IAS की ट्रेनिंग की दौरान ही बर्खास्त हो चुकीं पूजा खेडकर का परिवार एक बार फिर से विवादों में हैं। इस बार उनके पिता दिलीप खेडकर पर एक ट्रक हेल्पर के अपहरण का आरोप है। वहीं उनकी मां पर पुलिस पर कुत्तों से हमला करवाने का आरोप है। दोनों के खिलाफ केस दर्ज कर लिया गया है। पुलिस का कहना है कि दिलीप ने 2 करोड़ की एसयूवी को हुए नुकसान की भरपाई के लिए ट्रक हेल्पर का अपहरण किया। वह अब फरार हैं।
14 सितंबर को दिलीप खेडकर के घर से पुलिस को ट्रक हेल्पर मिला था। उसके गायब होने की शिकायत पुलिस के पास थी। जब इस मामले में दिलीप खेडकर ओर उनकी पत्नी मनोरमा से बात की गई थी तब उन्होंने थाने आने का आश्वासन दिया था। हालांकि दोनों अभी तक पुलिस से थाने में मिलने नहीं आए हैं। ऐसे में पुलिस ने दावा किया है कि दोनों फरार हैं।
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पूरा मामला
मुबंई के एरोली में एक सीमेंट मिक्सर ट्रक की टक्कर लैंड क्रूजर से हो गई थी जिसकी कीमत 2 करोड़ रुपये से ज्यादा है। टक्कर के समय गाड़ी में दिलीप और उनके बॉडीगार्ड प्रफुल सालुंखे भी बैठे थे। देखने वालों ने बताया कि प्रह्लाद को जबरदस्ती कार में बैठाया गया और वहां से ले जाया गया। बाद में प्रह्लाद को पुणे के उनके घर पर ले जाकर बंधक बनाकर मारपीट की गई।
पुणे डीसीपी पंकज दहाणे ने कहा, 'दुर्घटना के समय दिलीप खेडकर और उनके बॉडीगार्ड कार में थे। उन्होंने ट्रक के हेल्पर का अपहरण कर लिया क्योंकि वे उससे कार को हुए नुकसान की भरपाई चाहते थे।'
पुलिस पर छोड़े कुत्ते
ट्रक मालिक ने प्रह्लाद कुमार (ट्रक हेल्पर) के गायब होने की शिकायत की थी। इसी सिलसिले में पुलिस जांच के लिए दिलीप के घर पर पहुंची थी। इसी दौरान पुलिस को घर से भगाने और घायल करने के लिए दिलीप की पत्नी मनोरमा ने उनपर अपने पालतू कुत्ते छोड़ दिए। हालांकि, टीम ने वहां से प्रहलाद को छुड़ा लिया। अधिकारियों ने बताया कि दिलीप और उसके परिवार केे खिलाफ केस दर्ज कर लिया गया है।
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मनोरमा खेडकर के खिलाफ सरकारी काम में बाधा डालने, सबूत नष्ट करने, गलत जानकारी देने और एक आरोपी को सजा से बचाने की कोशिश करने से संबंधित धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया था। 15 सितंबर की सुबह पुलिस फिर से घर पहुंची लेकिन घर पर कोई भी नहीं मिला। अधिकारियों ने कहा है कि उनको शक है कि दोनों फरार हैं।
पूजा खेडकर विवाद
साल 2024 में पूजा खेडकर सुर्खियों में आई थीं जब उन्होंने आईएएस की ट्रेनिंग के समय कई सुविधाएं मांगी थीं। जांच में पता चला कि उन्होंने अपना सरनेम बदल लिया था। विकलांगता को लेकर भी झूठ बोला था और पिछड़ा वर्ग का फर्जी सर्टिफिकेट बनवाकर सिविल सेवा में जगह हासिल की थी। बाद में उन्हें बर्खास्त कर दिया गया और दोबारा परीक्षा देने पर भी पाबंदी लगा दी गई।