पंजाब के फिरोजपुर में सरकारी पैसा हड़पने का एक अनोखा मामला सामने आया है। यहां सरकारी अधिकारियों ने कागजों में एक फर्जी गांव बसा दिया और उसके नाम पर केंद्र सरकार से 45 लाख की बड़ी रकम हासिल कर ली। दरअसल, यह मामला 2013 का है लेकिन इसका खुलासा सालों बाद आरटीआई के जरिए हुआ। जिला प्रशासन ने इस पूरे घोटाले की जांच के आदेश दिए हैं।
क्या है पूरा मामला?
दरअसल, सरकारी अधिकारियों और कर्मचारियों ने मिलकर फिरोजपुर गांव के पास एक नई गट्टी राजो के नाम पर एक फर्जी गांव कागजातों में बसा दिया। इस फर्जी गांव के विकास कार्य कागजों पर दिखाए जाने लगे। केंद्र सरकार से लगभग 45 लाख रुपये तक हड़प लिए। बता दें कि पांच साल पहले पंजाब में अकाली दल की सरकार थी।
कैसे हुआ खुलासा?
2019 में एक व्यक्ति को इस घोटाले का पता चला और उसने संबंधित विभाग से जानकारी मांगते हुए आरटीआई दायर की। करीब पांच साल बाद आरटीआई के जवाब में सच्चाई सामने आई कि उस समय के अधिकारियों और कर्मचारियों ने न्यू गट्टी राजोके नाम से एक गांव का फर्जीवाड़ा किया और उसके नाम पर भारी रकम का गबन किया।
55 योजनाएं की गई शुरू
अधिकारियों ने नई गट्टी राजो नाम से एक काल्पनिक गांव की फाइलें बनाईं। नई गट्टी राजो नाम से उन्होंने 55 योजनाएं शुरू की और उन्हें 45 लाख रुपये हड़पने के लिए इस्तेमाल किया। चौंकाने वाली बात यह है कि असली गांव में केवल 33 विकास योजनाएं ही लागू की गईं और नकली गांव को असली गांव से ज्यादा अनुदान मिला। इस घोटाले के खुलासे से हर कोई हैरत में है। सीमावर्ती गांव के लोग खुद हैरान हैं। अधिकारियों ने कागजों पर फर्जी गांव बनाकर लाखों की लूट की।
इस बीच, असली गांव की हालत अभी भी निराशाजनक बनी हुई है। इस धोखाधड़ी के उजागर होने के बाद अधिकारी अब इस बड़े घोटाले में शामिल लोगों के खिलाफ जांच और सख्त कार्रवाई का वादा कर रहे हैं।