महाराष्ट्र सरकार ने राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) के पूर्व महानिदेशक और मुंबई आतंकी हमले के हीरो वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी सदानंद दाते को महाराष्ट्र पुलिस महानिदेशक (DGP) बनाया है। वे दो साल तक इस पद पर बने रहेंगे। महाराष्ट्र की मौजूदा डीजीपी रश्मी शुक्ला 3 जनवरी को सेवानिवृत्त हो रही हैं। सदानंद दाते उनकी जगह लेंगे।
सदानंद दाते 1990 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं। उन्हें केंद्र में प्रतिनियुक्ति पर भेजा गया था। जहां उन्होंने एनआईए प्रमुख के तौर पर अपनी सेवा दी। मगर केंद्रीय प्रतिनियुक्ति से समय से पहले वापसी के बाद उन्हें महाराष्ट्र का डीजीपी नियुक्त किया गया है। पुणे यूनिवर्सिटी से आर्थिक अपराधों में डॉक्टरेट की उपाधि हासिल करने वाले सदानंद दाते एक तेज-तर्रार और सख्त अधिकारी हैं।
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सदानंद दाते के पास पुलिस के अलावा केंद्रीय एजेंसियों में काम करने का एक लंबा अनुभव है। वे केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) में डीआईजी और सीआरपीएफ में आईजी (ऑपरेशंस) की जिम्मेदारी निभा चुके हैं। इसके अलावा वसई-विरार के पहले पुलिस कमिश्नर भी रहे। वहीं महाराष्ट्र एंटी-टेररिज्म स्क्वाड (ATS) के अलावा मुंबई पुलिस में जॉइंट कमिश्नर ऑफ पुलिस (कानून और व्यवस्था) और अपराध की जिम्मेदारी संभाली।
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सदानंद दाते की गिनती मुंबई हमले में आतंकियों का मुकाबला करने वाले अधिकारियों में होती है। 26 नवंबर 2008 को पाकिस्तान से आए 10 आतंकियों ने पूरे मुंबई को दहला दिया था। इस हमले में 160 से अधिक लोगों की जान गई थी। सुरक्षा बलों ने आतंकी अजमल कसाब और अबू इस्माइल को एक अस्पताल की छत में घेर लिया था।
उस वक्त सदानंद दाते मुंबई में एसीपी (सेंट्रल रीजन) के पद पर तैनात थे और कसाब को घेरने वाली टीम की अगुवाई कर रहे थे। ग्रेनेड हमले में उन्हें चोट आई। आज भी धातु के कुछ टुकड़े उनके शरीर में मौजूद हैं। इस अदम्य साहस और वीरता की खातिर राष्ट्रपति ने उन्हें पुलिस पदक से सम्मानित किया था।