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मिनी कुंभ में दुकानदार हुए मालामाल, फर्रुखबाद का भुना आलू हुआ मशहूर

उत्तर प्रदेश के प्रयागराज महाकुंभ की तरह फर्रुखाबाद में मिनी महाकुंभ लगता है। इसे रामनगरिया मेला के नाम से भी जाना जाता है।

mini mahakumbh farrukhabad 2025

मिनी महाकुंभ, Photo Credit: Wikipedia commons

उत्तर प्रदेश के फर्रुखाबाद के पांचाल घाट पर मिनी कुंभ मेला श्री राम नगरिया बहुत मशहूर है। प्रयागराज की तरह 13 जनवरी से इस मेले की शुरुआत हुई। मेले में दूर-दराज के जिलों से भक्त पहुंचे और इसका लुत्फ उठाया।  एक माह तक चलने वाले इस मेले में हजारों श्रद्धालु और कल्पवासी पहुंचे।

 

13 से 20 जनवरी तक चलने वाले इस मेले में सबसे ज्यादा मुनाफा अगर किसी का हुआ तो वह यहां के कारोबारी है। हालांकि, इस मेले में सबसे अधिक बिक्री भुने आलू की हुई। इस मिनी कुंभ में आने वाले लोगों ने यहां जमकर भुने आलू खाए। दुकानदारों ने बताया कि 13 से 20 जनवरी के बीच केवल भुने आलू का लगभग 16 लाख रुपए तक का कारोबार किया जा चुका है। 

रोजाना कितनी हुई कमाई?

आलू कारोबारी के अनुसार, मेले में लगभग 60 से 65 दुकानों लगाई गई। हर दुकान पर रोज करीब 400 से 500 ग्राहक पहुंचे। कारोबारी भुने आलू से रोजाना तीन से चार हजार रुपए कमा रहे हैं। ऐसे में अगर 65 दुकानदारों की कमाई रोज 3 हजार रुपए के करीब हो रही है तो वह लगभग 2 लाख रुपए का कारोबार कर चुके है। 13 जनवरी से शुरू इस मेले में कारोबारी रोज 2 लाख का मुनाफा हो रहा है। दुकानदारों ने बताया कि माघ मेला एक महीने तक चलता है जिसके लिहाज से यहां भुने आलू का कारोबार 60 से 65 लाख रुपये तक होने की संभावना है। 

 

कितना होता मुनाफा?

कारोबारी थोक में 20 रुपए किलो में आलू खरीदते हैं। साफ करने के बाद इसमें 32 मासलों का लेप लगाया जाता है। इसके बाद इसे बालू में पकने तक भूना जाता है। भुनने के बाद आलू पर मक्खन, देशी घी समेत कई तरह के मसाले लगाए जाते है। हरी चटनी इसमें और स्वाद बढ़ाता है। ग्राहकों को यह इतना स्वाद दे रहा है कि 24 घंटे इसकी बिक्री हो रही है। दिल्ली, कानपुर, लखनऊ, मुंबई, आगरा समेत देश के कोने-कोने से लोग यहां आ रहे हैं और भुने आलू का लुत्फ उठा रहे हैं।

 

यह भी पढ़ें:  रामनगरिया मेला: संगम वाले कुंभ से कितना है अंतर? धार्मिक महत्व जानिए

मिनी महाकुंभ के दौरान क्या होता है?

श्रद्धालु पंचाल घाट पर गंगा में डुबकी लगाते हैं।
भक्त एक सख्त दिनचर्या का पालन करते हैं, जिसमें ब्रह्म मुहूर्त में जागना, गंगा में स्नान करना और धार्मिक कार्यक्रमों में भाग लेना शामिल है।
भक्त दिन में केवल एक बार भोजन करते हैं, चूल्हे पर खाना पकाते हैं और जमीन पर सोते हैं।

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