'मौजूदा कानून में नेक्रोफीलिया यानी शव से दुष्कर्म में सजा का प्रावधान नहीं है इसलिए आरोपी को केवल सुबूत मिटाने का दोषी मानते हुए सात वर्ष की सजा सुनाई जाती है।' रविवार को छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने यह टिप्पणी करते हुए फैसला सुनाया। मामला 9 साल की बच्ची के शव से दुष्कर्म करने से जुड़ा हुआ है।
हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा व जस्टिस बीडी गुरु की बेंच ने फैसला सुनाते हुए कहा कि जीवित व्यक्तियों के साथ मृतक भी गरिमा और उचित व्यवहार के हकदार हैं। हालांकि, देश में नेक्रोफीलिया पर सजा का कोई प्रावधान न होने के कारण आरोपी को केवल सात साल की सजा सुनाई गई। इसके साथ पीठ ने ट्रायल कोर्ट के फैसले के खिलाफ अपील भी खारिज कर दी।
बच्ची के गायब होने की दर्ज कराई थी शिकायत
एक मीडिया चैनल की रिपोर्ट के अनुसार, पीड़िता की मां ने 18 अक्टूबर, 2018 को 9 साल की बच्ची के गायब होने की शिकायत दर्ज कराई थी। मृतका की मां ने हाई कोर्ट से इंसाफ की गुहार लगाई थी। बता दें कि इस मामले में नीलकंठ और नितिन यादव की गिरफ्तारी हुई थी। ट्रायल कोर्ट ने नितिन को दुष्कर्म व हत्या का दोषी ठहराते हुए उम्रकैद दी थी। वहीं, नीलकंठ को सुबूत मिटाने का दोषी माना और 7 वर्ष की सजा सुनाई गई।
मामला 6 साल पुराना, फैसला अब
यह मामला छत्तीसगढ़ के गरियाबंद इलाके का है जहां पीड़िता की मां ने अपनी बेटी के गायब होने की शिकायत दर्ज कराई थी। यह मामला 6 साल पुराना है। पुलिस ने इस मामले में नीलकंठ और नितिन को गिरफ्तार किया था। नीलकंठ ने बच्ची के शव के साथ रेप करने की बात मानी थी। इसी सजा के खिलाफ हाई कोर्ट में अपील दायर की गई थी।
भारत में इसको लेकर क्या कानून?
भारतीय न्याय संहिता की धारा 375 (दुष्कर्म) 377 (अप्राकृतिक कार्य) कहता है कि आरोपित ने जिंदा शरीर के साथ संबंध नहीं बनाए। पार्थिव शरीर को व्यक्ति नहीं माना जा सकता। इसलिए इन पर यह प्रावधान लागू नहीं होंगे। तो ऐसे में आइये जान लेते है कि क्या है नेक्रोफीलिया या शवों के साथ दुष्कर्म?
क्या है नेक्रोफीलिया?
नेक्रोफीलिया को आसान भाषा में समझें तो इसमें कोई व्यक्ति शवों के साथ दुष्कर्म जैसे अपराध को अंजाम देता है। नेक्रोफीलिया ग्रीक भाषा का शब्द है जिसमें नेक्रो का मतलब ‘मृत’ और फिलिया का मतलब ‘प्रेम’ होता है। नेक्रोफीलिया का मतलब शव के साथ यौन संबंध बनाना होता है। नेक्रोफिलिया में मृत लोगों के प्रति व्यक्ति यौन रूप से उत्तेजित महसूस करने लगता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने नोक्रोफीलिया को मेंटल डिसऑर्डर बताया है।
किताब ‘द हिस्ट्रीज़’ में हैरान करने वाली बात
नेक्रोफीलिया की घटनाएं न केवल भारत बल्कि विदेशों से भी सामने आई है। इतिहासकार हेरोडोटस की किताब ‘द हिस्ट्रीज़’ में इसको लेकर एक बात लिखी गई है। इसमें बताया गया है कि मिस्र के लोग अपने परिवार के महिला सदस्यों का शव दफनाने से डरते थे। उन्हें लगता था कि कहीं उनके शव के साथ दुष्कर्म न हो जाए। ऐसे में वह लाश को सड़ने ही देते थे।
इन देशों में क्या है सजा?
कई देशों में नेक्रोफीलिया को सजा की गिनती में देखा जाता है। अमेरिका में इसे अपराध माना जाता है। यहां लाशों के साथ अपराध, अपमान, यौन उत्पीड़न या उसका दुरुपयोग करने पर सख्त सजा सुनाई जाती है। शवों के साथ उत्पीड़न पर अमेरिका में जेल के साथ-साथ भारी जुर्माना भी लगता है।
जर्मनी में भी शवों के साथ यौन उत्पीड़न करने के अपराध में तीन साल की सजा सुनाई जाती है। लाश के साथ दुष्कर्म किए जाने के आरोप में जेल भी जा सकते है। वहीं, कनाडा में मृत शरीर के साथ संबंध बनाना अपमान माना जाता है। इसके लिए पांच साल से अधिक की जेल भी हो सकती है। इसके अलावा ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, दक्षिण अफ्रीका में भी इसको लेकर सख्त सजा सुनाई गई है।