पंजाब सरकार राज्य में जल्द ही नशे की लत, नशा मुक्ति केंद्रों और प्रभावित अबादी की सामाजिक और आर्थिक स्थिति पर आंकड़े जुटाने के लिए राज्यव्यापी जनगणना कराएगी। पंजाब सरकार नशे की लत के खिलाफ अभियान चला रही है। सरकार नशे की जद में आए लोगों की पहचान करेगी। भगवंत मान सरकार इस जनगणना पर 150 करोड़ रुपये खर्च करेगी।
पंजाब में एक बड़ा हिस्सा नशे की जद में है। सरकार किसी भी पार्टी की हो, विपक्ष का एक धड़ा दावा करता रहा है कि राज्य में दूसरे राज्यों की तुलना में ज्यादा ड्रग और शराब की जद में लोग हैं। भगवंत मान सरकार ने नशे के खिलाफ लड़ाई में अपना पहला प्लान तय किया है।
बुधवार को भगवंत मान सरकार ने अपना चौथा बजट पेश किया है। वित्त मंत्री हरपाल सिंह चीमा ने कहा, 'सीमा पार से नशे और हथियारों की तस्करी को रोकना केंद्र की प्राथमिक जिम्मेदारी है। अब हमने सीमा पार से नशे की तस्करी को पूरी तरह से रोकने के लिए बीएसएफ की मदद करेंगे।'
तैयारी क्या है?
पंजाब में पुनर्वास केंद्रों को बढ़ाया जाएगा। नए नशा मुक्ति केंद्र खोले जाएंगे। पुलिस और विशेष टास्क फोर्स को ड्रग डिटेक्शन इंस्ट्रूमेंट और अत्याधुनिक तकनीक सौंपी जाएगी। ड्रग तस्करों की मॉनिटरिंग की जाएगी।
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नशे के मामलों से कैसे निपट रही सरकार?
मुख्यमंत्री भगवंत मान ने 1 मार्च को पुलिस अधिकारियों के साथ एक अहम बैठक की थी। बैठक में नशे के मामलों की सुनवाई और दोषियों को सजा दिलाने के लिए स्पेशल फास्ट ट्रैक अदालतों के गठन की बात कही थी। सीएम ने स्कूल और कॉलेजों में नशे की रोकथाम के लिए सप्लाई लाइन को तोड़ने की बात कही थी।
भगवंत मान ने कहा था कि नशा तस्करों और उनके परिवारों को बिजली, पानी और दूसरी सुविधाओं में छूट नहीं दी जाएगी। भगवंत मान ने कहा था कि अगर NDPS एक्ट में संशोधन की जरूरत पड़ी तो इसे केंद्र सरकार के सामने उठाया जाएगा।
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पंजाब में कितना फैला है नशे का कारोबार?
पंजाब पुलिस ने बीते 1 महीने में ड्रग से जुड़े 3,868 तस्करों से पूछताछ की है। 24 दिनों में कुल 2177 FIR दर्ज की है, वहीं 135 किलो हिरोइन, 82 किलो अफीम और 5.42 करोड़ ड्रग मनी जब्त की है। पंजाब पुलिस के डीजीपी गौरव यादव ने बीते सोमवार को यह आंकड़े सार्वजनिक किए थे।