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20 मिनट के लिए जाम की थी सड़क, कांग्रेस के 2 विधायकों को एक साल की सजा

राजस्थान के दो विधायकों को 11 साल पहले सड़क जाम करने के आरोप में एक-एक साल की सजा सुनाई गई है। यह घटना राजस्थान यूनिवर्सिटी के गेट पर हुई थी।

mukesh bhakar and manish yadav

मुकेश भाकर और मनीष यादव, Photo Credit: Social Media

राजस्थान में कांग्रेस के दो विधायकों को एक-एक साल की सजा सुना दी गई है। राजधानी जयपुर की एक स्थानीय अदालत ने 11 साल पहले के एक मामले में कांग्रेस विधायक मनीष यादव और मुकेश भाकर समेत कुल 9 लोगों को एक-एक साल की सजा सुनाई है और जुर्माना भी लगाया है। यह मामला साल 2014 का है जब इन नेताओं ने छात्र नेता के तौर पर प्रदर्शन किया था और राजस्थान यूनिवर्सिटी के गेट पर 20 मिनट तक सड़क को जाम कर दिया था। नियमों के मुताबिक, दो साल से कम की सजा होने पर विधायकों की विधानसभा सदस्यता पर कोई असर नहीं पड़ेगा। 

 

जयपुर की अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट-19 परीक्षिता देथा ने सभी नौ आरोपियों को भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 147 और 283 के तहत गैरकानूनी तरीके से सभा करने और सार्वजनिक मार्ग में बाधा डालने का दोषी ठहराया है। यह घटना 13 अगस्त 2014 की है जब छात्र नेताओं ने JLN मार्ग पर राजस्थान यूनिवर्सिटी के मेन गेट के बाहर लगभग 20 मिनट तक सड़क को जाम कर दिया था। सड़क पर जाम लगाने के कारण रास्ता बंद हो गया था और लोगों को दिक्कतों का सामना करना पड़ा था। तब राजस्थान में भारतीय जनता पार्टी (BJP) की सरकार थी और वसुंधरा राजे मुख्यमंत्री हुआ करती थीं।

 

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किन लोगों को हुई है सजा?

 

अब जिन लोगों को दोषी ठहराया गया है, उनमें विधायक मुकेश भाकर और विधायक मनीष यादव के अलावा अभिषेक चौधरी, राजेश मीणा, रवि किराड़, वसीम खान, द्रोण यादव, भानु प्रताप सिंह और विद्याधर मील शामिल हैं। मुकेश भाकर और मनीष यादव वर्तमान में कांग्रेस के विधायक हैं जबकि अभिषेक चौधरी ने भी जयपुर की झोटवाड़ा सीट से 2023 का विधानसभा चुनाव लड़ा था लेकिन हार गए थे। मुकेश भाकर अब लाडनूं से और मनीष यादव शाहपुरा से विधायक हैं।

 

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अभियोजन अधिकारी कविता पिंगोलिया ने बताया कि सुनवाई के बाद अदालत ने दोषियों पर IPC की धारा 147 के तहत एक-एक साल की सजा और 3,000-3,000 रुपये का जुर्माना और धारा 283 के तहत 200 रुपये का अतिरिक्त जुर्माना लगाया है। कोर्ट ने इन लोगों को एक महीने का वक्त दिया है और वे सजा के खिलाफ हाई कोर्ट में अपील कर सकते हैं।

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