लोकसभा में विपक्ष के नेता और वरिष्ठ कांग्रेस सांसद राहुल गांधी बुधवार को पटना में जगलाल चौधरी की जयंती 'आजादी के परवाने' कार्यक्रम में शामिल हुए। इस दौरान उन्होंने दलित मुद्दों पर अपनी बात रखी और बीजेपी-आरएसएस पर निशाना साधा।
कांग्रेस सांसद ने कहा कि हम बाबा साहब अंबेडकर और जगलाल चौधरी के विचार और उसूलों की बात करते हैं, लेकिन सवाल है कि अंबेडकर और जगलाल चौधरी के जो विचार थे, वे कहां से आते थे? सच्चाई ये है कि दलितों के दिल में जो दुख और दर्द था, अंबेडकर और जगलाल चौधरी ने उस आवाज को उठाया था।
दलितों की उपेक्षा का आरोप
राहुल गांधी ने केंद्र की मोदी सरकार में दलितों की उपेक्षा का आरोप लगाते हुए कहा, 'आज भारत के पॉवर स्ट्रक्चर- शिक्षा, स्वास्थ्य, कार्पोरेट या ज्यूडिशरी में दलित वर्ग की कितनी भागीदारी है? बीजेपी रिप्रेजेंटेशन की बात करती है, लेकिन भागीदारी के बिना रिप्रेजेंटेशन का कोई मतलब नहीं है।'
उन्होंने कहा कि ये बिलकुल ऐसा ही है जैसे मैंने आपके बीच में से पांच लोगों को स्टेज पर बैठा दिया, लेकिन उनके फैसले कहीं और से लिए जा रहे हैं। ऐसे में उन्हें स्टेज पर बैठाने का कोई मतलब नहीं है। मोदी सरकार में भी यही हो रहा है- आप लोगों को मंत्री बना देते हैं, लेकिन OSD तो आरएसएस का होता है।
मीडिया के मालिकों और मैनेजमेंट की लिस्ट निकालिए
नेता विपक्ष राहुल गाधी ने जगलाल चौधरी जयंती समारोह में कहा कि अंबेडकर और जगलाल चौधरी के आदर्शों पर चलकर, हम अन्याय को हराएंगे और न्याय की स्थापना करेंगे। उन्होंने कहा, 'देश के बड़े मीडिया हाउस के मालिकों और मैनेजमेंट की लिस्ट निकालिए। उस लिस्ट में आपको एक भी दलित वर्ग का व्यक्ति नहीं मिलेगा, इसीलिए मीडिया में आपके मुद्दे नहीं दिखते हैं।'
उन्होंने आगे कहा कि नरेंद्र मोदी ने देश के सबसे अमीर लोगों का 16 लाख करोड़ रुपए माफ किया है। ये आपका पैसा है, आपके टैक्स का पैसा है। लेकिन अगर उन अमीरों की लिस्ट निकाली जाए, तो उसमें एक भी दलित, आदिवासी या पिछड़े वर्ग के व्यक्ति का नाम नहीं मिलेगा। आज हिंदुस्तान में आम जनता की जेब से पैसा निकालकर अरबपतियों की जेब में डाला जा रहा है।
काले-गोरे छात्रों का दिया उदाहरण
राहुल गांधी ने अमेरिका का एक उदाहरण देते हुए कहा, 'जब अमेरिका में पहली बार SAT एग्जाम की शुरुआत हुई तो उसमें गोरे छात्रों का प्रदर्शन बहुत अच्छा था और अफ्रीकन-अमेरिकन छात्रों का प्रदर्शन खराब था। इससे धारणा बनी कि गोरे छात्र पढ़ने में बहुत अच्छे और होशियार हैं और अफ्रीकन-अमेरिकन छात्र पढ़ाई में कमजोर हैं। ऐसे में एक प्रोफेसर ने प्रयोग किया और उसने एग्जाम के क्वेश्चन पेपर अफ्रीकन-अमेरिकन प्रोफेसर से तैयार करवा दिए। इस प्रयोग का नतीजा यह हुआ कि सारे गोरे छात्र फेल हो गए।'
जातिगत जनगरणा का उठाया मुद्दा
वहीं, उन्होंने देश में जातिगत जनगरणा पर बात करते हुए कहा कि हमें पता लगाना है कि देश में किसकी कितनी आबादी है और कितनी भागीदारी है? ये पता करने का तरीका सिर्फ एक है- जातिगत जनगणना। राहुल ने कहा, 'जातिगत जनगणना हमें ये बता देगा कि देश में दलित, ओबीसी, आदिवासी, अल्पसंख्यक और गरीब सामान्य वर्ग के लोग कितने हैं। फिर पता करेंगे कि देश की संस्थाओं में उन लोगों की कितनी भागीदारी है।'