरांगे ने एक बार फिर से महाराष्ट्र सरकार को कड़ी चेतावनी दी है। उन्होंने अपनी योजना के मुताबिक कहा है कि अगर सरकार उनकी मागों को नहीं मानती है तो वह आने वाले समय में मुंबई में दूध और सब्जियों की सप्लाई रोक देंगे।

Maratha quota row

मनोज जरांगे। Photo Credit- IANS

महाराष्ट्र में मराठा कोटा के लिए आंदोलन कर रहे मनोज जरांगे इस बार आर-पार की लड़ाई लड़ रहे हैं। पिछली बार सरकार से मिली वादाखिलाफी से खफा हुए जरांगे ने चेतावनी दी है कि अगर सरकार मराठा समुदाय की आरक्षण मांगों को पूरा नहीं करती है, तो वह मुंबई को दूध और सब्जियों की सप्लाई रोक देंगे। इससे पहले जरांगे सोमवार को जालना जिले में स्थित अपने पैतृक गांव अंतरवाली सराती लौटे। इस दौरान हजारों कार्यकर्ताओं ने उनका भव्य स्वागत किया।

 

दरअसल, मनोज जरांगे ने पिछले दिनों मुंबई के आजाद मैदान में पांच दिनों की भूख हड़ताल की थी, जिसे बॉम्बे हाई कोर्ट के आदेश के बाद खत्म कर दिया गया था। इसके बाद जरांगे का छत्रपति संभाजीनगर के एक अस्पताल में इलाज चल रहा था। स्पताल से छुट्टी मिलने के बाद वह सोमवार को अपने गांव लौटे थे।

 

अपने गांव जाने से पहले मनोज जरांगे ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि राज्य सरकार को 17 सितंबर से पहले मराठवाड़ा में मराठों को कुनबी जाति प्रमाण पत्र बांटना शुरू कर देना चाहिए।

 

 

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कठोर फैसले लेने पड़ेंगे- जरांगे

उन्होंने कहा, 'सरकार को हैदराबाद गजट-आधारित सरकारी आदेश को बिना किसी देरी के लागू करना शुरू कर देना चाहिए। अगर 17 सितंबर तक यह प्रक्रिया शुरू नहीं हुई, तो मुझे दशहरा सभा के दौरान कठोर फैसले लेने पड़ेंगे। अगर मांग पूरी नहीं हुई, तो हम मुंबई को दूध और सब्जियों की सप्लाई बंद कर देंगे।'

'मैं उम्मीद नहीं छोड़ूंगा'

मनोज जरांगे ने कहा, 'मैं उम्मीद नहीं छोड़ूंगा। अगर कोई गलती हुई है, तो मैं एक और लड़ाई के लिए तैयार हूं। उन्होंने इस बात की पुष्टि करते हुए कहा कि इस साल भी वार्षिक दशहरा मेलावा का आयोजन होगा, हालांकि समय की कमी की वजह से इसे छोटे पैमाने पर आयोजित किया जाएगा। उन्होंने कहा, 'परंपरा के अनुसार, सभा होगी। वहां से, हम सरकार को दिखाएंगे कि उसने क्या नहीं दिया है और हम उसे कैसे लेंगे।'

 

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सरकार को चेतावनी दी

यही नहीं जरांगे ने मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस, उनके दोनों उप-मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे-अजीत पवार और राधाकृष्ण विखे पाटिल को कड़ी चेतावनी दी। उन्होंने कहा, 'अगर सरकारी आदेश के शब्दों में बदलाव किया गया, तो हम भी 1994 के ओबीसी सरकारी आदेश को कोर्ट में चुनौती देंगे। तब न्यायपालिका को उसे भी रद्द करना होगा। हमने काफी धैर्य दिखाया है, लेकिन अब बहुत हो गया।'

खामियां दूर होनी चाहिए

बता दें कि पूर्ववर्ती हैदराबाद राज्य ने हैदराबाद राजपत्र (Hyderabad Gazette) में मराठों को कुनबी के रूप में दर्ज किया था, इसके बाद मराठा ओबीसी श्रेणी के लिए पात्र हो गए थे। मुंबई में जारंगे की भूख हड़ताल की वजह सरकार को कुनबी प्रमाणपत्र देने के लिए इसी राजपत्र को आधार बनाते हुए एक नया सरकारी आदेश जारी करना पड़ा था। उन्होंने कहा कि हालांकि नए सरकारी आदेश से राज्य भर के मराठों को फायदा होगा, लेकिन किसी भी खामी को दूर किया जाना चाहिए।

 

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