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बिहार के बाद अब ओडिशा में होगा SIR, अगले साल जनवरी में आएगी वोटर लिस्ट

बिहार के बाद अब ओडिशा में भी एसआईआर होने वाला है। यह प्रक्रिया 2002 के बाद से अब होने वाली है।

SIR का विरोध करते राहुल गांधी और अन्य नेता । Photo Credit: PTI

SIR का विरोध करते राहुल गांधी और अन्य नेता । Photo Credit: PTI

ओडिशा में अगले महीने से मतदाता सूची की स्पेशल इन्टेंसिव रिवीजन (एसआईआर) प्रक्रिया शुरू होगी। यह 2002 के बाद राज्य में पहली ऐसी प्रक्रिया होगी। राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी आर. संत गोपालन ने सोमवार को यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि अंतिम मतदाता सूची अगले साल 7 जनवरी को प्रकाशित की जाएगी।

 

गोपालन ने कहा, 'एसआईआर अगले महीने से शुरू होगा और संशोधित सूची जनवरी में जारी होगी। निर्वाचन आयोग के निर्देशों के अनुसार, इसमें देरी भी हो सकती है।' 

उन्होंने यह भी बताया कि राज्य में मतदान केंद्रों की संख्या 38,000 से बढ़ाकर 45,000 की जाएगी। 2002 के बाद से अब तक मतदाता सूची में हर साल केवल सामान्य संशोधन होता रहा है, जिसमें घर-घर जाकर सत्यापन नहीं किया जाता।

 

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क्यों जरूरी है यह प्रक्रिया?  

एसआईआर के तहत घर-घर जाकर मतदाताओं की पात्रता की जांच की जाएगी। मतदान केंद्रों को व्यवस्थित करने और मतदाता सूची में गलतियों को दूर करने का काम होगा। गोपालन ने कहा कि इस प्रक्रिया से यह सुनिश्चित होगा कि कोई भी पात्र मतदाता छूटे नहीं और कोई अपात्र व्यक्ति सूची में शामिल न रहे।

बिहार में विवाद  

यह घोषणा ऐसे समय में हुई है जब बिहार में एसआईआर को लेकर विवाद चल रहा है। बिहार में भी 20 साल बाद यह प्रक्रिया शुरू हुई थी, जिसमें 1 अगस्त को जारी मसौदा सूची से लगभग 65 लाख नाम हटाए गए। जुलाई में इस प्रक्रिया को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी। 14 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने निर्वाचन आयोग को हटाए गए 65 लाख मतदाताओं का विवरण प्रकाशित करने का निर्देश दिया। कोर्ट ने पारदर्शिता पर जोर देते हुए 19 अगस्त तक यह काम पूरा करने और 22 अगस्त को समीक्षा करने का आदेश दिया।

ओडिशा में कितने वोटर  

2024 की मतदाता सूची के अनुसार, ओडिशा में कुल 3.32 करोड़ मतदाता हैं। इनमें 1.68 करोड़ पुरुष, 1.63 करोड़ महिलाएं, 680,000 वरिष्ठ नागरिक, 9,060 लोग जो 100 साल से अधिक उम्र के हैं, 457,000 दिव्यांग मतदाता, 754,000 18-19 साल के युवा मतदाता और 3,380 थर्ड जेंडर मतदाता शामिल हैं।

कौन से दस्तावेज जरूरी?  

निर्वाचन आयोग के निर्देशों के अनुसार, जिन लोगों का नाम 2002 की मतदाता सूची में नहीं था, उन्हें अपनी पात्रता साबित करने के लिए आयोग द्वारा निर्धारित दस्तावेज जमा करने होंगे। बिहार के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने आधार कार्ड को भी स्वीकार करने का निर्देश दिया है।

 

राज्य सरकार ने सभी विभागों और जिला कलेक्टरों को निर्देश दिए हैं कि जिला निर्वाचन अधिकारी, निर्वाचन पंजीकरण अधिकारी या सहायक निर्वाचन पंजीकरण अधिकारी के पद खाली न रहें। इन पदों पर किसी भी अधिकारी का तबादला निर्वाचन आयोग की पूर्व अनुमति के बिना नहीं होगा।

 

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बीजेडी के आरोपों का जवाब

2024 के लोकसभा और विधानसभा चुनावों में मतदान संख्या में गड़बड़ी के बीजद के आरोपों पर गोपालन ने कहा कि कांग्रेस और बीजेडी के सवालों का जवाब पहले ही दिया जा चुका है। उन्होंने कहा, 'हमें जनता का भरोसा नहीं डगमगाना चाहिए। बेबुनियाद आरोप निर्वाचन आयोग की विश्वसनीयता को कमजोर कर सकते हैं।' 

 

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