मुंबई से हाल ही में एक ऐसा मामला सामने आया है, जिसने सभी को हैरान कर दिया। यह मामला किराए के घर और भारी डिपॉजिट से जुड़ा है। अनिल चव्हाण नाम के एक व्यक्ति ने मुंबई के बैगनवाड़ी इलाके में स्थित अपना मकान किराए पर दिया था। यह घर उन्होंने सैयद अली नाम के एक किराएदार को 6 लाख रुपये के भारी डिपॉजिट के बदले किराए पर दिया था। सैयद अली ने डिपॉजिट के 6 लाख रुपये में से 4.5 लाख रुपये अनिल चव्हाण को दे दिए थे। बकाया 1.5 लाख रुपये के लिए सैयद ने कुछ समय मांगा था। बाद में जब अनिल ने सैयद से बकाया पैसों की मांग की तो उसने अनिल के ऊपर गाड़ी चढ़ा दी।
पुलिस ने बताया कि अनिल चव्हाण 21 जुलाई को सैयद अली से अपने बकाया पैसे लेने गया था। पैसों की वजह से दोनों के बीच कहासुनी हो गई। ऐसे में सैयद अली ने अपना आपा खो दिया और बहस के बाद उसने अपनी कार से अनिल को टक्कर मार दी।
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पुलिस तक पहुंचा मामला
इस हमले में अनिल चव्हाण को गंभीर चोटें आईं और उन्हें तुरंत अस्पताल में भर्ती कराया गया। इलाज के बाद, 23 जुलाई को अनिल ने पुलिस में शिकायत दर्ज करवाई। अनिल की शिकायत के आधार पर देवनार पुलिस ने सैयद अली को गिरफ्तार कर लिया। अब पुलिस इस मामले की आगे जांच कर रही है।
क्यों लिया जाता है इतना हैवी डिपॉजिट?
यह मामला इसलिए भी चर्चा में है क्योंकि इसमें 'हैवी डिपॉजिट' सिस्टम शामिल है, जो मुंबई जैसे बड़े शहरों में इन दिनों काफी चलन में है। इस सिस्टम को ‘जीरो रेंटल’ मॉडल भी कहा जाता है। इसमें किराएदार, मकान मालिक को एक बार में एक बड़ी रकम देता है, जो कि एक तरह से एडवांस डिपॉजिट होती है। इसके बदले में उसे हर महीने मकान किराया नहीं देना पड़ता और एग्रीमेंट के हिसाब से उसी एडवांस डिपॉजिट के पैसों से हर महीने मकान का किराया कटता रहता है।
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इसे रेंट एग्रीमेंट के नाम से भी जानते हैं यह एग्रीमेंट एक निश्चित समय के लिए होता है जैसे कि 2 या 3 साल के लिए। इस दौरान किरायेदार को केवल बिजली, पानी, और अन्य बिल देने होते हैं। जब इस रेंट एग्रीमेंट का समय पूरा हो जाता है, तो मकान के नुकसान और बकाया बिलों को मकान मालिक को वापस करना होता है।
मुंबई जैसे शहरों में, जहां किराए बहुत ज्यादा हैं, यह व्यवस्था कुछ लोगों के लिए फायदेमंद साबित होती है। इससे मकान मालिक को शुरुआत में एक बड़ी रकम मिल जाती है और किरायेदार को हर महीने किराया देने से राहत मिलती है।